“कहीं चीन के लोग भी मोदी-मोदी न करने लगे” चीन ने अपनी सोशल मीडिया से PM मोदी के भाषण को हटाया

क्या चीन के लोग जिनपिंग से ज़्यादा पीएम मोदी पर विश्वास करते हैं? शायद हाँ

लद्दाख मोदी

जब से भारत की16 बिहार रेजिमेंट के घातक प्लाटून ने चीन की PLA को गलवान घाटी में रौंदा है तब से ही चीन की मीडिया में एक अलग प्रकार का डर देखने को मिल रहा है। वे कभी शांति की बात करते हैं तो कभी भारतीय रेस्टोरेंट की वीडियो शेयर करते हैं। अब यह डर इस स्तर तक पहुंच गया है कि चीन ने अपने सोशल मीडिया पर पीएम मोदी और विदेश मंत्रालय के बयानों को हटा कर उन्हें ब्लॉक कर दिया है।

दरअसल, रिपोर्ट के अनुसार चीन स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने बताया है कि 18 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्रियों की बैठक में दिए गए भाषण और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयानों को Weibo सहित दो चीनी सोशल मीडिया वेबसाइटों ने हटा दिया गया है। बता दें कि पीएम मोदी के जिस भाषण को हटाया गया, उसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय सैनिकों के बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे और यदि उकसाया गया तो भारत जवाब देने में सक्षम है। जबकि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के जिस बयान हो हटाया गया है उसमें उन्होंने कहा था कि चीन अपनी गतिविधियों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के किनारे तक ही सीमित रखे और LAC को बदलने की एकतरफा कार्रवाई न करे।


यही नहीं चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आधिकारिक वेबसाइट को भी ब्लॉक कर दिया है। हालांकि, राहुल गांधी की वेबसाइट को ब्लॉक नहीं किया गया है। इसके अलावा भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर द्वारा अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ टेलीफोन पर बातचीत को भी नहीं दिखाया जा रहा है।

ऐसा लग रहा है चीन भारत के कड़े रुख को देख कर ऐसा डर चुका है कि अपने नागरिकों तक पीएम मोदी द्वारा दिए गए भाषण को नहीं पहुंचना देना चाहता, इसलिए भाषण को सेंसर कर रहा है। इस तरह का सेंसरशिप शी जिनपिंग के इशारों पर ही हुआ होगा जिन्हें अब यह डर सताने लगा है कि चीन की हार के बाद कहीं उनके नागरिक भड़क न जायें और लोगों के ऊपर से उनका का नियंत्रण समाप्त न हो जाए।

चूंकि ट्विटर चीन में प्रतिबंधित है, इसी कारण से लाखों चीनी Weibo प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं जो माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर के समान ही है। इस प्लैटफ़ॉर्म पर चीन में स्थित सभी दूतावासों ने अपने अकाउंट बना रखे हैं। पीएम मोदी ने भी वर्ष 2015 में अपना अकाउंट बनाया था।

यही नहीं पीएम मोदी और अनुराग श्रीवास्तव का बयान WEChat से भी हटा दिया गया है। इन बयानों के हटाये जाने का जो कारण बताया जा रहा है वह भी बेहद अजीबो-गरीब है। अनुराग श्रीवास्तव के बयान को लेकर यह कारण दिया गया है कि यह कंटेन्ट नियमों का उल्लंघन करता है। वहीं पीएम मोदी के भाषण को हटाने का कारण यह बताया जा रहा है कि इस कंटेन्ट को ऑथर ने ही डिलीट कर दिया है जबकि भारतीय दूतावास यह दावा कर रहा है कि उसने पीएम मोदी के बयान को नहीं हटाया।

इस तरह से किसी बयान को सेंसर करना दिखाता है कि चीन का शीर्ष नेतृत्व अभी कितना डरा हुआ है और वे नहीं चाहते कि लोगों को बॉर्डर पर हुए झड़प की सच्चाई का पता चले।  पहले तो चीन ने इस झड़प के बाद घायल या हताहत हुए अपने सैनिकों की संख्या को भी विश्व से छुपाया और अब भारत पीएम मोदी के बयानों को सेंसर कर रहा है।

चीन में कोरोना को लेकर पहले से ही लोगों में CCP के खिलाफ माहौल बना हुआ है और अब बॉर्डर पर मिली हार जनता में विद्रोह की भावना भर देगी जो CCP के लिए घातक होगा। इसलिए शी जिनपिंग अपनी पार्टी को बचाने के लिए इस तरह से एक लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री के भाषण को सेंसर कर रहे हैं। यह शी जिनपिंग का डर ही है जो उन्हें पीएम मोदी और वैश्विक स्तर पर उनके बढ़ते कद से लग रहा है।

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