सोशल मीडिया पर एक चुटीला तंज बहुत खूब चला है, ज़िन्दगी में बस दो चीज़ें याद रखें – नमक हो स्वाद अनुसार और अकड़ औकात अनुसार। पर शायद विजय माल्या ने इस कथन को अपने जीवन में कभी आत्मसात नहीं किया, और इसीलिए अब उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। अब सूत्रों की माने तो विजय माल्या ने आखिरकार घुटने टेक दिए हैं, और हालत ऐसी हो गई है कि –“भाई सौ दो सौ करोड़ ज़्यादा ले ले पर केस बंद करा दे”
वुहान वायरस के कारण पूरी दुनिया में अर्थव्यवस्था की हालत बहुत खराब है, और ऐसे में भला माल्या महोदय कैसे इसके प्रकोप से बेअसर रहते? जनाब ने बिना किसी शर्त के अपना सारा बकाया चुकाने का निर्णय लिया था.
विजय माल्या की ओर से ट्वीट किया गया-
‘मैं सरकार को कोरोना वायरस संकट के बीच रिलीफ पैकेज की बधाई देता हूं। वो जितना पैसा छापना चाहें छाप सकते हैं, लेकिन उन्हें मेरे जैसे एक छोटे सहयोगकर्ता को इग्नोर करना चाहिए, जो स्टेट बैंक का सारा पैसा वापस लौटाना चाहता है। मुझसे सारा पैसा बिना शर्त के लिए लीजिए और मामला खत्म कीजिए।”
Congratulations to the Government for a Covid 19 relief package. They can print as much currency as they want BUT should a small contributor like me who offers 100% payback of State owned Bank loans be constantly ignored ? Please take my money unconditionally and close.
— Vijay Mallya (@TheVijayMallya) May 14, 2020
शायद अब ऊंट पहाड़ के नीचे आ चुका है। वर्षों पहले 2013 के आसपास जब एसबीआई सहित कई अन्य लेनदारों ने विजय माल्या को अपना बकाया चुकाने को कहा, तो विजय माल्या ऐसे तेवर दिखा रहे थे मानो बकाए की बात बोलकर उनकी शान में गुस्ताखी की गई हो।
विजय माल्या तब किंगफिशर कम्पनी सहित एक फॉर्मूला वन टीम फोर्स इंडिया और आईपीएल टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के मालिक थे। जितनी धनराशि उनसे बैंकों ने मांगी थी, वह शायद उनके गुल्लक के बचत के बराबर होता, परन्तु अपनी हठधर्मिता में ना तो विजय माल्या ने पैसे चुकाए, और ना ही उन्होंने भारतीय एजेंसियों के साथ सहयोग किया। उल्टे महोदय 2014 आते आते भाग खड़े हुए, और उन्हें भारतीय प्रशासन द्वारा भगोड़ा घोषित कर दिया गया।
पिछले वर्ष लंदन की एक अदालत में विजय माल्या को भारत प्रत्यर्पित किए जाने का आदेश सुनाया था, जिसके खिलाफ उसने ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। इससे पहले एक बार विजय माल्या को हिरासत में भी लिया जा चुका था, लेकिन अभी वह ज़मानत पर है। बता दें कि माल्या के खिलाफ 9000 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला हैं।
17 बैंकों के कंजोर्शियम ने माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को कर्ज दिया था। 31 जनवरी 2014 तक माल्या पर बैंकों के 6,963 करोड़ रुपए बकाया थे। 2016 तक ये राशि करीब 9,000 करोड़ हो गई। किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमुख पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। 2 मार्च 2016 को देश से फरार हो चुका माल्या अभी लंदन में रह रहा है। अप्रैल 2017 में प्रत्यर्पण वॉरंट पर गिरफ्तारी के बाद से माल्या जमानत पर है। अब बंद पड़ी किंगफिशर एयरलाइन के प्रमुख ने वेस्टमिनिस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के दिसंबर 2018 में प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।
अब वुहान वायरस पर जब सरकार ने आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, तो विजय माल्या बहती गंगा में हाथ धोने की मंशा लिए अपना कर्ज माफ कराना चाहते हैं। उम्मीद है कि जल्द ही विजय माल्या को भारत लाया जाएगा और फिर कार्रवाई की जाएगी। माल्या के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई अन्य भगोड़ों के लिए उदाहरण की तरह होना चाहिए जिससे वे ऐसी हरकत भविष्य में न करें।