किसी जमाने में बालासाहेब ठाकरे ने क्या खूब कहा था, “जब मॉस्को में बारिश होती है, तो मुंबई के कम्यूनिस्ट अपनी छतरी खोल लेते हैं”। ये बात अपनी लिबरल ब्रिगेड पर भी खूब सटीक बैठती है। अगर भारत सरकार देश के किसी शत्रु के विरुद्ध कैसा भी कदम उठाए, तो शत्रु से ज़्यादा पीड़ा देश में बैठे इन आस्तीन के साँपों को होती है। लिहाजा टिक टॉक पर प्रतिबंध क्या लग गया, मानो इन्हें कोई निजी नुकसान हुआ हो।
इसकी शुरुआत पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने की, जिनके ट्वीट से साफ झलक रहा था कि उन्हे इस निर्णय से कितनी चोट पहुंची है। मोहतरमा ट्वीट करती है, “20 भारतीय सैनिक मारे गए, और भारत ने क्या किया? सिर्फ टिक टॉक बैन किया। चीन अपना कब्जा जमाया हुआ है, उससे कोई मतलब नहीं” –
20 Indian soldiers die. We ban tik tok. The Chinese are still in occupation of our territory
— Swati Chaturvedi (@bainjal) June 30, 2020
इसके बाद ये खबर सामने आई थी कि टिक टॉक समेत कई चीनी एप्स ने कथित तौर पर पीएम मोदी द्वारा कोविड 19 के लिए स्थापित किए पीएम केयर्स फंड में करीब 50 करोड़ रुपये से अधिक का दान किया था। इसके बाद भी जब एप पर बैन लगाया गया, तो कुछ लिबरल सदस्यों को ये निर्णय भी रास नहीं आया। इन्ही में अग्रणी थे बड़बोले अधिवक्ता प्रशांत भूषण, जिन्होंने ट्वीट किया, “एक विनम्र चाय वाले को एक विनम्र संगठन का इतना बड़ा दान, फिर भी एप पर प्रतिबंध? बहुत नाइंसाफी है!” –
Tik Tok's humble contribution of 30 Crores to humble Chaiwala's fund! So ungrateful! https://t.co/Ht5t22oJEI
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) June 30, 2020
अब ऐसे में हमारे दुग्गल साब यानि ध्रुव राठी कैसे पीछे रहते। जनाब ने तो पूरी लिस्ट निकाल ली, कि कैसे कई चीनी एप द्वारा पीएम केयर्स फंड में बड़ा बड़ा दान करने के बाद भी पीएम मोदी की सरकार ने उनपर प्रतिबंध लगाकर अन्याय किया है। इस लिबरल के ट्वीट के अनुसार, “इन चीनी कंपनियों ने पीएम केयर्स फंड को डोनेट किया है – Xiaomi ने 10 करोड़ रुपये, Huawei ने 7 करोड़ रुपये, वन प्लस ने 1 करोड़ रुपये, ओप्पो ने 1 करोड़ रुपये और टिक टॉक ने 30 करोड़ रुपये” –
Chinese Companies donations to PMCARES Fund
Xiaomi: ₹10 Crore
Huawei: ₹7 Crore
One Plus: ₹1 Crore
Oppo: ₹1 Crore
TikTok: ₹30 Crore— Dhruv Rathee (@dhruv_rathee) June 28, 2020
अब चूंकि टिक टॉक बैन हो चुकी है, इसलिए अब कुछ विशेष प्रकार के नमूनों को इस बात की चिंता है कि चीन से लिए 30 करोड़ रुपयों का क्या होगा। इसी पर कटाक्ष करते हुए राघव झा नामक ट्विटर यूजर्स ने कांग्रेस की पोल खोलते हुए उनके आईटी सेल के सदस्यों के कुछ ट्वीट्स सार्वजनिक किए, और लिखा, “टिक टॉक बंद होने से बेरोजगारी काफी बढ़ चुकी है। देखिये 30 करोड़ के कमीशन के लिए कितनी धक्का मुक्की हो रही है” –
Tiktok बंद होने से बेरोजगारी बढ़ चुकी हैं
देखिये 30 करोड़ के कमीशन के लिए कितनी धक्का मुक्की #चीन_का_काल_मोदी pic.twitter.com/GbFMmy80HO
— अल्हड़ ✍️ (@Raghavjha20f) June 30, 2020
लेकिन कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने इसमें भी भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता का एंगल ढूंढ निकाला। सीएए विरोध के नाम पर दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में दंगा भड़काने में आरोपित मिली गज़ेट ने केंद्र सरकार पर अल्पसंख्यक विरोधी होने का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया, “एक्स्पर्ट्स का मानना है कि टिक टॉक एक बहुत ही इंक्लूसिव प्लैटफ़ार्म है जहां पर मुसलमानों, दलितों और अन्य अल्पसंख्यकों को खूब अवसर मिलते थे। ये चीज़ दक्षिणपंथी नहीं पचा पा रहे हैं, और इसीलिए जो आज हुआ, वो असल ज़िंदगी में एक दंगे के बराबर है, क्योंकि ये प्रतिबंध एक सफल मुसलमान पर हमले के बराबर है” –
पर अल्का लांबा तो इन लोगों से भी दो कदम आगे निकलीं। कांग्रेस की सदस्य ने पीएम मोदी सरकार पर कमीशनखोर होने का आरोप लगाते हुए ट्वीट किया, “रवि शंकर प्रसाद – अरे टिक टॉक हमने तो मज़ाक किया था, लाओ दो #PMCaresFunds में और 30 करोड़, और अपना काम पहले जैसे चालू करो” –
रवि शंकर प्रसाद : अरे TikTok हमने तो मज़ाक किया था, लाओ दो #PMCaresFunds में और 30 करोड़, और अपना काम पहले जैसे चालू रखो… https://t.co/4FkXh5RpLP
— Alka Lamba 🇮🇳 (@LambaAlka) June 30, 2020
ऐसे में ये कहना गलत होगा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने एक तीर से दो लक्ष्य भेदे हैं। एक तो टिक टॉक जैसे कुत्सित एप को बैन कर चीन के पेट पर लात मारी है, तो दूसरा उन लिबरल आस्तीन के साँपों की भी पोल खोली है, जो खाते भारत का है, लेकिन गाते भारत के शत्रुओं का।