अब भारत-ऑस्ट्रेलिया की सेनाएँ करेंगी एक दूसरे के military base का इस्तेमाल, ड्रैगन का सुलगना तय

अब बोलो चीन!

ऑस्ट्रेलिया

(PC: Free Press Journal)

4 जून को भारत-ऑस्ट्रेलिया की द्विपक्षीय वर्चुअल समिट के दौरान आखिर दोनों देशों ने Mutual Logistics Support Agreement यानि MLSA पर हस्ताक्षर कर ही लिए। पिछले वर्ष दिसंबर में भारत और ऑस्ट्रेलिया की 2+2 समिट के दौरान इस समझौते को पक्का कर लिया गया था और इस साल जनवरी में ऑस्ट्रेलिया के PM स्कॉट मॉरिसन की प्रस्तावित भारत यात्रा के दौरान इस समझौते पर साइन होने थे। हालांकि, तब बुशफायर की वजह से स्कॉट भारत नहीं आ सके थे। अब जब दोनों देशों ने इस अहम LSA पर हस्ताक्षर किए हैं, पूरी दुनिया का ध्यान इस खबर पर गया है। ऑस्ट्रेलिया और भारत, दोनों देशों के रिश्ते ही चीन के साथ खराब चल रहे हैं। चीन ने एक तरफ ऑस्ट्रेलिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं तो वहीं भारत के साथ भी वह बॉर्डर पर विवाद को बढ़ा रहा है। अब इस MLSA पर साइन होने के बाद दोनों देश एक दूसरे के military base को कई जरूरी सेवाओं के लिए उपयोग कर सकेंगे। इस खबर से चीन को जरूर बड़ा झटका लगा होगा।

MLSA साइन होने के बाद दोनों देशों की वायुसेना और नेवी एक दूसरे देश के सैन्य ठिकानों को रसद, रिफ़्यूलिंग, रख-रखाव और सैनिकों को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के लिए इस्तेमाल कर सकेंगी। इससे दोनों सेनाओं को एक दूसरे के क्षेत्रों में भी पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग करने में आसानी होगी और उनकी पहुँच बढ़ेगी। वर्चुअल समिट के दौरान भारत और ऑस्ट्रेलिया ने जाइंट स्टेटमेंट में कहा कि दोनों देशों के पास अपने रिश्तों को और सुधारने का और दोस्ती को मजबूती करने का यह बढ़िया समय है। इसके अलावा कई विशेषज्ञ इस बात को मानते हैं कि चीन की गुंडागर्दी दोनों देशों की साझेदारी को बड़ी तेजी से आगे बढ़ा सकती है, क्योंकि दोनों ही देश चीन की आक्रामकता को झेल रहे हैं।

भारत और ऑस्ट्रेलिया के इस समझौते के बाद Quad को भी नई ताकत मिलेगी। Quad भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का group है, जिसे वर्ष 2007 में जापान ने समुन्द्र में चीन के प्रभाव को कम करने के लिए बनाया था। भारत अमेरिका के साथ पहले ही MLSA साइन कर चुका है, अब ऑस्ट्रेलिया के साथ भी यह समझौता साइन कर लिया गया है। आने वाले सालों में भारत जापान के साथ भी ऐसा ही समझौता कर सकता है। इन प्रकार Quad के देशों में आपसी सहयोग बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है। एक तरफ जहां ये सभी देश चीन को दरकिनार करने की बात कर रहे हैं, तो वहीं आपसी सैन्य सहयोग को बढ़ाकर चीन को कडा संदेश भेज रहे हैं।

कोरोना के बाद से ही चीन को जमकर घेरने में ऑस्ट्रेलिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। ऑस्ट्रेलिया उन चुनिन्दा देशों में से एक था जिन्होंने वुहान वायरस की उत्पत्ति को लेकर सबसे पहले चीनी सरकार से जांच की मांग की थी। इससे चीन इतना चिढ़ गया कि उसने एक तरफ ऑस्ट्रेलिया से barley इम्पोर्ट पर इम्पोर्ट ड्यूटि को कई गुणा तक बढ़ा दिया, और दूसरी तरफ उसने ऑस्ट्रेलिया से बीफ इम्पोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया। इस सब के बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया से barley इम्पोर्ट का रास्ता साफ किया था। इसके अलावा भारत के साथ भी चीन ने पिछले महीने से ही भारत-तिब्बत सीमा पर विवाद को बढ़ा रखा है। अब जब दोनों देश साथ आकार अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत कर रहे हैं, तो चीन इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। ज़ाहिर है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के इस समझौते से indo-pacific क्षेत्र में चीन के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं।

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