कोरोना की वजह से तबाह हुई अर्थव्यवस्था को दोबारा गति देने के लिए सभी देश अपनी-अपनी कोशिशों में जुटे हुए हैं। इसी क्रम में म्यांमार ने भी COVID-19 रिकवरी प्लान जारी किया है, जिसमें इनफ्रास्ट्रक्चर को काफी महत्व दिया है। परंतु इस प्लान की खास बात यह है कि यह प्लान ऐसे किसी भी चीनी infrastructural प्रोजेक्ट को अनुमति नहीं देता है, जो BRI के तहत विकसित किया जा रहा है। यह सभी को पता है कि चीन म्यांमार में BRI के तहत करोड़ों के प्रोजेक्ट्स चला रहा है लेकिन अब म्यांमार की सरकार के इस प्लान से चीन के BRI को तगड़ा झटका लगा है।
जब से कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में आतंक मचाया है तब से चीन को चारों तरफ से झटका लग रहा है। एक तरफ ऑस्ट्रेलिया ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है तो दूसरी तरफ ताइवान ने। हाँग-काँग को लेकर UK पेंच कस रहा है तो LAC पर भारत ने चीन को नानी याद दिलाई हुई है। अर्थव्यवस्था का तो खैर सब जगह बुरा हाल है। कोरोना से हुई क्षति के कारण चीन की साख विश्व के सभी क्षेत्रों से कम हो चुकी है।
इससे चीन के बेहद महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट BRI को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है। South East Asia हो या South China Sea या अफ्रीका ही क्यों न हो, सभी क्षेत्रों के देश अब चीन से दूरी बना रहे हैं। चीन की सच्चाई अब सभी के सामने आ चुकी है और अब सभी देश जाग रहे हैं। इसी क्रम में अब म्यांमार भी जाग चुका है।
दरअसल, जब म्यांमार ने COVID-19 रिकवरी प्लान जारी किया तो उसमें एक पॉइंट ने सभी का ध्यान खींचा। इस पॉइंट में श्रमिकों को इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर दोबारा काम दे कर कोरोना के प्रभाव को कम करने की बात कही गयी थी। इससे सभी को लगा कि इस कदम से चीन द्वारा चलाये जा रहे BRI प्रोजेक्ट्स को बिना किसी जांच के पारित कर दिया जाएगा। चीन म्यांमार में कई तरह के प्रोजेक्ट BRI के तहत चला रहा है जैसे The New Yangon City; Kyaukphyu Deep-Sea Port and Industrial Zone और China-Myanmar Cross-Border Economic Cooperation Zone प्रोजेक्ट आदि। कुछ प्रोजेक्ट तो ऐसे भी है जो चीन को सीधे तौर पर हिन्द महासागर से जोड़ने के लिए विकसित किए जा रहे हैं, लेकिन उससे म्यांमार को कोई फायदा नहीं होगा।
परंतु अब म्यांमार सरकार के एक अधिकारी ने यह स्पष्ट किया है कि COVID-19 Economic Relief Plan में किसी भी चीनी इनफ्रास्ट्रक्चर को प्रमोट नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिन प्रोजेक्ट्स का चुनाव COVID-19 Economic Relief Plan के लिए किया गया है उसमें से BRI के तहत आने वाला कोई प्रोजेक्ट नहीं है।
यानि म्यांमार के सबसे महत्वपूर्ण Economic Relief प्लान में चीन के BRI को कोई जगह नहीं मिली है। यह चीन के लिए एक बेहद तगड़ा झटका माना जा सकता है क्योंकि यह कदम भले ही चीन के BRI के खिलाफ म्यांमार की शुरुआत भर हो लेकिन इससे यह पता चलता है कि म्यांमार अब नींद से जाग चुका है। म्यांमार को चीन की विस्तारवादी नीति और उसके ऋण जाल का ऐहसास हो चुका है और अब वह इससे निकलने की कोशिश में लगा है।
हाल ही में म्यांमार के ऑडिटर जनरल ने सरकारी अधिकारियों को चीन से लिए गए ऋण पर निर्भरता के बारे में भी आगाह किया था, जो ब्याज की उच्च दरों के साथ म्यांमार को हासिल हुआ है।
उन्होंने BRI से पूर्व और BRI के समय लिए गए ऋण को लेकर यह बयान दिया था। बता दें कि म्यांमार का वर्तमान राष्ट्रीय ऋण लगभग 10 बिलियन डॉलर है, जिसमें से 4 बिलियन डॉलर अकेले चीन से ही लिया गया है। ऑडिटर जनरल Maw Than ने सोमवार को नायपीडॉ में एक संवाददाता सम्मेलन में म्यांमार की सरकार को आगाह करते हुए बताया कि यह ऋण म्यांमार को श्रीलंका और कुछ अफ्रीकी राज्यों की तरह कर्ज के जाल में धकेल सकता है।
यानि देखा जाए तो म्यांमार, चीन द्वारा चली जा रही चालों को अब समझ चुका है और अपने आप को बचाने की कोशिश में पहला कदम उठा चुका है। यही नहीं अब म्यांमार भारत के करीब भी होता जा रहा है, जो उसके भविष्य के लिए सही है क्योंकि भारत चीन की तरह विस्तारवादी नीति में विश्वास नहीं रखता।
अब म्यांमार द्वारा भी BRI से मुंह मोड़ने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना की वजह से चीन का BRI प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह हो चुका है। मलेशिया, इन्डोनेशिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान,कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान में BRI प्रोजेक्ट्स ठप पड़े चुके हैं। यही नहीं, इन देशों की जनता में भी अब चीन के खिलाफ माहौल बन चुका है, जिससे अब वापस से इन प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू करना अब चीन के लिए आसान नहीं होगा। कोरोना वायरस के कारण इन देशों में चल रहे आधारभूत संरचनाओं का निर्माण बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है जिससे उबरने में सालों लगेंगे। इससे यह कहना गलत नहीं होगा कि BRI के साथ ही पूरी दुनिया को मुट्ठी में करने का चीन का सपना भी अब ठंडे बस्ते में जा चुका है।