कोरोना भले ही देश के लिए एक मुश्किल समय लाया हो लेकिन इस मुश्किल समय का भी भारत ने विश्व के कई देशों के साथ अपने संबंध और गहरा कर सदुपयोग ही किया है। इसी दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को फिलीपींस के राष्ट्रपति रोद्रिगो दुतर्ते से बात की, और महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में फिलीपींस का समर्थन करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया। फिलीपींस के राष्ट्रपति दुतर्ते ने फिलीपींस को आवश्यक दवा उत्पादों की आपूर्ति बनाए रखने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों की भी सराहना की।
भारत का इस तरह से अब फिलीपींस से अपनी नज़दीकियाँ बढ़ाने से कई फायदे होने वाले हैं जिसमें से सबसे प्रमुख है चीन को घेरने के लिए भारत की दक्षिण चीन सागर में उपस्थिती।
इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर ज़ोर देते हुए ट्वीट किया, ‘भारत और फिलीपींस कोरोना महामारी के स्वास्थ्य संबंधी एवं आर्थिक प्रभाव को कम करने तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारे साझा दृष्टिकोण को आकार देने के लिए एक दूसरे का सहयोग करेंगे।’
India and the Philippines will cooperate to reduce the health and economic impact of the pandemic, and to give shape to our common vision for the Indo-Pacific region.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 9, 2020
यानि देखा जाए तो अब भारत ने अपना South China Sea मिशन शुरू कर दिया है। उस क्षेत्र में फिलीपींस एक मजबूत तथा चीन विरोधी देश है, और ऐसे में भारत को दक्षिण चीन सागर में अपनी उपस्थिती को बढ़ाने के लिए इस देश के साथ अपने संबंध को और प्रगाढ़ करने हैं।
दरअसल, राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतर्ते वर्ष 2016 में सत्ता में आने के बाद से ही चीन (China) समर्थक रहे हैं, परंतु अब वे अपना पाला बदलते नजर आ रहे हैं। लेकिन दक्षिण चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीति तथा कोरोनोवायरस महामारी को फैलाने में चीन की भूमिका के बाद दुतर्ते ने अमेरिका के साथ सैन्य समझौते से बाहर होने के अपने फैसले पर दोबारा विचार करने का संकेत दिया है। यह समझौता अमेरिकी सैनिकों की फिलीपींस में रहने की अनुमति देता है। यही नहीं फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ उठाए गए कदम में वियतनाम का भी समर्थन किया है।
ऐसे में भारत के पास मौका था कि वह एक चीन विरोधी देश को अपने पाले में करे। भारत ने वही किया।
दक्षिण चीन सागर में अपनी उपस्थिती को बढ़ाने के लिए पहले भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ Mutual Logistics Support Agreement यानि MLSA पर हस्ताक्षर किया था। MLSA पर साइन होने के बाद दोनों देश एक दूसरे के military base को कई जरूरी सेवाओं के लिए उपयोग कर सकेंगे। इससे दोनों सेनाओं को एक दूसरे के क्षेत्रों में भी पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग करने में आसानी होगी और उनकी पहुँच बढ़ेगी। साथ ही भारत की नजर दक्षिण चीन सागर पर भी रहेगी। भारत इसी तरह के समझौते को जापान के साथ भी करने वाला है, यानि अगर देखा जाए प्रशांत महासागर क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया, जापान और फिलीपींस के साथ भारत के रिश्ते बढ़ने से भारत दक्षिण चीन सागर में उतर जाएगा और यह चीन के किए किसी दुस्वप्न से कम नहीं होगा।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने भी यह स्पष्ट किया था कि दक्षिण चीन सागर ग्लोबल कॉमन्स का एक हिस्सा है और भारत इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता चाहता है। उन्होंने प्रेस ब्रीफ के दौरान कहा था, “हम अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, इन अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों में नेविगेशन और ओवरफलाइट और बिना लाइसेंस वाले वैध वाणिज्य की स्वतंत्रता के साथ मजबूती से खड़े हैं। भारत यह भी मानता है कि किसी भी मतभेद को कानूनी और कूटनीतिक प्रक्रियाओं के दायरे में और बल का उपयोग किए बिना शांति से हल किया जाना चाहिए।“
South China Sea is a part of Global Commons and India has an abiding interest in peace and stability in the region: MEA last week on China changing status quo in SCS pic.twitter.com/m20gGvoE0D
— Sidhant Sibal (@sidhant) May 25, 2020
United Nations Conference on Trade and Development (UNCTAD) की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक व्यापार के कुल Volume का लगभग 80 प्रतिशत और कुल Value का 70 प्रतिशत दक्षिण चीन सागर से किया जाता है। उसमें Volume के हिसाब से, 60 प्रतिशत समुद्री व्यापार एशिया से होकर गुजरता है। चीन का भी लगभग 60 प्रतिशत समुद्री व्यापार इसी क्षेत्र से होता है। वही भारत के कुल व्यापार का लगभग 30 प्रतिशर दक्षिण चीन सागर से गुजरता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है यह क्षेत्र दोनों देशों के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
इस वजह से भारत का इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाना आवश्यक है। और इसके लिए भारत तथा फिलीपींस के संबद्ध अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
बता दें कि भारत ने 1992 में लुक ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत करते हुए ASEAN के साथ संबंध बढ़ाने के क्रम में फिलीपींस के साथ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय संबंधों पर आगे बढ़ा। इसके बाद भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी (Act East Policy) के तहत भारत-फिलीपींस संबंधों को एक नई जान मिली है। पिछले वर्ष दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध के 70 वर्ष हुए थे। इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति ने फिलीपींस के क्विज़ोन शहर के मरियम कॉलेज में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया।
उस दौरान भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने मनीला में भारत-फिलीपींस व्यापार सम्मेलन तथा 4th आसियान-भारत व्यापार सम्मेलन को संबोधित किया था। उस दौरान भारत और फिलीपींस रक्षा तथा समु्द्री सुरक्षा क्षेत्र में साझेदारी को बढ़ावा देने तथा इसे द्विपक्षीय सहयोग का मुख्य आधार बनाने पर सहमत हुए थे। फिलीपींस का अब अमेरिका और भारत के पाले में आने से भारत का दक्षिण चीन सागर में अपनी उपस्थिती दर्ज करना और आसान हो गया है।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबद्ध को और बढ़ाने पर काम किया है जिससे भारत को दक्षिण चीन सागर तथा Indo-Pacific क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाने का मौका मिले और भारत चीन को उसी के भाषा में जवाब दे सके।