ट्रम्प ने कहा “जी7 में भारत को लाओ”, स्पष्ट है कि भारत के बिना कोई भी अंतर्राष्ट्रीय संगठन आज बेकार है

ट्रम्प ने भी माना “भारत नहीं तो कुछ नहीं”

भारत

शनिवार को ही UK सरकार ने अपने प्रस्ताव में भारत समेत दुनिया के 10 बड़े लोकतन्त्र देशों का एक ग्रुप बनाने की बात कही थी, ताकि चीन की हुवावे कंपनी को दरकिनार कर सभी लोकतान्त्रिक देश आपस में 5जी तकनीक को लेकर सहयोग कर सकें। उसके एक दिन बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी भारत को जी7 समिट में न्यौता देने की बात कही है। ट्रम्प ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जी7 में दुनिया के सभी बड़े देशों का प्रतिनिधित्व नहीं है, और ऐसे में बिना रूस, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और भारत के जी7 समिट को नहीं बुलाया जाएगा। ट्रम्प ने यह भी कहा कि जी7 आज की तारीख में पुराना हो चुका है। ट्रम्प के इस बयान से यह साफ हो गया है कि आज भारत के बिना कोई भी अंतर्राष्ट्रीय संगठन पूरा नहीं है, और अगर विश्व को चीन को ठिकाने लगाना है, तो दुनिया को भारत की आवश्यकता पड़ेगी ही।

बता दें कि जून में यह समिट होने वाली थी, और इस वर्ष अमेरिका ही जी7 की अध्यक्षता कर रहा है। जी7 के अध्यक्ष के पास समिट में सदस्य देशों के अलावा अलग से एक या दो देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाने की शक्ति होती है। पिछले वर्ष फ्रांस में जी7 समिट में राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों ने प्रधानमंत्री मोदी को बुलाया था। अब अमेरिकी राष्ट्रपति भी पीएम मोदी को इस समिट में बुलाने पर अड़े हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति ट्रम्प रूस, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्षों को भी जी7 समिट में बुलाने का मन बना चुके हैं। अगर सब देश इस समिट में शामिल होने के लिए तैयार होते हैं, तो सितंबर महीने में समिट का आयोजन किया जा सकता है।

अमेरिका अब किसी भी हालत में चीन को पटखनी देना चाहता है और उसे अधिक से अधिक देशों का साथ चाहिए। हालांकि, अमेरिका ऐसे जी7 देशों के साथ मिलकर नहीं कर सकता है। भारत और ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के दो बड़े साझेदार देश रहे हैं और अमेरिका अपने चीनी विरोधी प्लान में इन दो देशों को बड़ा स्थान देना चाहता है।

अमेरिका ने अभी जिस समिट को रद्द किया है, उस जी7 समिट में हिस्सा लेने से जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्कल ने पहले ही मना कर दिया था। उसके बाद अमेरिका ने इस ग्रुप को ही expire और outdated करार दिया। जर्मनी, इटली और कनाडा जैसे जी7 देशों का चीन को लेकर बेहद नर्म रुख रहा है, और यही कारण है कि अमेरिका को अब भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। ये सभी देश चीन को सप्लाई चेन से बाहर करने का मन बना रहे हैं, और ऐसे में अमेरिका और उसके साथियों को भारत की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।

हाल ही में अमेरिका ने चीन को मात देने की नई रणनीति बनाई है, और वह है अपने साथियों के साथ मिलकर चीन को पटखनी देना। इसी कड़ी में आने वाले कुछ हफ्तों में भारत और अमेरिका एक मिनी ट्रेड डील पर साइन कर सकते हैं, जिसके जरिये दोनों देश चीन को सप्लाई चेन से बाहर करने की कोशिश करेंगे। भारत और अमेरिका साथ मिलकर अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं को दोबारा खोलने का प्लान बना रहे हैं। अभी सैकड़ों अमेरिकी कंपनियाँ चीन को छोड़कर भारत में अपने कारखाने स्थापित करना चाहती हैं और अमेरिकी सरकार भी इसके पक्ष में है। पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिकी विदेश सचिव और भारतीय विदेश मंत्री यानि पोम्पियो और जयशंकर के बीच करीब 4 बार फोन पर बात हो चुकी है।

यह दर्शाता है कि चीन को घेरने के लिए अब अमेरिका ना सिर्फ भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भी भारत के सहयोग की उपेक्षा रखता है। भारत के पास भी इन देशों के साथ मिलकर इन देशों से उच्च तकनीक हासिल कर दुनिया का इंजन बनने का सुनहरा मौका है।

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