भारत के साथ स्कॉट मॉरिसन की ‘समोसा डिप्लोमेसी’ के पीछे की योजना चीन को सबक सिखाना है

समोसा ऑस्ट्रेलिया

कोरोना के कारण जारी लॉकडाउन में भारत के लिए कई अच्छी चीज़ें हुई है और उनमें से एक है भारत का ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंध और प्रगाढ़ होना। अब यह संबंध एक नए स्तर पर पहुंच चुका है और यह बात राष्ट्राध्यक्षों के समोसे खाने तक आ गयी है। यानि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बहुत कुछ पक रहा है और हो सकता है समोसे डिप्लोमेसी के तहत साथ आ कर दोनों देश चीन के खिलाफ योजना बन रहे हों।

दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने रविवार को समोसे और आम से बनी चटनी की तस्वीर शेयर की थी। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि,रविवार को आम की चटनी के साथ समोसा‘, आम को घिसकर बनाई हुई चटनी के साथ।”

पीएम मोदी को टैग करते हुए स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि, दुख की बात है कि हमारी मीटिंग वीडियो लिंक के जरिए होगी। पीएम मोदी शाकाहारी हैं। मैं उनके साथ इसे साझा करना पसंद करूंगाउन्होंने बताया कि पीएम मोदी के साथ इस सप्ताह उनकी विडियो लिंक के जरिए बैठक भी होने वाली है।

इसके बाद पीएम मोदी ने भी स्कॉट मॉरिसन के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा कि एक बार हम कोरोना वायरस के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल कर लेते हैं फिर साथ बैठकर समोसा जरूर खाएंगे। उन्होंने 4 जून को होने वाली विडियो कांफ्रेंसिंग को लेकर भी उम्मीद जताई।

पीएम मोदी ने लिखा कि, “हिंद महासागर से जुड़े और समोसे से एकजुट हुए। आपका समोसा स्वादिष्ट लग रहा है। एक बार जब हम कोरोना वायरस के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल कर लेते हैं, तब हम एक साथ समोसे का आनंद लेंगे। 4 जून को विडियो कांफ्रेंसिंग को लेकर उत्साहित हूँ।“

एक आम व्यक्ति को सिर्फ व्यक्तिगत दोस्ती दिखाई देगी, लेकिन अगर हम वैश्विक हलचल को और कोरोना वायरस पर ऑस्ट्रेलिया का चीन के खिलाफ कड़े कदमों को देखें तो यह स्पष्ट पता चल जाएगा कि अब ऑस्ट्रेलिया चीन को मात देने के लिए भारत को समोसे डिप्लोमेसी से अपने पक्ष में करने की सोच रहा है।

चीन के साथ संबंध खराब होने के बाद अब ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ अपने रिश्तों को और प्रगाढ़ करना चाहता है जिससे चीन को सबक सिखाया जा सके। हालांकि, इस लड़ाई में ऑस्ट्रेलिया को नुकसान अधिक हो सकता है क्योंकि चीन के साथ उसका ट्रेड सरप्लस है और अब चीन ऑस्ट्रालियाई सामानों पर टैरिफ लगाना शुरू कर चुका है।

यही नहीं  Australia के अंदर चीन का अत्यधिक प्रभाव है। ऑस्ट्रेलिया की कई राज्य सरकारों से लेकर देश की कई यूनिवर्सिटियों में चीन का बेहद गहरा दखल रहता है। पिछले कुछ दिनों में घटी कुछ घटनाएँ इस बात का सबूत पेश करती हैं। लेकिन फिर भी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट मंत्री चीन के खिलाफ बोलने और जांच से पीछे नहीं हटे हैं। चाहे वो WHO में ताइवान को शामिल करने की मांग हो, या COVID-19 की उत्पत्ति की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग है। यह देश चीन के खिलाफ सबसे प्रखर रहा है।

अब ऑस्ट्रेलिया को अपने इस युद्ध में भारत की सख्त आवश्यकता है। अभी तक यह द्वीप देश अपने आप को पैसिफिक की एक ताकत के रूप में देखता था और भारत हिन्द महासागर का। लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया एक साझेदार की तलाश में है और उसे भारत से अच्छा साझेदार नहीं मिल सकता। दोनों देशों के बीच संबंध बढ़ ही रहे थे कि कोरोना बीच में आ गया, लेकिन अब ऑस्ट्रेलिया और चीन के बिगड़ते रिश्ते से भारत को एक नया मिला है।

अगर देखा जाए तो चीन को काउंटर करने के लिए दोनों देशों को एक दूसरे की आवश्यकता है। ऑस्ट्रेलिया को ट्रेड में भारत के मदद की आवश्यकता पड़ेगी तो वहीं, भारत को हिन्द महासागर में अपने प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ की जरूरत है। इसीलिए पिछले वर्ष भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच समुद्री सहयोग की बात हुई थी और Quad संगठन का निर्माण हुआ था जिसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका साथ मिल कर काम करने वाले हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक रूप से स्थित दो महत्वपूर्ण द्वीपों यानि भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और ऑस्ट्रेलिया के कोकोस द्वीपों के सैन्य उपयोग के लिए एक समझौते पर मुहर लगने की चर्चाएं भी है। इससे भारत को रणनीतिक रूप से स्थित द्वीप को मलक्का स्ट्रेट के दक्षिण-पूर्व में प्रवेश करने की अनुमति मिलेगी जबकि ऑस्ट्रेलिया को हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में अपनी उपस्थिति बढ़ाने का मौका मिलेगा।

अब जिस 4 जून को प्रस्तावित एक ऑनलाइन समिट की बात पीएम मोदी और स्कॉट मॉरिसन कर रहे हैं उसमें दोनों राष्ट्रध्यक्ष भारत और ऑस्ट्रेलिया की सामरिक साझेदारी को मजबूती प्रदान करने के लिए विचार विमर्श करेंगे। रिपोर्ट के अनुसार नई साझेदारी के अन्तर्गत चिकित्सीय परीक्षण एवं उपकरण, तकनीक, आवश्यक मिनरल इत्यादि के आदान-प्रदान पर दोनों देश बात करेंगे।

इसके अलावा दोनों देश एक नए रक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर करेंगे, जिससे ना सिर्फ एक दूसरे के सैन्य बेस का उपयोग होगा, बल्कि सैन्य तकनीक के नए प्रोजेक्ट्स पर काम भी सुचारू रूप से चालू होगा। इतना ही नहीं, भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ शैक्षणिक साझेदारी भी करेगा, जिससे ऑस्ट्रेलिया की चीनी विद्यार्थियों पर निर्भरता कम हो सके।

यानि कहा जाए तो ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने ‘समोसा कूटनीति’, के तरह भारत और ऑस्ट्रेलिया के समुद्री सहयोग को पास ला दिया है जिससे चीनी प्रभाव का मुकाबला किया जा सकेगा।

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