भारत के बाज़ार को लेकर फेसबुक-गूगल में भयंकर टक्कर- जियो-फेसबुक डील के बाद गूगल करेगा Voda-idea में निवेश

पॉपकॉर्न लो और मजे से गूगल और फेसबुक की लड़ाई देखो!

गूगल

पिछले कुछ दिनों से भारत विश्व की बड़ी tech कंपनियों जैसे माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और फेसबुक के लिए युद्धक्षेत्र बना हुआ है। ये सभी कंपनियाँ भारत के इंटरनेट यूजर की बड़ी संख्या का अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहती हैं और इसके लिए वे अब भारत के टेलिकॉम कंपनियों के साथ हाथ मिला रही हैं।

पिछले महीने, दिग्गज टेक कंपनी फेसबुक ने भारत में प्रमुख टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो के साथ एक डील की थी। तब फेसबुक ने जियो प्लेटफॉर्म्स में 9.99 शेयर खरीदे हैं और तब से ही जियो में कई कंपनियाँ निवेश कर चुकी हैं।

अब एक नई खबर में फेसबुक से मुक़ाबला करने के लिए Google अब भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए वोडाफोन-आइडिया के साथ एक समझौते पर विचार कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार गूगल वोडाफोन-आइडिया में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की योजना बना रहा है।

जियो प्लेटफॉर्म में फेसबुक के 5.7 बिलियन डॉलर के निवेश के कारण टेलीकॉम क्षेत्र में बहार आ गयी है और कंपनियाँ अब ज्यादा मजबूती से आगे बढ़ रही है। अब Google द्वारा वोडाफोन आइडिया में निवेश करने का अर्थ यह हुआ कि अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही इस कंपनी को एक लाइफलाइन मिल गई है जिससे वे दोबारा अपने आप को मार्केट में स्थापित कर सकती है।

वोडाफोन आइडिया ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन और भारत के आदित्य बिड़ला ग्रुप की संयुक्त कंपनी है और यह इन दिनों गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है। दूरसंचार विभाग के अनुसार, कंपनी पर एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के मद में 53 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है।

रिपोर्ट के अनुसार गूगल से होने वाली डील अभी शुरुआती स्तर पर है। बता दें कि गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट ने जियो प्लेटफॉ‌र्म्स में हिस्सेदारी खरीदने का भी प्रयास किया था, लेकिन कंपनी फेसबुक से पिछड़ गई थी। वोडाफोन आइडिया में हिस्सेदारी से कंपनी के लिए भारत में निवेश के अन्य रास्ते भी खुलेंगे।

बता दें कि सर्च इंजन Google बेशक डिजिटल विज्ञापन व्यवसाय में फेसबुक का प्रतिद्वंद्वी है। जो कुछ भी ऑनलाइन होता है, उसके सर्च और विज्ञापन के लिए Google की आवश्यकता होती है। यही वह क्षेत्र है जहां पर डिजिटल विज्ञापन प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक और गूगल तथा टेलीकॉम ऑपरेटर जैसे जियो और वोडाफोन एक साथ आते हैं। टेलीकॉम ऑपरेटर कॉल डिटेल रिकॉर्ड, मोबाइल फोन उपयोग, नेटवर्क उपकरण, सर्वर लॉग, बिलिंग और सोशल नेटवर्क के रूप में बड़ी मात्रा में डाटा एकत्र करते हैं जिसकी आवश्यकता इन डिजिटल विज्ञापन प्लेटफॉर्म को विज्ञापन दिखाने के लिए होती है। और इसी डाटा के लिए इन बढ़ी कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है।

Google और फेसबुक ने यह महसूस किया है कि भारत में अगर उन्हें अपना मार्केर्ट बढ़ाना है तो टेलिकॉम कंपनियों के साथ काम करना होगा। वर्ष 2019 में 451 मिलियन से अधिक इंटरनेट यूजर के साथ, भारत चीन के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार है। लेकिन चीन में ये दोनों कंपनियाँ बैन हैं और जिस तरह का सहयोग Google और फेसबुक चाह रहे हैं वह चीन में संभव नहीं है। इस वजह से इन दोनों ही कंपनियों को भारत में निवेश के रास्ते ढूँढने पड़ रहे हैं।

ऐसी परिस्थितियों में, यह स्पष्ट है कि भारत के इंटरनेट बाजार के लिए Google और फेसबुक के बीच प्रतिद्वंद्विता और अधिक बढ़ेगी जिससे भारत के टेलीकॉम ऑपरेटर्स को फायेदा होगा और उन्हें दोबारा भारत के बड़े मार्केट में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

 

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