चीनी मीडिया PM मोदी के जवाब देने के तरीके से भलीभांति परिचित है, इसीलिए जंग से पहले ही विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया

अपने देश चीन को बचाने के लिए चीनी मीडिया ने मोर्चा संभाल लिया है

China

भारत-तिब्बत बॉर्डर पर तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। आज यह खबर सामने आई कि बॉर्डर पर भारत-चीन के सैनिकों में हिंसक मुठभेड़ हुई, जिसमें भारत की ओर से तीन से ज़्यादा सैनिक शहीद हो गए। यह खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर चीन (China) के खिलाफ लोगों ने रोष प्रकट करना शुरू कर दिया, और साथ ही भारत सरकार पर चीन की आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब देने का दबाव भी बनाया। हालांकि, भारत के इस खुलासे के आधे घंटे के अंदर ही चीन (China) की ओर से ऐसा बयान आया जिसने सबको हैरानी में डाल दिया। चीनी सरकार मीडिया ने दावा किया कि चीनी सेना यानि PLA के भी 5 सैनिक मारे गए हैं, इसके अलावा 11 सैनिक बुरी तरीके से घायल हो गए हैं।

चीन (China) के मुखपत्र कहे जाने वाले Global times के मुख्य संपादक हु शिजीन ने ट्वीट करते हुए बताया “जहां तक मैं जानता हूँ, गलवान खाड़ी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच हुई शारीरिक झड़प में चीन के सैनिक भी मारे गए हैं। घमंड ना करें और चीन (China) को कमजोर न समझें। चीन भारत के साथ कोई विवाद नहीं झड़प नहीं चाहता है, लेकिन उससे डरता भी नहीं है”।

बाद में चीनी मीडिया ने इस बात की पुष्टि की, कि चीन (China) के 5 सैनिक मारे गए हैं। ट्विटर पर अलग-अलग लोग यह दावा कर रहे हैं कि दोनों तरफ मरने वाले सैनिकों की संख्या अभी जारी किए आंकड़ो से कहीं ज़्यादा हो सकती है। लेकिन यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो चीन कोरोना से मरने वाले लोगों के आंकड़ों को पूरी दुनिया से छिपाता फिरता है, उसने आखिर भारत-चीन विवाद में मरे सैनिकों की बात को कैसे स्वीकार कर लिया, वो भी भारत के बयान के महज़ आधे घंटे बाद?

यकीन मानिए, चीनी मीडिया कुछ भी यूं ही नहीं करती या कहती है। चीन (China) ने यह खुलासा भी सोच समझकर किया। दरअसल, जब भारत में यह खबर सबसे पहले फैलने लगी, तो भारत के लोगों ने भारत सरकार पर बदला लेने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में, चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की मांग की जाने लगी। चीनी मीडिया के लिए यही सबसे ज़्यादा समस्या खड़ी करने वाला था, क्योंकि PM मोदी जनता की उम्मीदों पर खरे उतरने वाले प्रधानमंत्री सिद्ध हुए हैं।

वर्ष 2016 में जब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने उरी में सोते हुए सैनिकों पर हमला कर उन्हें शहीद कर दिया था, तो भारत में पाकिस्तान पर कार्रवाई करने की मांग बड़े ही जोरदार तरीके से उठाई गयी थी। बस फिर क्या था, पीएम मोदी ने सेना को पाकिस्तानी आतंकवादियों के लॉन्च पैड्स पर धावा बोलने को कहा, और सेना ने पाकिस्तान के आतंकियों पर सर्जिकल strikes कर नया कीर्तिमान स्थापित किया। इसके अलावा वर्ष 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक कौन भूल सकता है। पाकिस्तान के आतंकियों ने पुलवामा में आतंकी हमला कर हमारे सैनिकों को शहीद किया तो भारत सरकार पर लोगों का दबाव बना। लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए पीएम मोदी की इजाज़त के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर फिर धावा बोला। यह भी खबर आई थी कि आतंकियों पर हमले में कई पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए थे। अब जब आज यह खबर आई कि चीन (China) ने भारत के 3 सैनिकों को शहीद कर दिया है, तो इसके बाद सरकार पर फिर बदला लेने का दबाव बनना शुरू हो गया।

चीन को पता था कि अगर भारत सरकार और PM मोदी किसी भी दबाव में आते हैं, तो भारतीय सेना या वायुसेना चीन (China) के खिलाफ भी किसी बड़े ऑपरेशन को अंजाम दे सकती है। संभवतः भारत सरकार से दबाव हटाने के लिए चीनी मीडिया तुरंत मैदान में उतरी और victim card खेलने लगी। चीन ने अपने यहाँ मौत का आंकड़ा भारत से ज़्यादा बताया, जिससे चीन (China) आक्रामक की बजाय पीड़ित के रूप में दिखे। चीन को डर था कि अगर उसने अपने मौत के आंकड़े सामने नहीं रखे, तो भारत चीन के खिलाफ बड़ा एक्शन लेने के लिए मजबूर हो जाएगा, इसके अलावा अमेरिका भी चीन को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। ऐसे में चीनी मीडिया ने अपने आंकड़े रखकर भारत सरकार को शांत करने की कोशिश की है। अब देखना यह होगा कि चीन की यह चालबाज़ी उसके कितने काम आती है।

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