फिर होगी पूछताछ – सोनिया गांधी के खिलाफ एक शब्द ने अर्नब गोस्वामी को बनाया मुंबई पुलिस का फेवरेट टारगेट

राजमाता 'एंटोनिया माइनो' के खिलाफ बोलने का परिणाम भुगत रहे अर्नब

रिपब्लिक टीवी अर्नब गोस्वामी

Image Courtesy: Business World

अगर कांग्रेस की सरकार हो तो कांग्रेस और सोनिया गांधी के खिलाफ बोलने का क्या अंजाम हो सकता है यह अर्नब गोस्वामी से बेहतर कोई नहीं बता सकता है। पहले ही 10 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ झेल चुके अर्नब को एक बार फिर से मुंबई पुलिस ने बुधवार को सुबह 11 बजे पिथौनी पुलिस स्टेशन में पेश होने के लिए बुलाया है।

रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ और प्राइमटाइम एंकर अर्नब गोस्वामी से पूछताछ रज़ा एजुकेशन वेलफेयर सोसाइटी के सचिव, इरफान अबुबकर शेख द्वारा एक शिकायत के आधार पर बुलाया गया है। इस बार भी सिर्फ उन्हें ही नहीं, बल्कि रिपब्लिक टीवी के मुख्य वित्तीय अधिकारी सुंदरम को पूछताछ के लिए 10 जून, 2020 को पाइधोनी पुलिस स्टेशन में बुलाया है।

अर्नब गोस्वामी और सुंदरम को भेजे नोटिस में, मुंबई पुलिस ने उन्हें जांच अधिकारी के सामने पेश होने के लिए कहा है, सुरेश गायकवाड़ ने उनके खिलाफ 2 मई, 2020 को दर्ज की गई एक शिकायत पर धारा 153, 153 के तहत मामला दर्ज किया है।

FIR आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 ए (नागरिकों के किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को भड़काना), 500 (मानहानि), 505(2) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज किया गया है।

मुंबई पुलिस के पीआरओ और डिप्टी कमिश्नर प्रणय अशोक ने कहा, मुंबई पुलिस ने अर्णब के खिलाफ पिढौनी पुलिस स्टेशन में हुए एफआईआर को लेकर सवाल जवाब के लिए उन्हें बुलाया है

बता दें कि अप्रैल 2020 के आखिरी हफ्ते में मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी से 12 घंटे की पूछताछ कर चुकी है। उस दौरान भी पुलिस ने रिपब्लिक के मुख्य वित्तीय अधिकारी सुंदरम से 7 घंटे से अधिक पूछताछ की थी।

कारण था पालघर में साधुओं पर हमले को उन्होंने एक बड़ी आपराधिक साजिश का हिस्सा बताया था। महाराष्ट्र के पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले में अर्नब गोस्वामी ने अपने डिबेट शो में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को उनके असली नाम से बुलाया था। इसके बाद कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं ने गोस्वामी के खिलाफ नागपुर के साथ देश के कई हिस्सों में FIR दर्ज कराई थी। नागपुर में दर्ज प्राथमिकी को शीर्ष अदालत ने अर्नब गोस्वामी पर हमले की शिकायत के साथ संयुक्त जांच के लिए मुंबई स्थानांतरित कर दिया था।

लेकिन इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने का निर्देश देते हुए स्पष्ट किया है कि उनके खिलाफ इसी मामले पर कोई और FIR नहीं होनी चाहिए।

यही नहीं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने बाकी सभी प्राथमिकी रद्द करते हुये कहा कि पत्रकारिता की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति और बोलने की आजादी का मूल आधार है।

पर अब एक दूसरे मामले में अर्नब गोस्वामी को इस तरह से परेशान करना दिखाता है कि कांग्रेस की सरकार में आप कांग्रेस के खिलाफ नहीं बोल सकते हैं।

महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार पुलिस बल को अपने लाभ के लिए एक साधन बना लिया है। महा विकास अघाड़ी, जिसमें कांग्रेस, NCP और शिवसेना शामिल हैं, ये सभी मिलकर महाराष्ट्र में प्रेस की आज़ादी को कुचलने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। रिपब्लिक मीडिया के खिलाफ की जा रही कार्रवाई से यह तो पता चल गया कि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के खिलाफ कांग्रेस के राज में कोई एक शब्द भी नहीं कह सकता नहीं तो उनके चाटुकार परेशान करने के लिए हमला से लेकर पुलिस तंत्र तक का इस्तेमाल करेंगे। राजनीतिक ताकत का गलत इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है उसका नमूना महाराष्ट्र में ही देखने को मिल रहा है जहां कोरोना से निपटने के बजाए सरकार अर्नब गोस्वामी को के खिलाफ बदले की राजनीति में जुटी हुई है।

इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क को उन लोगों द्वारा लगातार निशाना बनाया जा रहा है जिन्हें फासिस्ट प्रवृत्ति के लिए जाना जाता है।

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