“अब बोलो राजदीप”, लद्दाख के genius innovator सोनम वांगचुक के शानदार जवाब ने राजदीप को सन्न कर दिया

अपनी बेइज्जती करवाना राजदीप की आदत बन गयी है

सोनम वांगचुक

भारत में कई प्रकार के पत्रकार हैं, जैसे कुछ काली स्क्रीन वाले, कुछ “Nation Wants to know” कहने वाले और कुछ लोग अपने चैनल के जरिये पाकिस्तान की मदद करने वाले। लेकिन राजदीप सरदेसाई जैसा कोई नहीं है। मतलब अपनी इतनी बेइज्जती कौन करता है भाई? आखिर ये सवाल भी तो ऐसे ही पूछते हैं जिससे इनकी ही बेइज्जती होती है। इस बार राजदीप को जाने-माने इनोवेटर सोनम वांगचुक ने धोया है।

दरअसल, कुछ दिनों पहले सोनम वांगचुक ने चीन को सबक सिखाने के लिए ‘सेना देगी बुलेट से, नागरिक देंगे वॉलेट से जवाब’ नाम का एक बेहद शानदार अभियान शुरू किया। एक वीडियो जारी करते हुए उन्होंने देश के नागरिकों को made in China को त्यागने का आह्वान किया था। ऐसा लगता है कि देश में चल रहा anti-china माहौल राजदीप सरदेसाई को पसंद नहीं आ रहा है और उन्होंने सोनम से अपने कार्यक्रम में कुछ ऐसे ही सवाल पूछे। राजदीप ने सोनम से पूछा कि “क्या चीनी सामान या चीन के मोबाइल को छोड़ना आज के globalised world में प्रैक्टिकल है? क्या आज चीन का आर्थिक बहिष्कार संभव है ? या आप बस लाईम लाइट में रहना चाहते हैं”?

इसके बाद सोनम ने ऐसा उत्तर दिया कि राजदीप का मुंह ही उतर गया। सोनम वांगचुक ने कहा,“यह तो भारतीय समझेंगे कि उनके लिए क्या फायदेमंद है। और जहां तक इसके प्रैक्टिकल होने का सवाल है मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि जब जैन से यह कहा गया था कि खाने को प्याज लहसुन के बिना खाना प्रैक्टिकल नहीं है तब क्या उन्होंने प्याज, या चिक़ेन खाना शुरू कर दिया? नहीं न? वे अपनी आस्था और अपने धर्म पर अड़े रहे। आज उनके लिए जैन रेस्टोरेन्ट भी खुल चुके हैं। इको सिस्टम या बाजार अपने आप को कस्टमर के अनुरूप ढाल लेता है।“ उनके कहने का अर्थ स्पष्ट था कि अगर भारतीय चाहे तो क्या नहीं हो सकता।

उन्होंने आगे कहा कि,“कस्टमर ही किंग होते हैं और वे ही मार्केट को जीवित रखते हैं। बिजनेस कस्टमर के अनुसार अपने आप को ढाल लेते हैं। अगर भारत के लोगों या विश्व के लोगों ने चीन का बॉयकॉट बड़े स्तर पर किया तो कंपनियाँ चीन से बाहर जाने के लिए मजबूर हो जाएंगी।“

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर हम प्रतिबद्ध है तो चीन का बॉयकॉट करना प्रैक्टिकल है अगर नहीं है तो यह प्रैक्टिकल नहीं है।

यानि यहाँ पर देखे तो दबे शब्दों में उन्होंने राजदीप को ही यह कह दिया कि ऐसा लगता है आप प्रतिबद्ध नहीं है।

इस कार्यक्रम के दौरान जब राजदीप ने सोनम से पूछा कि क्या वह लद्दाख के सभी लोगों के लिए बोल रहे हैं? इस पर वांगचुक ने कहा कि उन्होंने लद्दाख के लोगों की ओर से इस गुस्से को दुनिया तक पहुंचाने में देर कर दी है। उनके कहने का अर्थ यह था कि लद्दाख के लोग कई वर्षों से चीन को उसकी दादागिरी के कारण नफरत भरी निगाहों से देखते हैं।

हालांकि यह पहकी बार नहीं है कि राजदीप ने सोनम का मज़ाक उड़ाने की कोशिश की हो और वे स्वयं हंसी का पात्र बन गए हों। इससे पहले जब सोनम वांगचुक का चीन को बॉयकॉट करने के संदेश वाला वीडियो सामने आया था,  तब राजदीप ने फेक न्यूज़ फैलाते हुए ट्वीट किया था कि जब वह चीनी ऐप्स का उपयोग किए बिना रह सकते हैं, तो स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का क्या किया जाए जो, “मेड इन चाइना” है?

हालांकि कुछ देर बाद ही राजदीप ने यह ट्वीट डिलीट कर दिया, लेकिन उनका इरादा साफ था कि किसी भी तरह से सोनम वांगचुक के अभियान का मज़ाक उड़ाया जाए। राजदीप को शायद यह पता नहीं है कि भारतीय अपने दुश्मन को घुटनों लाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।राजदीप ने पत्रकार होते हुए भी यह पता लगाने का प्रयास नहीं किया कि सिर्फ बाहरी परत को छोड़ कर पूरे statue को L&T कंपनी ने भारत में बनाया था। बाहरी परत जैसे सरदार पटेल के कपड़े और उनके चेहरे के हावभाव को चीन में बनाया गया था।

लगता है कि राजदीप सरदेसाई में कोई शर्म ही नहीं बची है, जिन्हें शायद अपनी बेइज्जती कराने में कुछ ज़्यादा ही मज़ा आता है। इसीलिए कुछ वर्ष पहले जनाब ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अपने अक्खड़ स्वभाव में बात करने का प्रयास किया था, जिसके लिए प्रणब दा ने इनकी खूब धुलाई भी की थी। उन्होंने राजदीप से कहा था कि वह एक आम आदमी से नहीं बल्कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति से बात कर रहे हैं, जिसके बाद राजदीप ने धीरे से माफी भी मांगी थी। एजेंडावादी पत्रकारिता के चक्कर में राजदीप सरदेसाई किस हद तक गिर सकते हैं, इसके हमें कई उदाहरण देखने को मिल चुके हैं। हालांकि, हर बार राजदीप अपनी ही भद्द पिटवाकर हार मानता है।

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