कोरोना भारत में अभी भी चरम पर नहीं है, लेकिन लॉकडाउन में और ढील दी गई तो लाखों मौतें होगीं

बीते एक हफ्ते में आंकड़ें आसमान छू रहे हैं

PC: The Financial Express

भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जब से लॉकडाउन में ढील दी गयी है तब से कोरोना के पॉज़िटिव मामलों में भारी उछाल देखने को मिला है और अब देश में 56 हजार से अधिक मामले हो चुके हैं। इस महामारी से मरने वालों  की संख्या 1800 से अधिक हो चुकी है। 3 मई से लॉकडाउन में थोड़ी ढील क्या दी गयी, ऐसा लग रहा जैसे लोग यह भूल चुके हैं कि कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है। लोग घर से बाहर निकल कर पहले की तरह ही घूमने लगे और इसका नतीजा यह हुआ कि कोरोना ने और अधिक पाँव पसार लिए। अगर लोगों ने अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझा तो आने वाले एक दो महीनों में कोरोना के मामले दिन दूनी रात चौगुनी तेज़ी से बढ़ सकते हैं।

दरअसल, 3 मई को जैसे ही लॉकडाउन में ढील देने की घोषणा की गई वैसे ही लोगों को यह लगा कि सरकार ने लॉकडाउन हटा दिया जिसके बाद वे कुछ भी कर सकते हैं। कई तो सड़क पर उतर आए। जबकि सरकार ने लॉकडाउन में ढील इसलिए दी थी क्योंकि सरकार के पास और कोई विकल्प नहीं बचा था। हालांकि, लोगों के पास अभी घर में रहने का विकल्प है और अगर जनता चाहे तो वह स्वयं को अभी कुछ हफ्तों के लिए लॉकडाउन में रख सकती है।

लोगों द्वारा लॉकडाउन को नजरअंदाज करने का नतीजा यह हुआ कि तीन दिनों में ही कोरोना के मामलों में 10 हजार से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। 4 मई को 3656 मामले, 5 मई को 2934, 6 मई को 3561 तथा 7 मई को 3344 मामले सामने आए।

अगर इसी रफ्तार से कोरोना के मामले बढ़ते रहे तो आने वाले दिनों में 1 लाख से अधिक कोरोना के मामले सामने आ सकते हैं। एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि जून-जुलाई में कोविड का संक्रमण पीक पर होगा। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि भारत में कोविड के संक्रमण को लेकर जो अनुमान लगाए जा रहे हैं, वह मॉडलिंग डेटा आधारित है। इसमें मैथेमेटिकल ग्रोथ देखा जाता है और इसी के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है। इसके आधार पर कहा जा रहा है कि भारत में कोरोना जून-जुलाई में पीक पर हो सकता है।

डॉ. गुलेरिया ने कहा, लॉकडाउन से हमें संक्रमण से लड़ने के लिए तैयारियां करने का मौका मिला। हालांकि, अगर लोगों ने लॉकडाउन का सख्ती से पालन किया होता तो संक्रमितों की संख्या इससे भी कम होती। यानि उनका कहना साफ था कि अगर भारत में लॉकडाउन का और सख्ती से पालन किया जाता तब मामले और कम होते। वास्तव में यहाँ कमी सरकार में नहीं बल्कि जनता में है। हालांकि, अभी भी समय है और हम सभी को लॉकडाउन का पालन कम से कम 2 महीनों तक करना चाहिए।

जिस तरह से डॉ. गुलेरिया ने जून महीने में कोरोना मामलों के पीक यानि सबसे अधिक मामलों का अनुमान लगाया है उससे यह सभी को समझ लेना चाहिए कि अभी कुछ दिनों तक अपने आप को घर में रखना ही बेहतर उपाए है। नहीं तो आने वाले समय में जैसे-जैसे मामलों मे वृद्धि होगी वैसे-वैसे कोरोना और भयावह रुप ले लेगा, और संक्रमण का खतरा बढ़ता जाएगा। दो सप्ताह पहले ही कोरोना का डबलिंग रेट  14 दिनों के आस पास पहुंच गया था लेकिन, पिछले एक सप्ताह में आये अचानक उछाल से मंगलवार को यह 12 दिन हो गया था और कल यानि गुरुवार को यह और घट कर 10.2 दिन हो गया। यानि जो कोरोना 14 दिनों में दोगुने तेजी से बढ़ रहा था अब वह 10 दिनों में बढ़ रहा है। देशवासियों को यह समझना होगा कि लॉकडाउन उनके भले के लिए ही है और यह ही उन्हें कोरोना से बचाएगा।

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि एक बार संक्रमण के पीक पर पहुंचने के बाद उसमें गिरावट होगी। उन्होंने आगे कहा कि अब टेस्टिंग हर रोज 80-90 हजार कर रहे हैं। इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जल्द ही एक लाख से ज्यादा टेस्टिंग शुरू हो जाएगी।”

सरकार ने अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की है जिससे जान और अर्थव्यवस्था दोनों को बचाया जा सके। 3 मई के बाद लॉकडाउन में ढील अर्थव्यवस्था बचाने के लिए दिया गया था। जनता को तह समझना चाहिए कि अभी अपने आप को लॉकडाउन में रखने में  देश और समाज दोनों  की भलाई है। अन्तः आपसे अनुरोध है कि आप भी बिना मतलब के कहीं भी बाहर न निकले, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में तो बिलकुल न जाए और अगर कोई जा रहा है तो उसे जरूर रोके। स्वयं स्वस्थ्य रहें और देश को भी स्वस्थ्य रखने में मदद करे।

Exit mobile version