पूरा विश्व कोरोना की मार झेल रहा है और अभी तक इस महामारी के लिए वैक्सीन की खोज नहीं हो सकी है। परंतु अभी कुछ संभावित दवा और एंटी वायरल के नाम सामने आ रहे हैं जो कोरोना से लड़ने में कुछ मदद कर सकते हैं उनमें से ही HCQ और Remdesivir हैं। अब एक नई खबर में Remdesivir को बनाने वालीGilead ने भारत की 2 फार्मा कंपनी सिपला और जुबिलैंट लाइफ साइंसेज के साथ करार किया है जिसके बाद वे भी इस दवा को बना सकेंगी। इस करार की सबसे खास बात यह ही जिन भारतीय कंपनी के साथ जिलीड ने करार किया है वह Remdesivir की जेनेरिक दवा बनाकर अपने हिसाब से कीमत तय कर सकती हैं और उसे बेच सकती है।
दरअसल, Gilead साइंसेज ने पाँच जेनेरिक दवा निर्माताओं यानि सिपला लिमिटेड, जुबिलेंट लाइफ साइंसेज, हेटेरो लैब्स लिमिटेड, माइलान और फ़िरोज़न्स लैबोरेट्रीज़ के साथ नॉन एक्सक्लूसिव लाइसेंसिंग समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। बता दें कि कोरोना के इलाज को ढूँढे जाने तक covid-19 के इलाज के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने Remdesivir की आपूर्ति के लिए एक आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण यानि Emergency Use Authorization (EUA) जारी किया गया है।
यह समझौता, कोरोना से प्रभावित मरीजों के उपचार के लिए वैश्विक पहुंच बढ़ाने के सिपला और जुबिलैंट लाइफ साइंसेज के प्रयासों का हिस्सा है। जिलीड ने कहा कि जब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO COVID -19 के कारण घोषित किए गए सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की समाप्ति की घोषणा नहीं करता है, या जब तक कोरोना के उपचार के लिए किसी अन्य उत्पाद को मंजूरी नहीं देता है, तब तक यह समझौता रॉयल्टी-फ्री रहेगा हैं।
इसके तहत सिपला और जुबिलैंट लाइफ साइंसेज को Remdesivir का API और दवा दोनों का भारत और दक्षिण अफ्रीका सहित 127 देशों में अपने स्वयं के ब्रांड नाम के तहत मैनुफैक्चर करने की अनुमति होगी। कंपनी के Gilead साइंसेज के साथ समझौते के बाद 13 मई को शुरुआती कारोबार में सिपला के शेयर की कीमत लगभग 6 प्रतिशत बढ़ गई थी।
इस समझौते के तहत, कंपनियों को Remdesivir के उत्पादन के लिए जिलीड से टेक्नोलोजी ट्रान्सफर प्राप्त करने का अधिकार भी होगा, ताकि वे इस दवा के उत्पादन को अधिक तेज़ी से बढ़ा सकें। साथ में वे अपने द्वारा उत्पादित जेनेरिक प्रोडक्ट के लिए भी अपनी कीमतें निर्धारित कर सकें।
बता दें कि जिलीड की दवाइयाँ महंगी आती है और इसका जेनेरिक दवा के उत्पादन से गरीब परिवारों को फायदा होगा।
बता दें की अभी भी इस दवा पर क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है और जो भी डेटा सामने आया है वह प्रारंभिक चरण में है।
यहाँ यह ध्यान देने वाली बात है कि भारत पहले से ही HCQ सबसे बड़ा का उत्पादक देश है और यह 100 से ऊपर देशों को निर्यात कर रहा है। वर्तमान में भारत घरेलू और वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए प्रति माह 20 करोड़ HCQ टैबलेट का उत्पादन करता है, और जरूरत पड़ने पर उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सकती है। अब इस समझौते के बाद भारत Remdesivir का भी उत्पादन करने लगेगा। यह भारत की फार्मा कंपनियों की इस क्षेत्र में दक्षता को प्रमाणित करता है।