“भारत के बिना दुनिया के पास पर्याप्त टीके नहीं होंगे”, WHO की प्रमुख वैज्ञानिक ने भारत की तारीफ की

WHO की माने तो बिना भारत के पर्याप्त वैक्सीन संभव नहीं है

सौम्या स्वामीनाथन

COVID 19 महामारी को नियंत्रित करने में भारत ने बहुत भारी सफलता पाई है। अधिक जनसंख्या के बावजूद जिस तरह से भारत ने वुहान वायरस के संक्रमित मामलों को नियंत्रण में रखा है, उसके कारण विश्व भर में हमारी प्रशंसा की जा रहा है।

अब WHO के प्रमुख वैज्ञानिकों ने भी माना है कि भारत की सहायता के बिना इस महामारी से जीतना लगभग असम्भव होगा।   WHO की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार भारत ना केवल COVID 19 को नियंत्रित करने में सफल हो सकता है, अपितु COVID 19 वैक्सीनेशन में भी एक अहम भूमिका निभाएगा।

सौम्या स्वामीनाथन ने बताया कि वो भारत सरकार और वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन का आभार प्रकट करना चाहती हैं कि उन्होंने COVID 19 की महामारी को काफी हद तक रोके रखा और कुल संक्रमित मामलों और मृत्यु दर को भी और अन्य देशों के मुकाबले काफी कम रखा।

आईसीएमआर की पूर्व डीजी रह चुकीं सौम्या स्वामीनाथन ने आगे बताया कि कैसे भारत में कई वैक्सीन उम्मीदवार सामने आए हैं और कैसे भारत वैक्सीन बनाने में एक अहम भूमिका निभाएगा। उनके अनुसार, भारत वैक्सीन के विकास में एक बहुत भूमिका निभाएगा। यदि भारत इसका हिस्सा नहीं होगा, तो विश्व पर्याप्त वैक्सीन नहीं प्राप्त कर पाएगा”।

चूंकि अभी COVID 19 के कम होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं, इसलिए  वैक्सीन का बनाया जाना बहुत आवश्यक है। अभी इस दिशा में इज़रायल ने काफी सफलता प्राप्त की है और उसे आशा है कि जुलाई तक वैक्सीन जनता के उपयोग में लायी जा सकेगी। भारत भी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रहा है, और सब कुछ सही रहा तो अगस्त तक वैक्सीन का उत्पादन भारी संख्या में प्रारंभ हो जाएगा।

WHO की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने ये बात यूं ही नहीं कहीं है। जब मार्च माह में इस महामारी ने पांव पसारने प्रारंभ किए थे, तभी भारत ने इस वायरस के एक स्ट्रेन को आइसोलेट करने में सफलता पाई थी। ऐसा करने वाला भारत पांचवां देश बना था।

इस उपलब्धि के बाद भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है, और आईसीएमआर ने भारत बायोटेक के साथ करार किया है, जिससे आइसोलेटेड स्ट्रेन की सहायता से एक वैक्सीन तैयार कर सके।

भारत इसलिए भी इस लड़ाई में विजयी सिद्ध हो रहा है क्योंकि भारत के पास बीसीजी की वैक्सीन भी है, जो करोड़ों भारतीय बच्चों को लगाई जाती है ताकि वे टीबी से बच सकें। इसी वैक्सीन के कारण  अभी हाल ही के विश्लेषण में पाया गया है कि जहां यह वैक्सीन ज़्यादा उपयोग में लाई जाती है, वहां वुहान वायरस के मामले काम है।

इतना ही नहीं, पुणे में स्थित Serum Institute of India, जो विश्व का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक भी है, अभी हाल ही में बर्लिन में स्थित Max Planck Institute for Infection Biology and Vaccine Projekt Management (VPM) कम्पनी के साथ संधि की है, जिससे वे जान सके कि क्या इनका प्रयोग वुहान वायरस का खात्मा कर सकते हैं कि नहीं।

भारत इसके अलावा वैश्विक समुदाय की चिकित्सक आवश्यकताओं के लिए निस्वार्थ भाव से सहायता कर रहा है। उदाहरण के लिए Hydroxychloroquine (हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन) यानि वह संजीवनी जो कोरोना से लड़ने में इन दिनों काफी मददगार साबित हो रही है, इन दिनों दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी हुई है। भारत इस दवाई का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। कारण है कि भारत में हर साल मलेरिया के मामले आते हैं, इसी वजह से भारतीय दवा कंपनियां इसका ज्यादा प्रोडक्शन करती हैं।

अभी हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को कथित धमकी देते हुए कहा था कि अगर भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन उन्हें एक्सपोर्ट नहीं करता है तो भुगतने के लिए तैयार रहे। जिसके बाद हमारे देश के तथाकथित लिबरल बुद्धिजीवी ये कहने लगे कि अमेरिका ने तो भारत को धमकी दी है। पीएम मोदी डर के मारे हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन अमेरिका भेज रहे हैं, जो काफी दिनों से दूसरे देशों के लिए बैन था। इसके बाद भारत ने कई देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन एक्सपोर्ट कर उनकी मदद की। इसके साथ कई देशों को मेडिकल कीटस भी दी। अब तो चीन वैक्सीन बनाने लिए भारत से ही रेस लगा रहा है पर फिर भी दुनियाभर के कई देश बड़ी उम्मीदों से भारत की ओर देख रहे हैं।

ऐसे में जब वैक्सीन की खोज होगी, तो उसमें भारत की बहुत अहम भूमिका होगी। भारत के महत्व को समझकर WHO के प्रमुख वैज्ञानिक ने सिद्ध किया है कि जब भी विश्व पर संकट आता है, तब भारत उनके लिए संकटमोचक बनकर उभरा है ।

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