‘चीन छोड़ो, चलो यूपी चलते हैं’, अमेरिका, जापान के बाद कोरिया की कंपनियों को भी भाया यूपी

योगी तो विदेशी कंपनियों को लपक रहे हैं, बाकि सब दुबके हुए हैं

योगी सरकार यूपी

चीन से निकलने की इच्छुक दूसरे देशों की खासकर जापान और अमेरिका की कंपनियों को हर हाल में भारत में लाने की कोशिश में सरकार जुट गई है और ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इसमें सबसे आगे रहेगी।

कई विदेशी कंपनियाँ तो यूपी में आने की कवायद शुरू कर चुकी हैं। अब कोरियन उद्योगपतियों ने उत्तर प्रदेश में निवेश में रुचि व्यक्त की है, जिसमें बताया गया है कि चीन में निवेश वाली कंपनियां कोरोनावायरस के प्रकोप के बाद वहाँ से बाहर जाने की संभावना तलाश रही हैं।

कोरिया चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (KCCI) के अध्यक्ष योंगमैन पार्क ने यूपी के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) और निर्यात प्रोत्साहन मंत्री, सिद्धार्थ नाथ सिंह को बताया है। उन्होंने कहा कि चीन से बाहर जाने की तलाश में कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता, उत्तर प्रदेश में निवेश करने के लिए उत्सुक हैं।

KCCI कोरिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा व्यावसायिक संगठन

बता दें कि KCCI कोरिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा व्यावसायिक संगठन है। यह एक विशेष अधिनियम द्वारा सार्वजनिक कानूनी इकाई के रूप में स्थापित है, साथ ही यह 73 क्षेत्रीय चेम्बर और 100 से अधिक प्रमुख संस्थानों और वाणिज्य और उद्योग से संबंधित संगठनों से बना है। KCCI सभी क्षेत्रों की लगभग 180,000 सदस्य कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है।

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक वेबिनार का भी आयोजन किया था जिसमें कई अमेरिकी कंपनियों ने हिस्सा लिया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन कंपनियों को लुभाने का कोई मौका नहीं छोड़ा था।

अधिकारियों को आर्थिक रणनीति तैयार करने के दिए थे निर्देश

बता दें कि पिछले महीने, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने अधिकारियों को आर्थिक रणनीति तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिसमें प्रमुख औद्योगिक देशों से निवेश आकर्षित करना शामिल था।  उन्होंने यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना और MSME मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह से इन देशों के राजदूतों के साथ बातचीतकी प्रक्रिया शुरू करने को कहा था।

वास्तव में, राज्य सरकार ने मुख्य रूप से जापान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, यूरोपीय संघ आदि के आधार पर ऐसे निगमों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू की है, ताकि उन्हें लुभाने के लिए एक लक्षित रणनीति तैयार की जा सके।

पिछले हफ्ते ही पीएम मोदी ने देश के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत कर उन्हें सुझाव दिया था कि वे चीन से बाहर आ रही कंपनियों को लुभाने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाएँ। ऐसे में योगी सरकार ने समय रहते नीतिगत सुधार करने का जो निर्णय लिया है, वह आने वाले सालों में यूपी को बहुत फायदा पहुंचाएगा।

बता दें कि केंद्र सरकार पहले ही इन कंपनियों को लुभाने के लिए कई ऐसे कदम उठा चुकी है। सरकार ने पिछले साल आर्थिक मंदी से निपटने के लिए कई आर्थिक सुधारों को अंजाम दिया था, जिनमें सबसे बड़ा बदलाव corporate tax को कम करना था। सरकार के इन आर्थिक सुधारों का ही परिणाम है कि अब बड़े पैमाने पर दक्षिण कोरियन, अमेरिकी और जापानी कंपनियां चीन को छोड़कर भारत आने को लेकर उत्साहित हैं।

योगी सरकार इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहती

योगी सरकार इन कंपनियों में खूब दिलचस्पी दिखा रही है। कोरोना के बाद उपजे स्थिति को ध्यान में रखते हुए और चीन से कंपनियों का बाहर जाते देख कर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने दोनों हाथों से इस अवसर को भुनाने की योजना बनाई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने नौकरशाहों को अतिरिक्त लाभ के साथ एक विशेष पैकेज तैयार करने का निर्देश दिया है, जो इन कंपनियों को दिया जा सकता है।

यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कारण ही संभव हो पाया है कि आज नोएडा में सैमसंग ने दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित की। उत्तर प्रदेश अपनी 22 करोड़ की आबादी और और एक युवा जनसांख्यिकी के साथ विश्व की फैक्ट्री बनने की क्षमता रखता है। इसी क्षमता को योगी सरकार ने पहचाना और उस पर कार्य कर रही है। यह उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा क्योंकि इससे आपार संख्या में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

कुल मिलाकर अभी हजारों की संख्या में कंपनियाँ चीन से बाहर आने वाली हैं और जो देश या जो राज्य इन्हें सबसे ज़्यादा सहूलियत और सुविधाएं देगा, उन्हीं राज्यों में ये कंपनियाँ निवेश करेंगी। अगर भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनना है तो भारत के सभी राज्यों को उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ही जल्द से जल्द अपने क़ानूनों और नीतियों में बदलाव करना होगा। अगर भारत के राज्य आगे बढ़ेंगे और आर्थिक विकास करेंगे, तभी देश भी आर्थिक विकास कर पाएगा।

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