कोरोना के बाद से ही चीन दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए दुनिया के तमाम लोकतांत्रिक देशों को आक्रामकता दिखा रहा है। पूर्व में दक्षिण कोरिया या जापान हो, दक्षिण में ताइवान या वियतनाम हो या फिर पश्चिम में भारत हो! चीन ने मानो इन सब लोकतान्त्रिक देशों को अस्थिर करने का बीड़ा उठा लिया है। हैरानी की बात यह है कि अपनी इस कोशिश में वह अकेला नहीं है, बल्कि वह अपने पालतू देशों को भी अपने विरोधियों के पीछे लगा रहा है, ताकि चीन के विरोधियों पर ज़्यादा दबाव बनाया जा सके। आप देखें, तो जहां एक तरफ उत्तर कोरिया दक्षिण कोरिया को हर रोज़ नई धमकी जारी कर रहा है, तो वहीं दक्षिण एशिया में चीन के पालतू नेपाल और पाकिस्तान भारत पर दबाव बना रहे हैं।
दरअसल, अभी हाल ही में अमेरिका ने अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम THAAD यानि Terminal High Altitude Area Defence को दक्षिण कोरिया में तैनात कर दिया था, जिसपर चीन ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। उसके बाद से ही उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया में तनाव देखने को मिल रहा है।
किम जोंग-उन के इशारे पर हाल ही में उत्तर कोरिया की सेना ने उस “Liaison office” को उड़ा दिया, जो उत्तर और दक्षिण के बीच शांति स्थापित करने का प्रतीक माना जाता था। इसके अलावा पिछले हफ्ते ही किम जोंग-उन की शक्तिशाली बहन किम यो-जोंग ने दक्षिण कोरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने की धमकी भी दी थी। किम यो जोंग ने कहा था, “सुप्रीम लीडर, हमारी पार्टी और देश की ओर से दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मैं हथियारों के विभाग के प्रभारी को यह निर्देश देती हूं कि वे अगली कार्रवाई के रूप में शत्रु के खिलाफ जोरदार कार्रवाई करें”।
इसके अलावा हाल ही में नॉर्थ कोरिया ने अमेरिका के खिलाफ न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल की भी धमकी दी है। नॉर्थ कोरिया ने कहा है कि अमेरिका उसके पास न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ रहा है। नॉर्थ कोरिया के चीन के अलावा दुनिया में और किसी देश के साथ रिश्ते मजबूत नहीं है। नॉर्थ कोरिया अपने कुल व्यापार का 90 प्रतिशत व्यापार अकेले चीन से ही करता है। ऐसे में अब चीन नॉर्थ कोरिया का भरपूर इस्तेमाल कर रहा है। दक्षिण कोरिया और अमेरिका के लिए एक और मोर्चा खोलने के लिए चीन उत्तर कोरिया को बीच में ला रहा है।
इसी प्रकार चीन ने अपने पश्चिम में भारत के खिलाफ पाकिस्तान और नेपाल को खड़ा कर दिया है। दोनों ही देश अभी चीन की कठपुतली की तरह बर्ताव कर रहे हैं। नेपाल जहां भारत के साथ बॉर्डर विवाद भड़का रहा है, तो वहीं पाकिस्तान भी LOC पर लगातार सीजफायर का उल्लंघन कर रहा है। हाल ही में आई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेपाल में मौजूद चीनी राजदूत ने ही प्रधानमंत्री ओली को बॉर्डर विवाद का मुद्दा भड़काने का विचार दिया था। इसी के बाद नेपाल ने भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा पर अपना दावा ठोका था। इतना ही नहीं, हाल में में नेपाल ने बिहार के चंपारण के कुछ हिस्सों पर भी अपना दावा ठोका है और भारत के अधिकारियों को इलाके में बाढ़-निरोधी निर्माण कार्य करने से रोका है। जब से नेपाल में प्रधानमंत्री ओली की सरकार बनी है, तभी से नेपाल चीन के ही पालतू की तरह बर्ताव कर रहा है।
पाकिस्तान तो भारत के विरोध में साल के 365 दिन बोलता ही रहता है। ऐसे में चीन को यहाँ किसी उकसावे की कोई ज़रूरत नहीं पड़ी होगी। नेपाल, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया, ये तीनों ही देश आज चीन के गुलाम बन चुके हैं और चीन ने Geopolitical फ़ायदों के लिए इन्हें मैदान में उतार दिया है। दुनिया के सभी लोकतान्त्रिक देशों को चीन के साथ-साथ इन खिलाड़ियों से भी बचकर रहना होगा।