अमेरिका ने ‘Open Skies’ ट्रीटी से हाथ खींचे, चीन ने इस बार इकोनॉमिक टार्गेट नहीं रखा, World War-III आ रहा है

चीन चारो तरफ गुंडई दिखा रहा है और अमेरिका बीच में कूद रहा है, युद्ध के पहले यही होता है!

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अमेरिका और चीन में संबंध तो पहले भी कुछ खास अच्छे नहीं थे, परन्तु वुहान वायरस के कारण उनके संबंधों में कभी ना भर पाने वाली दरार पड़ गई है। अब वर्तमान गतिविधियों पर थोड़ा ध्यान दिया जाए, तो ऐसा लगता है कि अमेरिका और चीन दोनों युद्ध की तैयारी कर रहे हैं, और शायद विश्व को तीसरे विश्व युद्ध की ओर भी ले जा सकते हैं।

अभी हाल ही में अमेरिका ने एक अहम निर्णय में ओपन स्काई ट्रीटी से हाथ पीछे खींच लिए हैं। इससे स्थिति काफी पेचीदा हो सकती है, जो अमेरिका के आक्रामकता की ओर संकेत देती है।

क्या है ओपन स्काई पॉलिसी?

पर ओपन स्काई पॉलिसी है किस चिड़िया का नाम? यह एक ऐसी नीति है, जिसका प्रमुख उद्देश्य था विश्व में आर्म्स रेस यानी हथियारों के जमाखोरी पर लगाम लगाना। इसे 2002 में लागू किया गया था, और करीब 33 देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

ऐसे समझिए-

उदाहरण के लिए अगर अमेरिका और रूस इस डील के सहभागी हैं, तो रूस के पास यह अधिकार है कि वह अमेरिका के ऊपर अपने हवाई जहाज उड़ाकर यह चेक कर सकता है कि USA अपने वादे के अनुरूप काम कर रहा है या नहीं, और यही काम अमेरिका रूस के साथ भी कर सकता है।

परन्तु अमेरिका ने इस नीति से हाथ पीछे खींचकर यह संदेश दिया है कि अब वो किसी भी तरह के संघर्ष से पीछे नहीं हटने वाला, चाहे किसी को कैसी भी आपत्ति क्यों न हो। इसी दिशा में चीन भी बढ़ रहा है, और अगर विश्वास ना हो तो इस रिपोर्ट को देख लीजिए।

चीन ने इस बार इकॉनमी नहीं रक्षा बजट पर ध्यान दिया

बीबीसी की इस रिपोर्ट के अनुसार- कम्यूनिस्ट शासन के इतिहास में प्रथम बार कोई आर्थिक विकास का लक्ष्य नहीं रखने वाला निर्णय लिया गया है. यानी अर्थव्यवस्था जाए तेल लेने, चीन की हेकड़ी सर्वोपरि होगी। इतना ही नहीं, चीन ने अपने रक्षा खर्च में अत्यधिक बढ़ोत्तरी की है, वो भी ऐसे समय में, जब पूरी दुनिया वुहान वायरस के प्रकोप से मोर्चा संभाल रही है.

अपने देश के लिए कोई आर्थिक प्रगति का लक्ष्य ना रखना बहुत कम परिस्थितियों में ही संभव है, जिनमें से एक और सबसे प्रबल कारण है युद्ध की संभावना।

तो क्या अमेरिका और चीन तीसरे विश्व युद्ध के ओर अग्रसर हो रहे हैं? ये काफी हद तक संभव भी है, क्योंकि दोनों देशों की वर्तमान गतिविधियां काफी हद तक इसी ओर इशारा भी करती हैं।

भारत-चीन विवाद में भारत के पक्ष में कूदा अमेरिका

हाल ही में भारत चीन बॉर्डर विवाद के मुद्दे पर बोलते हुए अमेरिकी राजनयिक एलिस जी वेल्स ने कहा-

