चीन के मुद्दे पर केंद्र का समर्थन करने के बाद मायावती बनी इस्लामिस्टों और लिबरलों की दुश्मन नंबर-1

चीन का विरोध करने पर लिबरलों को इतना दर्द क्यों होता है?

मायावती

(PC: The Week)

जैसे-जैसे चीन और भारत के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे कई भारतीय राजनीतिक दलों की वास्तविक निष्ठा भी खुलकर सामने आ रही है। कांग्रेस जैसे दल तो बढ़-चढ़कर यह सिद्ध करने में लगे हुए हैं कि वे भारत को छोडकर किसी के भी प्रति वफादार हो सकते हैं। इसी बीच बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सभी को हैरान करते हुए ये कहा कि भारत चीन मुद्दे पर वे भाजपा के साथ खड़ी हैं, और विपक्षी पार्टियों को अपनी कुत्सित राजनीति छोड़कर इस समय एक हो जाना चाहिए।

मायावती के परिप्रेक्ष्य से ये कोई हैरानी की बात नहीं है, क्योंकि कई अवसरों पर उन्होने सिद्ध किया है कि वैचारिक रूप से वे भले भाजपा से भिन्न हो, परंतु राष्ट्र के मुद्दों पर वह कोई समझौता नहीं करेंगी। पिछले वर्ष जब केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबंधी प्रावधानों को निरस्त करने का निर्णय लिया था, तब भी मायावती ने सभी को हैरत में डालते हुए केंद्र सरकार के कदम का समर्थन किया था।

परंतु कोई व्यक्ति या राजनीतिज्ञ भारत का पक्ष ले, और वामपंथी ब्रिगेड आहत न हो, ऐसा हो सकता है भला? इनके प्रकोप से मायावती भी नहीं बच पाई, और उनपर भी कांग्रेस और उसके चाटुकारों ने जमकर निशाना  साधा। इसकी शुरुआत करते हुए यूपी कांग्रेस ने ट्वीट किया, “जब देश के साथ खड़े होना है तो मायावती जी भाजपा के साथ खड़ी हैं। भाजपा तो खुद कहीं नहीं खड़ी है। बिल में दुबकी बैठी हैं” –

बस, फिर क्या था, भाजपा के बहाने कांग्रेस के चाटुकारों ने जातिवाद का विष फैलाना भी शुरू कर दिया। कांग्रेस आईटी सेल से जुड़े श्रीनिवास बी वी ने किसी बैकरूम डील की ओर इशारा करते हुए तंज़ कसा, “सब सीबीआई, ईडी और आईटी डिपार्टमेन्ट की कृपा है” –

 

इसी बीच  विवादित पत्रकार और मुसलमानों के स्वघोषित ठेकेदार रिफ़त जावेद ट्वीट करते हैं, “प्रिय मुसलमानों, पिछले वर्ष के चुनावों में तुमने इस व्यक्ति का चुनाव किया था । मुबारक हो!” –

इतना ही नहीं, पत्रकार प्रशांत कनौजिया भी उपदेश देने के लिए ट्विटर पर प्रकट हुए, जहां उन्होंने लिखा, “बहन मायावती जी, पार्टी को भाजपा में विलय क्यों नहीं कर देती? आज कांशीराम जीवित होते तो आपको तुरंत पार्टी से बाहर करते। देश के दलितों को अब इनका असली चेहरा पहचान लेना चाहिए”। अच्छा जी, तो अब प्रशांत कनौजिया दलितों के मसीहा बने घूम रहे हैं, जबकि यही वो प्राणी है, जिसने दलितों की तुलना पशुओं से की थी, और जिसे कुछ समय के लिए सलाखों के पीछे भी जाना पड़ा था। सही कहा था ऐसे लोगों के लिए मोदी जी ने, “हिपोक्रेसी की भी सीमा होती है” –

लगता है कांग्रेस अभी भी अपनी बेइज्ज़ती भूली नहीं है, तभी वे मायावती के पीछे हाथ धोके पड़ी है। बसपा के विधायक हथियाने के पीछे मायावती ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए एक लंबे चौड़े ट्वीट थ्रेड में कांग्रेस की धज्जियां उड़ा दी थी, जहां उन्होने लिखा था, “आज पूरे देश में कोरोना लॉकडाउन के कारण करोड़ों प्रवासी श्रमिकों की जो दुर्दशा दिख रही है, उसकी असली कसूरवार कांग्रेस है, क्योंकि आज़ादी के बाद इनके लंबे शासनकाल के दौरान अगर तेज़ी से रोज़ी रोटी की सही व्यवस्था गाँव / शहरों में की होती, तो इन्हे दूसरे राज्यों में क्यों पलायन करना पड़ता?” –

चूंकि कांग्रेस के पास भाजपा को घेरने के लिए कोई ठोस तर्क उपलब्ध नहीं है, इसलिए उसने अब उन लोगों को घेरना शुरू कर दिया है, जो राष्ट्रीय मुद्दों पर केंद्र सरकार का समर्थन करते हैं। लेकिन जिस तरह से मायावती ने कांग्रेस की पूर्व में धुलाई की है, उस हिसाब से कांग्रेस अपनी ही राजनीतिक कब्र गाजे बाजे सहित खोद रही है।

 

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