चीन ने ऑस्ट्रेलिया को धमकाया, अब अपने “लोहे” का Export रोककर ऑस्ट्रेलिया चीन की कमर तोड़ सकता है

ऑस्ट्रेलिया अब “लोहे” से करेगा चीन पर घातक प्रहार!

ऑस्ट्रेलिया

(PC: ABC)

जब से ऑस्ट्रेलिया ने चीन के खिलाफ कोरोना वायरस को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग की है तब से ही इन दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ चुकी है। चीन रोज नए तरह की धमकी देता है और ऑस्ट्रेलिया को डराने की कोशिश करता है, परंतु ऑस्ट्रेलिया टस से मस नहीं हुआ है। चीन ने ऑस्ट्रेलिया को घुटनों पर लाने की पूरी कोशिश की। बीजिंग ने पहले ऑस्ट्रेलिया से बीफ इम्पोर्ट को निलंबित कर दिया, उसके बाद जौ पर 80 प्रतिशत का इम्पोर्ट बढ़ा दिया। इसके अलावा अब चीन शराब से लेकर फलों तक के उत्पादों के इम्पोर्ट पर भी  कार्रवाई करने का विचार कर रहा है। परंतु अब चीन को ऑस्ट्रेलिया के reaction के लिए भी तैयार हो जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑस्ट्रेलिया अगर अपना Iron ore चीन को एक्सपोर्ट करना बंद कर देता है, तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

ऑस्ट्रेलिया से चीन अपने Iron Ore के कुल आयात का लगभग 60 प्रतिशत इम्पोर्ट करता है। अब अगर ऑस्ट्रेलिया यहाँ Iron ore का एक्सपोर्ट बंद कर चीन को निशाना बनाता है तो इससे सबसे अधिक नुकसान चीन की अर्थव्यवस्था को ही होगा और उसके दोबारा से अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का सपना अधूरा ही रह जाएगा।

दरअसल कोरोना वायरस के कारण विश्व के लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है और चीन की भी यही हालत है। ऐसे में चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को दोबारा से पटरी पर लाने के लिए एक बड़े इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। इसी क्रम में बीजिंग और शंघाई सहित कई चीनी प्रांतों ने प्रमुख इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के विकास के लिए अपनी योजनाओं की घोषणा की है, जिसका कुल निवेश लगभग 600 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। प्रोजेक्ट्स में लगभग सभी तरह के निर्माण शामिल है जैसे सड़कें, हवाई अड्डे,रेलवे और smart technologies जैसे Artificial Intelligence applications.

और इस पूरे इनफ्रास्ट्रक्चर को बनाने के लिए सबसे अधिक Steel और Iron की ही आवश्यकता होगी, और Steel और Iron के लिए  Iron Ore बेहद आवश्यक है। यानि देखा जाए तो चीन अभी अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया पर ही सबसे अधिक निर्भर है।

आज चीन Iron Ore का सबसे बड़ा कंज़्यूमर है और ऑस्ट्रेलिया सबसे बड़ा निर्यातक देश। World Steel Association के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया दुनिया का सबसे बड़ा लौह अयस्क यानि Iron Ore का उत्पादक और निर्यातक देश है। वर्ष 2019 में विश्वभर में समुद्री जहाज से होने वाले Iron Ore की कुल शिपमेंट में ऑस्ट्रेलिया की हिस्सेदारी 60% थी।

अगर चीन Iron Ore के लिए ऑस्ट्रेलिया से अपनी निर्भरता कम करने के लिए दूसरे सबसे बड़े निर्यातक देश ब्राज़ील या फिर अफ्रीका से इम्पोर्ट करना चाहेगा,  तो भी उसे इस पूरी प्रक्रिया में 4-5 वर्ष लग ही जाएंगे। ब्राज़ील में तो कोरोना की वजह से Iron Ore के एक्सपोर्ट में भी 4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यानि चीन के पास और कोई विकल्प नहीं बचा है। चीन अपने Iron Ore के कुल इम्पोर्ट का 60 प्रतिशत इम्पोर्ट ऑस्ट्रेलिया से करता है। एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में वर्ष 2019 के मुक़ाबले ऑस्ट्रेलियाई Iron Oreऔर LNG की मांग में तेजी आ रही है, यह मांग क्रमश: 8% और 9% बढ़ी है।

इससे स्पष्ट पता चल रहा है कि आखिर चीन Australia से आने वाले Iron Ore को निशाना क्यों नहीं बना रहा है। यह चीन की मजबूरी है की उसे अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ऑस्ट्रेलिया की मदद लेनी ही पड़ेगी। अगर अभी Australia चीन को अपने Iron ore का निर्यात कम कर देता है, तो इससे चीन को ऑस्ट्रेलिया से अधिक नुकसान होगा क्योंकि Iron Ore एक ऐसा मिनरल है जिससे कोई भी देश आयात करना चाहता है, जिससे वहाँ इनफ्रास्ट्रक्चर बढ़े।

पिछले कुछ महीनों में देखा जाये तो चीन और ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते अभी सबसे निचले स्तर पर है और भविष्य में इसके अधिक बिगड़ने की संभावना बनी हुई है। अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप से Australia की ओर से चीन को होने वाले Iron Ore के एक्सपोर्ट पर भी असर पड़ेगा, जिससे नुकसान चीन का ही होगा और चीन ऐसा बिल्कुल नहीं चाहता। जिस तरह से चीन ने ऑस्ट्रेलिया को जूते का chewing gum कहा था और साथ में वहाँ के जौ पर 80 प्रतिशत का इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाई थी, उसे देखते हुए ऑस्ट्रेलिया को कड़े कदम उठाते हुए चीन की इस कमजोरी का फायदा उठाना चाहिए।

Exit mobile version