क्या सोचा था कि गूगल incognito mode में आपका डेटा शेयर नहीं करता? आप गलत थे

अब गूगल पर होगा 5 बिलियन का मुकदमा पहले Xiaomi, अब गूगल ने भी धोखा दे ही दिया!

गूगल

चीन की स्मार्टफोन निर्माता कंपनी Xiaomi अपने मोबाइल browser के जरिए यूजर्स के डेटा को चीन में मौजूद अपने सर्वर में पहुंचाता है, बाद में Xiaomi ने भी अपनी गलती मान ली थी। अब अमेरिका में गूगल पर 5 बिलियन डॉलर का क्लास एक्शन मुकदमा दाखिल किया गया है। Google पर यह कार्रवाई ब्राउज़रों पर प्राइवेट मोड यानि incognito mode का इस्तेमाल करने के बावजूद लाखों उपयोगकर्ताओं की प्राइवेसी को ट्रैक करने के लिए लगाया गया है।

दरअसल, जब आप ब्राउज़र इस्तेमाल करते हैं तो उसमें एक incognito mode होता है। इस मोड को यूज करके ब्राउजिंग करने से इसकी हिस्ट्री सेव नहीं होती है। हालांकि, कई लोग अब तक ये समझते हैं कि incognito mode में इंटरनेट ब्राउजिंग करने से वेबसाइट्स ट्रैक नहीं कर सकते हैं। ऐसा नहीं है।

Northern District of California के एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया गया है जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि Alphabet Inc के Google Incognito का उपयोग करने के बावजूद गूगल ने लाखों लोगों की Privacy (प्राइवेसी) को भंग करते हुए उनकी जानकारी जैसे वे ऑनलाइन क्या कर रहे हैं, वे कहाँ ब्राउज़ करते हैं, एकत्रित किया।

इस शिकायत में कहा गया है कि, इंटरनेट यूजर अपनी प्राइवेसी को बचाने के लिए कोई भी तरीका अपना लें Google अपने यूजर्स की ब्राउज़िंग हिस्ट्री और अन्य वेब गतिविधियों का डेटा ट्रैक करता है।“

यही नहीं इसमें आरोप लगाया गया है कि गूगल ने 1 जून 2016 से ही इस तरह की ट्रैकिंग की है। इस कम्पलेन में यह भी कहा गया है कि एक यूजर किसी Google-supported ads पर क्लिक करे या नहीं करे, गूगल अपने Google Analytics, Google Ad Manager and दूसरे applications तथा website plug-ins के जरिये यूजर का डेटा जमा करता है। आगे उसी शिकायत में कहा गया है कि, “Google लगभग हर अमेरिकी के कंप्यूटर और फोन से प्राइवेट और अनधिकृत डेटा स्टोर नहीं कर सकता है।”

बता दें कि incognito mode में आप जो भी ब्राउंजिंग करते हैं उसकी हिस्ट्री लोकल डिवाइस में स्टोर नहीं होती है। कंप्यूटर में वेबसाइट्स की न ही कूकीज सेव होती है और न ही पासवर्ड। लेकिन अब गूगल के ऊपर आरोप लगाया गया है कि सभी जानकारियों को ट्रैक किया जा रहा था।

ऐसी  ही जानकारी जुटा कर ज्यादातर वेबसाइट्स विज्ञापन, ट्रैकिंग और टार्गेटेड विज्ञापन से पैसे कमाती हैं। किसी यूजर्स के इंटरनेट ऐक्टिविटी के आधार पर ही उन्हें टार्गेटेड विज्ञापन दिए जाते हैं।

हालांकि, गूगल ने इस आरोप से इंकार किया है परंतु अगर गूगल ऐसा करता है तो यह स्पष्ट तौर से यूजर के साथ विश्वासघात है। अगर कोई कंपनी किसी यूजर को प्राइवेट मोड का विकल्प देती है और यह कहती है कि वह यूजर का डाटा नहीं लेगी और फिर भी कंपनी यूजर के डाटा को ट्रैक करती है तो यह विश्वासघात नहीं है तो और क्या है?

यही नहीं यह प्राइवेसी कानून का भी हनन है जिसके तहत यूजर को अपने डेटा को बचाने की छुट होती है। गूगल ने न सिर्फ कानून तोड़ा है, बल्कि एक भयंकर भूल भी कर रहा है।

आखिर इस तरह से कोई भी इंटरनेट यूजर अपनी प्राइवेसी को बचाने के लिए गूगल पर कैसे भरोसा कर सकता है? हालांकि, पहले ही गूगल क्रोम के इस प्राइवेट मोड पर एक्स्पर्ट्स सवाल उठा चुके हैं। अब जा कर गूगल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अब यह देखना होगा कि गूगल पर आगे क्या कार्रवाई होती है।

 

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