वैश्विक सप्लाई चेन से चीन को बाहर करने के लिए भारत ने master plan बनाया, अब वह सफल होने जा रहा है

भारत ने गड्ढा खोदा, चीन उसमें खुशी-खुशी कूद गया

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(PC: CNN)

आज दुनिया एक जुट है कोरोना को हराने के लिए, कल यही दुनिया एकजुट होगी चीन को हराने के लिए! दुनिया के सभी लोकतान्त्रिक देश तो चीन की हेकड़ी निकालने के लिए पहले ही एकसाथ हो लिए हैं। पिछले तीन दशकों में दुनिया के रहमो करम पर अपनी अर्थव्यवस्था में चार चाँद लगाने वाला चीन आज उसी दुनिया को तबाह करने पर अड़ा है। हालांकि, चीन की ये कोशिश अमेरिका और भारत जैसे देश सफल नहीं होने देंगे। आज ये देश प्लान बना रहे हैं कि आने वाले कुछ सालों में चीन को वैश्विक सप्लाई चेन से बाहर फेंका जाना चाहिए। भारत तो इसकी तैयारी शुरू भी कर चुका है।

दरअसल, भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर अपने यहाँ boycott China मुहिम को शुरू किया है। इसके तहत सरकार ना सिर्फ सरकारी प्रोग्रामों से चीनी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखा रही हैं, बल्कि अपने लोगों को सिर्फ और सिर्फ भारत में बने सामान खरीदने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। इसी कड़ी में सरकार ने पिछले दिनों देश के बन्दरगाहों पर चीन से आयात किए गए सामान की 100 प्रतिशत जांच करने का फैसला लिया, जिसकी वजह से बन्दरगाहों पर चीनी सामान को clearance मिलने में देरी हो रही है और चीन का सामान ऐसे ही कई दिनों से बन्दरगाहों पर पड़ा हुआ है।

बता दें कि भारत सरकार के इस अनौपचारिक कदम से चीनी सामान खरीदने वाले भारतीय व्यापारी भी हतोत्साहित होंगे। इससे देश में चीनी सामान के आयात को काफी हद तक कम करने में आसानी मिलेगी। भारत सरकार ने इस कदम को बड़ी ही चालाकी से चला। भारत सरकार को यह पता था कि अगर भारत ऐसा कोई कदम उठाता है, तो चीन भी भारत के खिलाफ ऐसा ही कोई कदम उठाएगा। हुआ भी ऐसा ही! अब चीन ने भी भारत से आयात होने वाले सामान को अपने बन्दरगाहों पर रोकना चालू कर दिया है। चीन के इस कदम से भारत के एक्स्पोर्टर्स नाराज़ हो सकते हैं। भारत सरकार यही चाहती थी कि भारतीय एक्स्पोर्टर्स चीन से इस हद तक कुंठित हो जाएँ कि वो किसी अन्य देश में अपने सामान को एक्सपोर्ट करना शुरू कर दें। इससे भारत की सप्लाई चेन से चीन को बाहर करने में बड़ी मदद मिलेगी। रोचक बात यह है कि बदले की भावना से कार्रवाई कर चीन अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है, और उसे इस बात का अंदाज़ा तक नहीं है। यहाँ भारत सरकार ने प्लान बनाया और चीन उसमें फँसता चला गया। भारत सरकार ने गड्ढा खोदा और चीन उसमें खुशी-खुशी कूद गया।

इसी साल 30 अप्रैल को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी यह कहा था कि अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और वियतनाम जैसे देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि सप्लाई चेन को दुरुस्त किया जा सके। ज़ाहिर सी बात यह है कि अब ये सभी देश मिलकर वैश्विक सप्लाई चेन से चीन को बाहर करने की योजना पर काम कर रहे हैं। भारत भी इस योजना में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है। चीन ने जिस प्रकार लद्दाख में भारत के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया है, उसके बाद से भारत ने अपने चीन-विरोधी कदमों में और तेजी ला दी है।

भारत के इस कदम से भारत को कुछ समय के लिए परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन लंबे समय में यह चीन को नुकसान पहुंचाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन पर आर्थिक प्रहार करने वाले दर्जनों देश हैं। भारत सरकार अपने अन्य साझेदार देशों के साथ मिलकर चीन को बर्बाद करने के प्लान पर काम कर रहा है। आज भारत जिस प्लान पर काम कर रहा है, उसके परिणाम आज से कुछ सालों के बाद देखने को मिलेंगे और जब चीन को इस बात का अहसास होगा, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।

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