भारतचीन बॉर्डर पर जारी विवाद को देखते हुए हमें चीनी आक्रामकता को कम करके नहीं आंकना चाहिए। चाहे दक्षिण चीन सागर में विवाद हो, या फिर भारत से सटे बॉर्डर पर तनाव बढ़ाना हो, चीन लगातार दूसरे देशों के खिलाफ आक्रामक रुख दिखा रहा है और उकसावे भरी कार्रवाई कर रहा है। यह दिखाता है कि चीन कैसे अपनी बढ़ती ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहा है

इसके अलावा अमेरिका चीन को हर तरफ से घेरने का ब्लूप्रिंट तैयार कर चुका है। अमेरिका का अभी एक ही मकसद है, कैसे भी करके चीन को घेरा जाये। दक्षिण चीन सागर में अपनी मिसाइल तैनात करने से लेकर, कोरोना के मुद्दे पर चीन की जांच करने की मांग करने तक, अमेरिका ने चीन पर चारों ओर से हमला बोलना शुरू कर दिया है।

चीन को जंग लड़ने की ज़बरदस्त खुजली हो रही है-

अगर हम मान भी लें कि अमेरिका युद्ध के लिए उतावला नहीं है, तो चीन फिर भी है, जिसके लक्षण ताइवान, जापान और भारत ने प्रत्यक्ष रूप से देखे हैं। इससे पहले चीन ने दक्षिण चीनी सागर में भी इस तरह से अपने साम्राज्यवादी मंशूबों को पूरा करने का काम किया है। नौसेना अभ्यास के नाम पर चीन के दो मिसाईल फ्रिगेट ताइवान की पूर्व दिशा में शक्ति प्रदर्शन करते दिखाई दिए थे। हाल ही में ताइवान ने यह शिकायत की थी कि चीन ने ताइवान के कुछ मछलीपालकों का न सिर्फ अपमानित किया बल्कि उनकी vessels को भी निशाना बनाया।

ताइवान के बाद जापान को भी बनाया निशाना

वहीं चीन जापान के विरुद्ध भी अपनी हेकड़ी दिखाने से बाज़ नहीं आ रहा है। पूर्वी चीन सागर में अभी हाल ही में चीनी कोस्ट गार्ड के जहाज जापान के अधिकार वाले दियाओयू द्वीप के पास देखे गए, जिस पर चीन अपना अधिकार जमाता है। जब इन्होंने एक स्थानीय जापानी फिशिंग बोट का पीछा करना शुरू किया, तो जापानी नौसेना ने तत्काल प्रभाव से पैट्रोलिंग जहाज़ भेजे, और फिर एक रेडियो वार्निंग भेजी, जिसके बाद चीनी जहाज़ों को दुम दबाकर भागना पड़ा।

भारत के साथ भी गुंडई

पर चीन वहीं पर नहीं रुका। हद तो तब हो गई, जब उसने भारत के साथ भी गुंडई करने का प्रयास किया। वुहान वायरस के कारण दुनिया भर से गालियां खाने की बौखलाहट अब पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर गुंडागर्दी के रूप में निकल रही है, मानो चीन को भारत से जंग लड़ने की ज़बरदस्त खुजली हो रही है।

भारतीय सेना भी मुस्तैद

पिछले एक महीने से भारत चीन बॉर्डर पर आपसी झड़प के अनेकों किस्से सामने आ रहे हैं। अब चीन ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए पंगोंग ट्सो लेक क्षेत्र के पास गलवान क्षेत्र में तम्बू गाड़ने शुरू कर दिए हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार नई दिल्ली में स्थित राजनयिकों ने इस पर काफी चिंता जताई है। इसके अलावा इंडियन एक्सप्रेस ने यह भी बताया है कि चीनियों के बार-बार हेकड़ी दिखाने के कारण पूर्वी लद्दाख में भारतीय फौज की आवाजाही कुछ ज़्यादा ही बढ़ी है।

ऐसे में लगता है कि चीन और अमेरिका के बीच की तनातनी जल्द ही एक भीषण युद्ध का रूप ले सकती है, जो ना सिर्फ वैश्विक व्यवस्था को हमेशा के लिए बदल सकता है, अपितु चीन के लिए विनाशकारी भी सिद्ध हो सकता है। अब देखना यह होगा कि विश्व के अन्य देश इन गतिविधियों पर क्या रुख अपनाते हैं।

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