‘हम उन पत्रकारों को प्रताड़ित करेंगे जो हमारे खिलाफ बोलते हैं’- उद्धव, ममता और विजयन सरकार

यही राज्य प्रेस फ्रीडम की बड़ी बड़ी बातें करते हैं

मीडिया, प्रेस, बंगाल, केरल, महाराष्ट्र

पिछले कुछ सालों में लेफ्ट लिबरल मीडिया और विपक्षी पार्टियां मीडिया की आजादी को लेकर काफी बड़ी बड़ी बातें करते रहे हैं। कांग्रेस तो हमें समय-समय पर याद दिलाती रहती है कि कैसे देश में प्रेस फ्रीडम खतरे में आ गई है, और लोकतंत्र पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

हालांकि देश में जहां जहां पर भी कांग्रेस या गैर बीजेपी पार्टियों की सरकार है, वहां पर प्रेस फ्रीडम का क्या हाल है यह आप इसी बात से समझ सकते हैं कि इन राज्यों में सच बोलने वाले पत्रकारों के खिलाफ बड़ी संख्या में FIR दर्ज की जा रही हैं। प्रेस फ्रीडम के मामले में महाराष्ट्र, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य फिसड्डी साबित हो रहे हैं।

जब भी देश में ‘द वायर’ और ‘द क्विंट’ जैसे लेफ्ट पोर्टल पर कोई कानूनी कार्रवाई की जाती है, तो देश का लेफ्ट ब्रिगेड केंद्र सरकार पर प्रेस की आजादी का हनन करने का आरोप लगाने में बिल्कुल भी समय नहीं लगाते। हालांकि पिछले कुछ सालों में गैर बीजेपी शासित राज्यों में देश के दो बड़े पत्रकारों पर जिस प्रकार FIR पर FIR दर्ज की जा रही हैं, उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

ज़ी न्यूज़ के मुख्य संपादक सुधीर चौधरी हो या फिर रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक अर्णब गोस्वामी, यह दोनों पत्रकार विपक्षी पार्टियों के निशाने पर रहते हैं और जहां-जहां पर इनकी सरकार होती है, वहां पर इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर इनका मुंह बंद कराने की कोशिश की जाती है।

हाल ही में महाराष्ट्र में अर्णब गोस्वामी के खिलाफ ना सिर्फ एफआईआर दर्ज की गई थी, बल्कि मुंबई पुलिस द्वारा उन्हें कई घंटों तक प्रताड़ित भी किया गया था। इसके अलावा चैनल के सीएफओ को भी कई घंटों तक पूछताछ का शिकार होना पड़ा था। इसके अलावा गोस्वामी पर दो कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा हमला भी करवाया गया था। अब इसके कुछ दिनों बाद ही केरल में सत्ताधारी सीपीएम पार्टी द्वारा ज़ी न्यूज के एडिटर सुधीर चौधरी के खिलाफ गैर जमानती धाराओं के तहत एफ आई आर दर्ज करवाई गई है।

सुधीर चौधरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने वाला वकील P Gavas ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन का जॉइंट सेक्रेटरी है। यह फेडरेशन केरल में सीपीआई पार्टी की यूथ विंग है। हाल ही में ज़ी न्यूज़ ने अपने चैनल पर जिहाद के कई प्रकार को लेकर रिपोर्टिंग की थी, जिससे कि देश के कुछ लोग भड़क गए और अब केरल में उसी रिपोर्टिंग के चलते सुधीर चौधरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है। सुधीर ने तब बताया था कि कैसे जम्मू कश्मीर में लैंड जिहाद के नाम पर जम्मू में मुस्लिमों को बसाने की साजिश की गई थी, ताकि वहां के धार्मिक समीकरण बदल दिया जाएं।

सुधीर के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवाने वाले व्यक्ति के मुताबिक “जो कुछ भी ज़ी न्यूज़ पर दिखाया गया था, वह भारत के मूल्यों के खिलाफ है। हम भारत के संविधान में विश्वास रखते हैं जहां पर सभी धर्मों को एक जैसे अधिकार दिए गए हैं। हालांकि ज़ी न्यूज ने इसके खिलाफ जाकर अपना प्रोग्राम दिखाया और यह धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है।

बता दें कि सुधीर चौधरी को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम जैसी पार्टियों द्वारा लगातार प्रताड़ित किया जाता रहा है। इससे पहले सुधीर को कांग्रेस के पूर्व एमपी नवीन जिंदल द्वारा भी इसी प्रकार प्रताड़ित किया जा चुका है।

वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने भी गैर जमानती धाराओं के तहत सुधीर चौधरी के खिलाफ कई FIR दर्ज करवाई थी । क्योंकि ज़ी न्यूज ने तब दुलागढ़ दंगों पर रिपोर्टिंग करने का साहस किया था। इसकी जानकारी सुधीर ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए दी थी जिसमें उन्होंने लिखा था ” मेरे और ज़ी न्यूज के रिपोर्टर पूजा मेहता के खिलाफ ममता सरकार ने दुलागढ़ दंगों को कवर करने के लिए कईएफआई आर दर्ज करवा दी हैं”।

भारत की वामपंथी ब्रिगेड और लेफ्ट पार्टियां शुरू से ही प्रेस की आजादी का रोना रोते रहते हैं।हालांकि उनके द्वारा शासित राज्यों में प्रेस फ्रीडम का क्या हाल है यह आप स्वयं ही देख सकते हैं।  जो पत्रकार इनके मुताबिक रिपोर्टिंग नहीं करते हैं और इनकी पोल खोलने का काम करते हैं, यह लोग उन्हें चुप कराने में किसी भी हद तक चले जाते हैं।

आप खुद ही सोचिए सुधीर ने नोएडा से अपनी लैंड जिहाद वाले रिपोर्टिंग का प्रसारण किया, हालांकि उनके खिलाफ FIR देश के दूरदराज राज्य केरल में की गई। यह दिखाता है कि केरल पत्रकारों की आवाज दबाने वाले लोगों का कैसे गढ़ बन चुका है। दिल्ली और नोएडा में बैठकर हर दिन केंद्र सरकार के खिलाफ एजेंडा चलाने वाले पत्रकारों को यह खबर कभी नहीं दिखाई देगी।

अब स्थिति यह हो गई है कि बीजेपी शासित राज्य में रहकर आप बीजेपी या सरकार के खिलाफ तो कुछ भी लिख सकते हैं, यहां तक कि फेक न्यूज़ भी फैला सकते हैं।

हालांकि, अगर आप गैर बीजेपी शासित राज्यों में ऐसा करने की कोशिश करेंगे तो तुरंत आपके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी जाएगी और आप के समर्थन में बोलने वाला भी कोई नहीं होगा। ऐसा ही अभी सुधीर चौधरी और अर्णब गोस्वामी के साथ हो रहा है, क्योंकि यह दो पत्रकार इस लेफ्ट ब्रिगेड के 2 सबसे बड़े दुश्मन बने हुए हैं और विपक्षी पार्टियां इन दोनों का मुंह बंद कराने के लिए अब किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखाई देती हैं.

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