जिस टीम ने पहले डोकलाम में चीन को सबक सिखाया था, अब वही लद्दाख में एंट्री कर चुकी है- भागो चीन!

अबकी बार पहले वाले से भी बुरा हाल होगा!

लद्दाख

पूर्वी लद्दाख में डेरा डाले चीनी सेना के लिए बहुत बुरी खबर है। जिस टीम ने मिलकर डोकलाम में चीन को नाकों चबवा दिए, उसने एक बार फिर से कमान संभाल ली है। पीएम मोदी ने अभी हाल ही में चीन के गुंडई को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, तीनों सेनाओं के प्रमुख, रक्षा स्टाफ प्रमुख जनरल बिपिन रावत और विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के साथ एक उच्च स्तरीय मीटिंग बुलाई गई।

यदि तीनों सेनाओं के प्रमुख को अलग रखा जाए तो इसमें कोई भी नया सदस्य नहीं है। सुब्रह्मण्यम जयशंकर अब विदेश सचिव से बढ़कर विदेश मंत्री बन चुके हैं, जबकि बिपिन रावत सैन्य प्रमुख से भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने हैं। अजीत डोभाल आज भी भारत के प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं।

इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि भारत किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटेगा, और चीनी घुसपैठियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा। यही  ‘Doklam team’ एक बार फिर से भारत का नेतृत्व करते हुए चीनी घुसपैठियों को मुंहतोड़ जवाब देगी।

बता दें कि 2017 में 16 जून को डोकलाम पठार में तनातनी शुरू हुई थी,जब चीनी सैनिकों ने डोकलाम पठार पर सड़क निर्माण शुरू किया था, तब भारत भूटान की रक्षा करने के लिए आगे आया था। चीन के लाख गीदड़ भभकी के बाद भी भारत अपनी जगह अडिग रहा।  73 दिनों तक चली लंबी तनातनी के बाद अंत में भारत के समक्ष चीन को घुटने टेकने ही पड़े।

जो अब लद्दाख में हो रहा है, उसमें और डोकलाम की तनातनी में कोई विशेष अंतर नहीं है। दरअसल, इसका मूल कारण है भारत का दौलत ओल्डी बेग सेक्टर में एक अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, जो चीन बिल्कुल नहीं चाहता कि पूरा हो। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि भारत इस प्रोजेक्ट में सफल रहा, तो किसी भी स्थिति में इस क्षेत्र में सेना की क्षमता को बढ़ाने में यह सड़क प्रोजेक्ट बहुत काम आएगा, अन्यथा इस क्षेत्र में भारत को पहले की भांति हवाई आपूर्ति पर निर्भर रहना पड़ेगा।

चीनी सैनिक कुछ ज़्यादा ही आक्रामकता दिखा रहे हैं, और उन्होंने LAC के भारतीय क्षेत्र के आस-पास काफी मोर्चाबंदी प्रारंभ कर दी है, जिसमें 70 से 80 टेंट, भारी वाहन और मॉनिटरिंग इक्विपमेंट भी हैं। पर यह समस्या गालवान क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। पांगोंग त्सो लेक क्षेत्र में भी घुसपैठ बढ़ा रहा है, और भारतीय सैनिकों को फिंगर 4 क्षेत्र में घुसने से रोक रहा है।

अब इन सब गतिविधियों से एक बात तो पूर्णतया स्पष्ट है – चीन भारत को ना सिर्फ दबाने का प्रयास कर रहा है, बल्कि शायद भारत से युद्ध करने को कुछ ज़्यादा ही उतावला हो रहा है, अब इतना उतावलापन तो चीन के अलावा ख़ाली पाकिस्तान दिखाता है।

अभी मई के प्रारंभ में चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों में लद्दाख में हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें लोहे की रॉड, डंडे और पत्थर, सबका प्रयोग हुआ था। इसके कारण दोनों जगह काफी लोग घायल भी हुए थे।

वर्तमान मीटिंग से एक बात स्पष्ट है कि भारत किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटेगा। भारत हर प्रकार की मुसीबत से लड़ने को तैयार है, और चीन को स्मरण रहे कि ये 1963 नहीं, 2020 का भारत है।  1967 में चीन अपने चरम पर किस तरह हमारी सेना से पिटा था, इसे लिखने की आवश्यकता नहीं है।

चीन ने एक बार फिर से मुसीबत को न्योता दिया है, क्योंकि जिस चौकड़ी ने 2017 में उन्हें नाकों चने चबवा दिए, वो एक बार फिर उसकी गुंडई को मुंहतोड़ जवाब देने आ गया है।

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