गुस्साए बलूच के लोग अपने इलाके को मुक्त कराना चाहते हैं, जल्द ही पाकिस्तान खो सकता है अपना “ग्वादर पोर्ट”

बलूचियों ने पाक सेना की हवा टाइट कर रखी है

Balochistan

PC: Oneindia

कश्मीर छोड़िए, यदि पाकिस्तान अपने खुद के राज्यों को बचा ले तो वही बहुत बड़ी बात होगी। अभी हाल ही में बलूचिस्तान (Balochistan) में एक घटना ने ऐसा विकराल रूप धारण किया है कि पाकिस्तानी फौजों को बलूचिस्तान में स्थित बॉर्डर पोस्ट्स ही छोड़कर भागना पड़ा है

जी हाँ, आपने ठीक पढ़ा। बलूचिस्तान (Balochistan) में पाकिस्तान की बर्बर कार्रवाई को लेकर उमड़ता आक्रोश आज खुलकर सामने आ ही गया।  कहा जा रहा है कि पाकिस्तान द्वारा वुहान वायरस के चलते अफगानिस्तान के बॉर्डर को बंद करने के विरोध में ये प्रदर्शन किए गए थे। बलूचिस्‍तान के ब्राबचाह इलाके में बलूच लोगों ने जोरदार हिंसात्‍मक विरोध प्रदर्शन किया और पत्‍थरबाजी की। परिणामस्वरूप स्थिति बिगड़ने पर पाकिस्‍तानी सुरक्षा बलों को अपनी पोस्‍ट छोड़कर भागना पड़ा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस विरोध प्रदर्शन में हजारों की संख्‍या में प्रदर्शनकारी शामिल हुए। बलूच प्रदर्शनकारियों ने चौतरफा विरोध के बाद पाकिस्‍तानी सुरक्षा बलों की हालत इतनी खराब हो गई कि उन्‍हें अपनी बॉर्डर पोस्‍ट को छोड़कर हटना पड़ गया। बलूचों ने प्रदर्शन के दौरान सैन्‍य इमारत और वाहन को जला दिया है। पाकिस्तान की ईरान सीमा पर विद्रोहियों के खिलाफ southwest बलूचिस्तान में बड़ा अभियान चलाया जा रहा है।

पर आखिर बलूचिस्तान (Balochistan) के साथ पाकिस्तान की समस्या क्या है? आखिर क्यों बलूचिस्तान पाकिस्तान के चंगुल से आज़ाद होना चाहता है? इसके लिए हमें बलूचिस्तान के इतिहास पर प्रकाश डालना होगा, और साथ ही इस बात पर भी ध्यान केन्द्रित करना होगा कि बलूचिस्तान की बगावत से पाकिस्तान को आगे क्या नुकसान होने वाला है?

जब भारत और पाकिस्तान स्वतंत्र हुए थे, तो बलूचिस्तान (Balochistan) उन चुनिन्दा राज्यों में शामिल था, जो पाकिस्तान के साथ विलय करने को तैयार नहीं था। फिर भी पाकिस्तान ने ज़बरदस्ती बलूचिस्तान (Balochistan) पर कब्जा जमाते हुए उसे आने वाले वर्षों में एक जीते जागते नर्क में परिवर्तित कर दिया। यहाँ के महिलाओं और बच्चों को पाकिस्तानी सेना अगवा कर लेती है और पिछले पाँच वर्षों में इस क्षेत्र से रहस्यमयी तरीके से 20000 से भी ज़्यादा लोग गायब हो चुके हैं। बलूचिस्तान के 57 प्रतिशत से भी ज़्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करते हैं। यहाँ की साक्षरता दर भी काफी कम है, क्योंकि 100 में से लगभग 63 बच्चे स्कूल नहीं जा पाते।

पर अब और नहीं। बलूचिस्तान के अधिकांश निवासी अब जल्द से जल्द पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त होना चाहते हैं, और इसके लिए वे हरसंभव प्रयास करने को तैयार है। बांग्लादेश के मुक्तिवाहिनी के तर्ज पर बलूच लिबेरेशन आर्मी पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध बगावत छेड़ चुकी है, और न केवल पाकिस्तान, बल्कि बलूचिस्तान (Balochistan) में पाँव पसार रही चीन के नाक में भी दम कर चुकी है।

परंतु पाकिस्तान और बलूचिस्तान की लड़ाई में चीन का क्या काम है? कारण है बलूचिस्तान (Balochistan) में स्थित ग्वादर बन्दरगाह, जो चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरीडोर का एक अहम हिस्सा भी है। परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है। बीजिंग ने इस प्रोजेक्ट में करीब 60 अरब डॉलर्स का निवेश किया है, जो भारत के अकसाई चीन और पाक अधिकृत कश्मीर से भी होते हुए गुज़रता है। चीन ग्वादर बन्दरगाह के जरिये अपना नौसैनिक बेस तैयार करना चाहता है ताकि हिन्द महासागर में भी उसका वर्चस्व स्थापित हो सके।

फोर्ब्स के अनुसार, “हालिया सैटिलाइट इमेज से पता चलता है कि कई नए कॉम्प्लेक्स को ग्वादर पोर्ट में निर्मित किया गया है। इनमें से एक कॉम्प्लेक्स की बहुत तगड़ी सिक्योरिटी व्यवस्था है”।

बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न है,  जहां यूरेनियम, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, तांबा और कई अन्य धातुओं के विशाल भंडार हैं और पाकिस्तान की कुल प्राकृतिक गैस का एक तिहाई हिस्सा भी यहीं से निकलता है। पर विडम्बना देखिये, बलूचिस्तान (Balochistan) पाकिस्तान का गरीब और उपेक्षित इलाका भी है। कई इलाकों के लोगों का आज भी बाहरी दुनिया से सम्पर्क नहीं हैं। प्राकृतिक रूप से सम्पन्न होने के बावजूद यह हिस्सा सबसे ज्यादा पिछड़ा है। सीपीईसी के नाम पर भी इस प्रांत को ठगा गया है जिससे यहाँ के लोगों में गुस्सा और ज्यादा बढ़ गया है।

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) को बलूचिस्तान (Balochistan) में चीन का बढ़ता प्रभाव बिलकुल रास नहीं आ रहा है। नवम्बर 2018 में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने कराची में चीनी दूतावास पर हमला किया था। उस वक्त बीएलए ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि “बलूच जमीन पर चीनी सेना के विस्तारवादी प्रयासों को बर्दाश्त नहीं करेगा”।

बता दें कि सीपीईसी का सबसे अहम भाग ग्वादर बंदरगाह है, और बलोच समुदाय के लोगों का मानना है कि चीन उनके प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करता है जिससे वो आने वाले समय में प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों की प्रचुरता वाली अपनी जमीन खो देंगे और यदि ऐसा जारी रहा तो वो दिन भी दूर नहीं होगा जब बाहरी लोगों के कारण उनकी अपनी पहचान कहीं दब जाएगी। ये परियोजना बलूच समुदाय की तबाही का कारण बन सकता है।

इसलिए अब जिस तरह से बलूचिस्तान (Balochistan)ने पाकिस्तान के विरुद्ध मोर्चाबंदी की है, उससे इतना तो स्पष्ट है कि पाकिस्तान की अब खैर नहीं है, और वे जितनी जल्दी बलूचिस्तान को छोड़ दें, उतना ही अच्छा। सच कहें तो अब पाकिस्तान की हालत धोबी के कुत्ते समान हो गई है, जो न घर की रही और न ही घाट की।

 

Exit mobile version