भारत के तमाचे के बाद Global Times के उड़े फ्यूज, हर नया article है बेहद बेढंगा और बेतुका

इतना छटपटा काहे रहे हो Global Times!

जब चीन का मुखपत्र बौखलाहट में अंट संट छापने लगे, तो समझ जाइए कि चीन काफी बड़ी मुसीबत में फंसा हुआ है या कहें डरा हुआ है। चीन पर शासन करने वाले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र माने जाने वाली समाचार पत्रिका ग्लोबल टाइम्स पिछले कुछ दिनों से ज़्यादा ही बौखलाई हुई है।

अभी सोमवार रात को गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए, जबकि चीन के 45 से अधिक सैनिक मारे गए। शुरू शुरू में चीन इस पर मौन रहना चाहता था और चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने चीनी लोगों के हताहत होने की खबर पर कुछ भी स्पष्टता से नहीं ज़ाहिर की। परंतु ग्लोबल टाइम्स ने सारे किए कराये पर पानी फेरते हुए ये बताया कि चीन के 5 से ज़्यादा सैनिक इस झड़प में मारे गए हैं। अब मरता क्या न करता, ग्लोबल टाइम्स और फिर चीनी विदेश मंत्रालय को काफी न नुकुर के बाद आखिरकार ये स्वीकारना ही पड़ा कि इस हिंसक झड़प में कई चीनी सैनिकों की जानें गई हैं। यहाँ तक कि ग्लोबल टाइम्स के प्रमुख संपादक हू शीजिन को यह स्वीकारना कि चीनियों को काफी ज़्यादा नुकसान झेलना पड़ा है।

 

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि हू शीजिन और कुछ नहीं, बल्कि चीन के आसिफ गफूर के रूप में सामने आए हैं, और उसके ऊट-पटाँग दलीलों के लिए भारतीय सोशल मीडिया यूज़र्स ने उसे ज़बरदस्त ट्रोल किया है। तब से ग्लोबल टाइम्स कुछ ज़्यादा ही बौखलाया हुआ है, क्योंकि उसका हर आर्टिकल पिछले वाले लेख से पूरी तरह भिन्न होता है।

जैसे बालाकोट के हवाई हमले के दौरान पाकिस्तान के आईएसपीआर ने अपनी नाक बचाने के लिए अजीबो-गरीब दलीलें दी थी, वैसे ही चीन की नाक बचाने के लिए ग्लोबल टाइम्स एक के बाद एक ऊटपटाँग लेख छाप रहा है, जबकि सच्चाई तो यही है कि 20 सैनिक खोने के बाद भी भारतीय टुकड़ी ने चीनी खेमे में त्राहिमाम मचाया था। एक लेख में अमन और शांति का पैगाम भेजने का प्रयास किया गया है, जिसमें ये भी कहा गया है कि, “इस हिंसक झड़प के बावजूद चीन और भारत के तनाव में कमी आ सकती है”।

इसके अलावा ‘हिन्दी चीनी भाई भाई’ के नारे को दोहराने का भी प्रयास किया गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में ग्लोबल टाइम्स ने अपने आधिकारिक अकाउंट से ट्वीट किया, “शंघाई के भारतीय रेस्टोरेंट अभी भी दुनिया भर के ग्राहकों की सेवा कर रहे हैं। आप देख सकते हैं कि कैसे इन भारतीय रैस्टौरेंट में ग्राहक भारतीय व्यंजनों का स्वाद ले रहे हैं”।

पर वहीं दूसरी तरफ उसी समय ग्लोबल टाइम्स भारत के विरुद्ध भड़काऊ लेखों और ट्वीट्स को भी बढ़ावा दे रहा है। उदाहरण के लिए हू शीजिन ट्वीट करते हैं, “भारतीय समाज को दो गलतफहमियाँ दूर करनी चाहिए। एक तो यह सोचना कि चीन भारतीय सैनिकों को एलएसी क्रॉस करने देगा और दूसरा यह कि भारतीय सेना चीन को पटखनी दे सकती है”।

इसी समय उसने भारतीय सैनिकों पर तंज़ भी कसा। एक और ट्वीट में यूं फरमाते हैं, “17 भारतीय सैनिक इसलिए मारे गए क्योंकि उन्हे समय पे बचाया नहीं गया है, जो भारत की कमियों को उजागर करता है, और साथ में इस बात पर भी प्रश्न चिन्ह लगाता है कि भारत के सैनिक क्या इतनी ऊंचाइयों पर लड़ने योग्य हैं!”

एक ओर ग्लोबल टाइम्स अमन का राग गाता है, तो वहीं दूसरी ओर वह अटैक हेलीकाप्टर और मिसाइल लॉंच के ड्रिल्स को भी ट्वीट करता है। इतना विरोधाभास देख कर तो एक बार को आप भी पूछोगे, “अरे भाई कहना क्या चाहते हो?”

 

सच कहें तो ग्लोबल टाइम्स बिलकुल अपने प्रमुख संपादक की तरह पगला गया है। कभी वह भारत और चीन के बीच अमन और शांति चाहता है, तो अगले ही पल उसे चीनी ताकत का दंभ भी भरना है। सच तो यह है कि चीन को अपनी हार को किसी भी तरह अपनी जनता से छुपाना है, और इसके लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है, चाहे बाद में अपना ही मज़ाक क्यों न उड़वाना पड़े।

 

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