गूगल को चीन से इतना प्यार क्यों है?, चीन में गूगल बैन लेकिन चीन से करोड़ो कमाता है गूगल

इस रिश्ते को मैं क्या नाम दूँ?

गूगल जिनपिंग

अमेरिकी कंपनी गूगल के वीडियो शेयरिंग प्लैटफॉर्म ने YouTube से चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ किए गए कमेंट को हटा दिया है। यानि एक अमेरिकी कंपनी चीन की सत्तावादी कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ अमेरिकी नागरिकों द्वारा किए गए कमेन्ट को डिलीट करने का मामला सामने आया है। हालांकि, YouTube ने जांच के बाद सफाई देते हुए कहा कि यह एक तकनीकी खराबी की वजह से हुआ है। परंतु गूगल की सच्चाई अब सभी के सामने खुल चुकी है कि वह किस प्रकार से चीन और शी जिनपिंग की नजरों में अच्छे बने रहना चाहता है। गूगल का चीन के प्रति यह प्यार यूं ही नहीं, बल्कि इसके पीछे बिजनेस है और वहाँ की कंपनियों से मिलने वाले विज्ञापन और डॉलर है। गूगल चीन में निवेश करने के लिए लालायित है।

दरअसल, यह मामला तब उठा जब टेक उद्यमी पामर लक्की के ट्विटर पर शिकायतों के बाद The Verge में रिपोर्ट आई। उस रिपोर्ट के ऊपर ही ये कमेंट किए गए थे जिन्हें तुरंत ही डिलीट कर दिया गया। वर्चुअल रियलिटी ग्रुप ओकुलस के एक संस्थापक लक्की, ने सोमवार को ट्वीट किया कि,‘YouTube ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इंटरनेट प्रचार विभाग Wumao से संबंधित मेरे हर कमेंट को हटा दिया है और कहा कि ये फ़िल्टरिंग सेंसरशिप CCP की तरह ही है।

उनके बाद कई अन्य ट्विटर यूजर ने भी उनके कमेन्ट के डिलीट होने की बात कही। हालांकि, अब YouTube ने इसे तकनीकी खराबी का बहाना दिया है।

पर अब सफाई देने से क्या फायदा जब चिड़िया चुग गयी खेत!! अब सच्चाई सभी के सामने आ चुकी है और गूगल का चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ साँठ-गांठ स्पष्ट नजर आ रहा है। परंतु अभी भी सभी को यह लगेगा कि जब चीन में गूगल के गूगल मैप को छोड़ कर सभी प्रोडक्ट बैन है तब वह इस तरह से चीन के प्रति प्यार क्यों दिखा रहा है?  इसके कई कारण हैं। पहला कारण है चीन से गूगल को होने वाली कमाई।

एक रिपोर्ट के अनुसार Google ने 2018 में चीन से भारी राजस्व कमाया था और यह राजस्व गूगल को मिलने वाले विज्ञापन से आए थे। चीन की तकनीकी कंपनियों जैसे टीकटॉक वीडियो ऐप और Alipay मोबाइल वॉलेट जैसे उत्पादों ने गूगल को खूब विज्ञापन बेचा।

रिपोर्ट के अनुसार, चीन के साथ-साथ हांगकांग, मकाऊ और ताइवान में Google का राजस्व 2018 में 60% से अधिक बढ़कर $ 3 बिलियन हो गया था। अभी अंदाजा लगाया जा सकता है कि दो वर्षों में यह कितना बढ़ा होगा क्योंकि चीन की बड़ी कंपनियों के साथ बिजनेस करने के बाद गूगल ने चीन की छोटी कंपनियों को निशाना बनाया था।

चीन में गूगल के दो दर्जन से अधिक केंद्र हैं, जहां चीन के विज्ञापनदाता यह देख सकते हैं कि उनके विज्ञापन Google, जीमेल और अन्य Google प्लेटफार्मों में कैसे दिखाई देते हैं। बता दें कि गूगल के मैप को छोड़कर सभी प्रोडक्ट लगभग एक दशक से चीन के अंदर बैन हैं। पर जब व्यावसायिकों को चीन के बाहर अपने उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देना होता है, तो वे Google और फेसबुक जैसे वैश्विक विज्ञापन प्लेटफार्मों का उपयोग करते हैं। इसी से गूगल की खूब कमाई होती है।

गूगल पर चीन की सेना के साथ भी काम करने के आरोप लगे हैं। तब डोनाल्ड ट्रम्प ने भी कहा था कि वे इस मामले को देखेंगे। जब से सुंदर पिचाई गूगल के CEO बने हैं तब से इस कंपनी का चीन के प्रति कुछ अधिक ही प्यार देखने को मिला है। गूगल चीन में बिजनेस करने के लिए इतना लालायित है कि उसने चीन में सर्च इंजन का censored version, “Project Dragonfly” लाने का सोचा था। इसके अलावा गूगल चीन में कई प्रकार के हार्डवेयर भी बेचता है। यही नहीं Google Play Store, के चीन में बैन होने के बौजूद Google चीन में ऐप डेवलपर्स के साथ काम करता है ताकि उसे अपने उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में Play Store पर लाने में मदद मिल सके।

यानि देखें तो गूगल का चीन से भारी-भरकम पैसा आता है। इसी वजह से यह अमेरिकी कंपनी नहीं चाहती है कि चीन में उसका बिजनेस खराब हो इसलिए, चीन और कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ किए गए कमेन्ट को डिलीट कर रही है। कुछ दिनों पहले गूगल ने चीन की वीडियो ऐप टिकटॉक के 5 मिलियन नेगेटिव कमेन्ट डिलीट कर उसके रेटिंग को सुधारने की कोशिश की थी। इससे गूगल और चीन के साँठ-गाँठ की खबर पक्की हो जाती है। अब अमेरिकी सरकार को इस मामले पर तुरंत संज्ञान लेते हुए कुछ कर्रवाई करनी चाहिए क्योंकि यह अभिव्यक्ति की आज़ादी का हनन है और साथ ही अमेरिका सहित पूरे विश्व के लिए खतरा।

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