भारत-चीन बॉर्डर विवाद पर द्विपक्षीय वार्ता के बाद चीनी मीडिया में पसरा सन्नाटा, लगता है बड़ी ज़ोर की पड़ी है

कुछ तो बोलो चीन!

ग्लोबल टाइम्स

LAC पर एक महीने की तनातनी के बाद अब थोड़ी शांति की आशा दिख रही है। दोनों पक्षों ने तनाव को कम करने हेतु कॉर्प्स कमांडर यानी लेफ्टिनेंट जनरल के स्तर पर मीटिंग का आयोजन किया।

सात घंटे तक चली एक लम्बी मीटिंग पर भारत की मीडिया ने काफी तगड़ी नजर रखी। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि अप्रैल में जैसी स्थिति बॉर्डर पर थी, वैसी ही स्थिति होनी चाहिए। इसके अलावा भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण बिल्कुल नहीं रुकेगा। परन्तु चीनी मीडिया काफी खामोश बैठी है, और पहले की भांति भारत को 1962 दोहराने की धमकियां नहीं दे रही है।  यहां तक कि चीनी मीडिया ने दोनों सेनाओं के बीच हुई बैठक पर भी कोई प्रकाश नहीं डाला।

अब तक चीन में सबसे अधिक पढ़े जाने वाले अंग्रेज़ी समाचारपत्र चाइना डेली और चीन सरकार का मुखपत्र माने जाने वाले पीपुल्स डेली भी इस विषय पर काफी मौन रहे हैं। अब तक उन्होंने इस विषय पर केवल एक संपादकीय प्रकाशित किया है।

यहां तक कि चीन के आधिकारिक टीवी न्यूज नेटवर्क सीजीटीएन ने भी इस स्टैंड ऑफ को कवर नहीं किया है। अकेले ग्लोबल टाइम्स ने ही पूरे विषय को कवर करने की जहमत उठाई है। भले ही उसने एक भी संपादकीय ना डाला हो, पर अब तक छह ओपिनियन  लेख प्रकाशित किया है, जिनमें भारत के दृढ़ निश्चय पर चीन की बौखलाहट साफ जाहिर होती है।

उदाहरण के लिए ग्लोबल टाइम्स ने शुक्रवार को अपनी कुंठा का ज़बरदस्त प्रदर्शन करते हुए लिखा, “चीन भारत को लेकर अपनी मित्रता पर हमेशा मुखर रहा है, और भारत को अमेरिका द्वारा उल्लू बनाए जाने के बजाए इस मित्रता को आगे बढ़ाना चाहिए। हम अमेरिका से नहीं डरते, तो भला हम अमेरिका के कंधे पर बैठकर किसी देश की हेकड़ी कैसे सह सकते हैं?”

मित्रता? पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ करना अगर मित्रता है तो ऐसी मित्रता से कोई मित्रता ना होना ही भला। खैर, ग्लोबल टाइम्स ने भी कहा कि भारत को चीन के साथ अपने संबंध बढ़ाकर अंतरराष्ट्रीय शांति की ओर ध्यान देना चाहिए, अन्यथा भारतीय उपमहाद्वीप में शांति कभी स्थापित नहीं हो पाएगी।

पर कॉर्प्स कमांडर स्तर की बैठक के बाद ग्लोबल टाइम्स भी मौन पड़ गया। बस उसने एक अजीबो-गरीब वीडियो प्रकाशित किया, जिसमें उसने बताया, “कई हजार सैनिकों को केंद्रीय चीन से नॉर्थ वेस्टर्न चीन भेजा गया है, जब भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर तनाव की स्थिति व्याप्त है”।

यह वीडियो चीन की पोल खोलने का भी काम करता हैं। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के यह सदस्य अभी भी फेस्मास्क पहने हुए हैं, जबकि कई सैनिक रेल और रोड के माध्यम से बॉर्डर जा रहे हैं , जबकि चीन का दावा है कि वह वुहान वायरस से मुक्त हो चुका है।

ग्लोबल टाइम्स इस तरह भारत को फिर से 1962 दोहराने की धमकी देना चाहतीा है, जबकि सच्चाई यह है कि इस समय युद्ध करना अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने के समान है, क्योंकि भारतीय सेना ना केवल तैयार खड़ी है, बल्कि चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में भी सक्षम है।

https://twitter.com/desertfox61I/status/1269599559581200389

उधर बीजिंग चाहता है कि इस पूरे प्रकरण की भनक भी चीन की जनता को ना लगे। अभी हाल ही में वीबो नामक चीनी सोशल मीडिया ने  ‘China India border confrontation’ हैशटैग पर ही कैंची चला दी, जिसपर 30 मिलियन यानी 3 करोड़ से ज़्यादा व्यूज आए थे। चीन का मीडिया इसलिए भी मौन हो सकती है क्योंकि उसकी पोल खोलने में भारतीय सेना ने कोई कसर नहीं छोड़ी। बीजिंग ये बिल्कुल नहीं दिखाना चाहेगा कि भारत ने बिना एक गोली चलाए उसे पटक पटक कर दिया है। ऐसे में बीजिंग और उसके पालतू कुत्ते पाकिस्तान में कोई विशेष अंतर नहीं दिखता है।

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