BBC ने पहले स्वामी का झूठा बयान दिखाया, अब BBC को दिन में तारे दिखाने की तैयारी में सुब्रमण्यम स्वामी

अगला नंबर BBC का!

सुब्रमण्यम स्वामी

सुब्रमण्यम स्वामी देश के उन चुनिंदा राजनेताओं में शामिल हैं जो बिना किसी संकोच के अपनी बात खुलकर कहते हैं। उनके जितने प्रशंसक हैं, उतने ही कट्टर विरोधी भी, और ये विरोधी उनके बयानों को तोड़ मरोड़कर पेश करने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देते।

इसी परिप्रेक्ष्य में VICE मैग्जीन और UN के अफसरों की धुलाई करने के बाद अब सुब्रमण्यम स्वामी के निशाने पर आया है BBC। जिस एडिटेड क्लिप के कारण सुब्रमण्यम स्वामी ने VICE मैग्जीन की क्लास लगाईं थी, उसी क्लिप को बीबीसी ने अपने हार्ड टॉक नामक शो पर दोबारा चलाया, ताकि ये संदेश जा सके कि एक भाजपाई सांसद ने संविधान में अल्पसंख्यकों के समान अधिकार को खत्म करने की बात की हैं।

स्वामी ने इसीलिए बीबीसी की खबर लेने की घोषणा करते हुए ट्वीट किया, ” मुझे लगता है बीबीसी हार्ड टॉक के विरुद्ध मुकदमा दायर करना पड़ेगा, क्योंकि उसने VICE मैगज़ीन द्वारा प्रकाशित एक भ्रामक क्लिप को दोबारा से जानबूझकर चलाया है”। इतना ही नहीं, सुब्रमण्यम स्वामी ने बाद में बीबीसी को भारत के दुश्मनों के लिए एक उपयोगी फेक न्यूज़ आउटलेट की भी संज्ञा दी।

परन्तु उस एडिटेड क्लिप  में ऐसा क्या है, जिसके कारण बीबीसी ने स्वामी से पंगा मोल लेने की भूल की है? दरअसल, कुछ हफ्ते पहले UN के अंडर सेक्रेटरी जनरल एडमा डिएंग (Adama Dieng ) ने वाइस नामक पत्रिका की एक रिपोर्ट के आधार पर सुब्रमण्यम स्वामी पर ये आरोप लगाया था कि स्वामी भारतीय संविधान के अन्तर्गत मुसलमानों के लिए समान अधिकार नहीं चाहते।

अब चूंकि स्वामी ने इस संबंध में कभी कोई ऐसा बयान नहीं दिया था, इसलिए वे इससे बुरी तरह बौखला गए।  इसके बाद उन्होंने तत्काल प्रभाव से UN में भारत का प्रतिनिधित्व करने वालों अफसरों से कहा कि वे एडमा डिएंग से इस बयान का सोर्स निकलवाए, और यदि ऐसा नहीं है तो एडमा डिएंग से एक unconditional apology निकलवाए। इसके अलावा सुब्रमण्यम स्वामी ने एडमा डिएंग को कोर्ट तक घसीटने की धमकी दी थी।

यदि आप क्लिप को ध्यान से देखे, तो आपको ज्ञात होगा कि स्वामी ने कहीं भी ऐसी कोई बात नहीं कही थी। पत्रकार इसाबेल ईयूंग के सवाल के जवाब में सुब्रमण्यम स्वामी ने बोला कि जिस आर्टिकल का वे हवाला दे रही हैं, वो बराबर लोगों  को बराबरी कर गारंटी देता है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के मुसलमानों के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे वे भारतीय मुसलमानों के बराबर नहीं हो सकते। परन्तु  वाईस सहित अन्य वामपंथी पोर्टल्स ने उनके बयान को तोड़ मरोडकर पेश किया –

सुब्रमण्यम स्वामी वाईस को एक पाकिस्तानी आउटलेट बोलने से भी नहीं हिकिचाए है, जोकि उसके मूल संस्थापक को देखते हुए शत प्रतिशत सत्य भी है। शायद बीबीसी को पता नहीं है कि सुब्रमण्यम स्वामी से पंगा लेना मतलब अपनी शामत को गाजे बाजे सहित निमंत्रण देना है।

बीबीसी पिछले कुछ समय से अत्यंत भारत विरोधी और हिन्दू विरोधी कॉन्टेंट को बढ़ावा देता आया है। ऐसे में सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा बीबीसी पर कार्रवाई करना निस्संदेह एक सराहनीय प्रयास है, और अब बीबीसी की खैर नहीं।

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