“केजरीवाल OUT -अमित शाह IN”, कोरोना के सामने केजरीवाल ने हाथ खड़े कर दिये, अब शाह संभालेंगे कमान

देर आए, दुरुस्त आए!

अमित शाह

(PC: India TV)

दिल्ली में वुहान वायरस ने विकराल रूप धारण कर लिया है। लगभग 40 हज़ार  मामलों के साथ दिल्ली क्षेत्र के केस देश के बाकी राज्यों से कहीं ज़्यादा है, और कोरोना के मामले में उससे आगे केवल महाराष्ट्र और तमिलनाडु है। लेकिन जिस तरह से दिल्ली में मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में यदि दिल्ली कुछ ही दिनों में मुंबई को भी पीछे छोड़ दे, तो किसी को कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए।इस पूरे प्रकरण में न केवल दिल्ली सरकार की पोल खुली है, अपितु गृह मंत्रालय को भी अब मामला अपने हाथों में लेने को विवश होना पड़ा है। गृह मंत्रालय की ओर से किए गए ट्वीट के अनुसार, “गृह मंत्री श्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एसडीएमए के सदस्यों के साथ COVID 19 को लेकर राजधानी की व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में एक बैठक आयोजित करेंगे। इसमें एम्स के निदेशक और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी भी उपस्थित होंगे” –

ट्वीट के अनुसार ऐसा लगता है की स्वयं स्वास्थ्य मंत्री को भी दिल्ली सरकार की व्यवस्था से कोई आशा नहीं है। इसीलिए शनिवार को डॉ हर्ष वर्धन ने दिल्ली के नगर निगम के महापौर के साथ बैठक आयोजित की थी। इससे स्पष्ट होता है कि दिल्ली में स्थिति कितनी चिंताजनक है और क्यों दिल्ली सरकार इसे संभालने में पूरी तरह नाकाम रही है।

इस परिप्रेक्ष्य में सुप्रीम कोर्ट ने भी केजरीवाल सरकार को काफी लताड़ लगाई है। देश के सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार दिल्ली सरकार जिस तरह से वुहान वायरस के मरीजों के साथ बर्ताव कर रही है, वो जानवरों से भी बदतर है। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसके कौल, और जस्टिस एम आर शाह के पीठ ने ये भी बताया कि दिल्ली की वर्तमान स्थिति काफी भयानक और दिल दहला देने वाली है। कोर्ट के अनुसार, “दिल्ली की व्यवस्था और उसके अस्पताल की हालत काफी दयनीय है। मरीजों के साथ हो रहा व्यवहार देख लीजिये। मरीज रो रहे हैं पर कोई उन्हें देखना भी नहीं चाहता। मरीजों की मृत्यु के बाद परिजनों को जानकारी भी नहीं दी जाती”।

परंतु केजरीवाल सरकार का व्यवहार देखकर ऐसा बिलकुल नहीं लगता है कि उन्हे इस स्थिति के बारे में तनिक भी चिंता है। सुप्रीम कोर्ट ने टेस्टिंग संख्या में गिरावट को देखते हुए केजरीवाल सरकार को आड़े हाथों लिया था। पर हद तो तब हो गई जब केजरीवाल के दावों के ठीक उलट एमसीडी ने ये आंकड़े जारी किए कि अब तक दिल्ली में इस महामारी के कारण लगभग 2100 लोग मारे जा चुके हैं।

परंतु मजाल है कि केजरीवाल सरकार तनिक भी दिल्लीवालों की सुध ले। उल्टे जनाब को दिल्लीवालों के लिए अस्पताल आरक्षित करने जैसी ऊटपटाँग योजनाएँ सूझ रही है। आखिर किस किस को बेवकूफ़ बनाएगी केजरीवाल सरकार?

बता दें कि वर्तमान आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में वुहान वायरस से रिकवरी रेट मात्र 38 प्रतिशत है, जो 50 प्रतिशत से अधिक के राष्ट्रीय रिकवरी रेट से काफी कम है। इसके अलावा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सीसोदिया का मानना है कि यदि स्थिति नहीं सुधरी, तो जुलाई खत्म होते होते दिल्ली को डेढ़ लाख अतिरिक्त बेड्स की आवश्यकता पड़ेगी, और शायद दिल्ली के कुल मामले 55 लाख के पार भी जा सकते हैं।

परंतु बात यहीं पर नहीं रुकती। जब केजरीवाल ने दिल्ली के अस्पताल केवल दिल्ली वालों के लिए आरक्षित करने का ऐलान किया, और बाद में जब दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल ने केजरीवाल इस निर्णय को निष्क्रिय किया, तो मनीष सीसोदिया श्रीमान बैजल पर ही टूट पड़े। जनाब कहते हैं, “एलजी साहब के निर्णय के कारण दिल्ली सरकार के लिए काफी समस्या बढ़ गई है, और हमारे लाख मना करने के बावजूद उन्होंने हमारी बात नहीं मानी”।

शायद इसीलिए गृहमंत्री अमित शाह ने अब मामला अपने हाथों में लिया है।  इस समय केवल अमित शाह ही हैं जो दिल्ली को इस दलदल से बाहर निकाल सकते हैं। इससे ज़्यादा विडम्बना की बात क्या होगी कि जिस क्षेत्र का अपना मुख्यमंत्री है, उसे मदद के लिए देश के गृहमंत्री पर निर्भर होना पड़ेगा। अब दिल्ली को बचाना अमित शाह के हाथों में है।

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