15 जून की रात जो हुआ, वो चीन की पीएलए के लिए किसी दुस्वप्न से कम नहीं था। गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर घात लगाकर प्रहार करने का परिणाम उन्हें ऐसा भुगतना पड़ा कि आज भी चीन अपने हताहतों की वास्तविक संख्या बताने से मना कर रहा है। अब चीन के सरकारी प्रसारणकर्ता सीसीटीवी (Chinese state broadcaster ) की मानें तो चीन लद्दाख में अपने सैनिकों को ट्रेनिंग देने के लिए एमएमए फाइटर को अपनी सीमा के मिलिट्री रैंक में शामिल किया है।।
CCTV के अनुसार चीन ने अपने कब्जे वाले लद्दाख में तैनात सैनिकों के प्रशिक्षण हेतु सिचूआन प्रांत के एनबो फाइट क्लब से 20 एमएमए फ़ाइटर्स को बॉर्डर पर तैनात किया गया है, स्पष्ट है चीन का खुद की सेना पर भरोसा डगमगा रहा है। ये फाइटर चीन के कब्जे में स्थित तिब्बत में तैनात होंगे, और इन्हें चीन के वेस्टर्न थिएटर कमांड के निर्देशानुसार काम करना होगा। पीएलए डेली के अनुसार इनके अलावा नागरिकों को भी ऐसे पोस्ट्स पर तैनात किया गया है, जहां वे चीनी सेना के काम आए, जैसे कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, पहाड़ी गतिविधि, खनन के लिए। बता दें कि एमएमए एक बहुत ही आक्रामक कॉम्बेट स्पोर्ट है, जिसमें बॉक्सिंग से लेकर जिउ जित्सु, कुश्ती, कराटे का प्रयोग होता है।
पर चीनी सेना को एमएमए फ़ाइटर्स की ज़रूरत क्यों आन पड़ी? ऐसा इसलिए है क्योंकि 15 जून की रात जो हुआ, वो चीनी सेना ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। बातचीत के अंतर्गत पीपी 14 पर अवैध चीनी ढांचा हटाने गए 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू पर जब पीएलए ने घातक हमला किया, तो क्रोध में आग बबूला बिहार रेजीमेंट और 3 पंजाब रेजीमेंट के घातक जवानों की टुकड़ियों ने जो तांडव मचाया, वो डेक्कन क्रॉनिकल के शब्दों में “आधुनिक सैन्य इतिहास में न कभी देखा गया, और न ही कभी सुना गया।” इसी रिपोर्ट के अनुसार भारतीय आर्मी ने पुराने तौर तरीकों का इस्तेमाल करते हुए पीएलए की सेना में त्राहिमाम मचा दिया था। जहां कुछ चीनी सैनिकों के चेहरे इतनी बुरी तरह कुचल दिये गए थे कि वे पहचान में नहीं आ रहे थे, तो वहीं कुछ चीनी सैनिकों के गर्दन उनके धड़ से झूलते हुए दिख रहे थे। वैसे भी जब बात क्लोज़ कॉम्बेट की आती है, तो भारतीयों का कोई सानी नहीं है।
जैसा पहले टीएफ़आई ने बताया था, चीन के वर्तमान निर्णय से एक बार फिर सिद्ध हुआ है कि पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी Pampered बच्चों से भरी हुई एक अक्षम सेना है, जिसमें लड़ने की नाममात्र की भी इच्छा नहीं है। आखिरी बार जब चीन ने वियतनाम से पंगा मोल लिया था, तो वियतनाम ने चीनी आक्रांताओं को नाकों चने चबवा दिये थे। रही सही कसर तो चीन के महान वन चाइल्ड पॉलिसी ने पूरी कर दी थी। इस कारण से ऐसे लोगों को चीन की सेना में जगह मिली है, जिनहोने कठिनाइयों का मुंह तक नहीं देखा है। चीन तकनीकी तौर पर समृद्ध होने का दावा करता है, पर वास्तव में उनके खुद के विशेषज्ञों को भय है कि भारत से जंग में कहीं चीन को लेने के देने न पड़ जाये।
ऐसे में पीएलए में एमएमए फ़ाइटर्स की तैनाती यही सिद्ध करती है कि चीन को अपने सैनिकों की क्षमता पर भरोसा नहीं है, और भारत से युद्ध की स्थिति में इनके सैनिकों की धुलाई करने में हमारे वीरों को तनिक भी समय नहीं लगेगा। अब ये एमएमए फ़ाइटर्स कितना टिकते हैं ये देखना भी दिलचस्प होगा। वैसे भी चीन की तुलना में क्लोज़ कॉम्बेट तो भारतीयों को विरासत में मिली है, और 15 जून की रात को हमारे वीर सैनिकों ने इसे सिद्ध भी किया है। अब चूंकि नो गन पॉलिसी को कूड़ेदान में भारतीयों ने फेंक दिया है, तो चीन की एक भी गलती आने वाले समय में उसे बहुत भारी पड़ सकती है।