सोमवार की रात भारत और चीनी सैनिकों के बीच LAC के करीब गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई जिसमें दोनों तरफ की सेनाएँ हताहत हुईं। इस घटना में भारत के कुल 20 जवान शहीद हो गए, जबकि चीन के 40 से अधिक सैनिक मारे गए हैं, जिनमें यूनिट का कमांडिंग अफसर भी शामिल है। यह अफसर उसी चीनी यूनिट का था, जिसने भारतीय जवानों के साथ हिंसक झड़प की थी। वहीं भारत के भी एक कर्नल सहित 20 सैनिकों शहीद हुए हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इस झड़प की खबर भारत की मीडिया में पहले आई न कि चीन की मीडिया में।
घटना के सामने आने के बाद भारत की मीडिया में इस घटना को बड़े स्तर पर कवरेज मिल रही है, तो वहीं चीन की मीडिया इस घटना को पूरी तरह से नजरअंदाज करती दिखाई दे रही है। भारत और चीन के बीच इस तरह की झड़प पिछले 45 वर्षों में भयंकर झड़प थी लेकिन फिर भी इसे चीन की मीडिया में नहीं दिखाया जा रहा है। आखिर ऐसा क्या है जिसको चीन अपनी जनता को बताने से डर रहा है?
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चीन की सरकारी मीडिया ने तो इस घटना को अपने अखबार में भी जगह नहीं दी, वहीं ग्लोबल टाइम्स ने इस घटना को अपने 16वें पन्ने पर स्थान दिया है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन इस घटना को किस स्तर से छिपाने की कोशिश कर रहा है।
चीन के डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म पर भी यही देखने को मिला और Xinhua News तथा ग्लोबल टाइम्स ने भी इस घटना को अधिक महत्व नहीं दिया है। ये सभी केवल चीनी अधिकारियों के बयान ही छाप रहे हैं।
जिस तरह से चीन की मीडिया ने इस घटना को दबाने का प्रयास किया है उससे यह मामला और भी अधिक ध्यान देने वाला हो जाता है, क्योंकि अक्सर यह देखा गया है कि चीन अपने इसी मीडिया द्वारा आक्रामक रुख से विश्व को अवगत करता है। लेकिन भारत के साथ हुई झड़प पर ये सभी मीडिया हाउस बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। ग्लोबल टाइम्स तो भारत से कुछ एक्शन न लेने की मांग कर रहा है।
साथ ही चीन ने अब यह दावा किया है कि पूरा गलवान घाटी ही उसका है, लेकिन जिस तरह से चीन को इस झड़प में नुकसान उठाना पड़ा है उससे इन सभी मीडिया हाउस के मुंह पर ताला लग चुका है। ANI की रिपोर्ट के अनुसार इस झड़प के बाद चीन के तरफ भारी मात्रा में बचाव दल और एम्बुलेंस देखा गया था और हेलीकॉप्टर की गतिविधियों में भी वृद्धि देखी गयी थी जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा था कि चीनी सेना बड़े स्तर पर हताहत हुई है।
जिस तरह से चीन ने झड़प के दौरान पीछे से आ कर वार किया है उसे देखते हुए अब सरकार ने सेना को बार्डर पर खुली छूट दे दी है। अब यह देखना होगा कि आगे किस तरह से यह मामला सुलझता है।