“हमारे यहाँ नमाज़ allowed नहीं है”, पाकिस्तान में जाकर चीनी कंपनियों ने पाकिस्तानियों को दिखाई औकात

अब पाकिस्तान के मौलवी चीन पर भडके; पॉपकॉर्न लो और मजे लूटो

नमाज़

जब तक व्यक्ति गड्ढे में नहीं गिरता है, उसे नहीं समझ में आता है कि वह कितनी बड़ी मुसीबत में है। कुछ ऐसा ही हुआ है पाकिस्तान के साथ। अब तक चीन के कंधे पर चढ़कर भारत को ललकारने वाला पाकिस्तान अब खुद कितना असहाय है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान में रहकर पाकिस्तानी उन दफ्तरों में नमाज़ नहीं पढ़ सकते, जहां बॉस कोई चीनी हो।

शुक्रवार को पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में वहाँ के एक स्थानीय मौलवी ने इस बात पर प्रकाश डाला था। उक्त मौलवी ने वीडियो में पाकिस्तान के लोगों को इन मामलों में कड़ा रुख अख्तियार करने की सलाह दी है। पाकिस्तानी मौलवी ने कहा कि पाकिस्तान के लोग चीन को ये बता दें कि वहाँ के लोगों को अगर पाकिस्तान में रहना है तो यहाँ के स्थानीय नियम-क़ायदों के हिसाब से चलना पड़ेगा क्योंकि ये मुल्क उनकी जागीर नहीं है। मौलवी ने कहा कि चीन की कंपनियों में काम कर रहे लोग नमाज़ नहीं पढ़ पा रहे हैं। उन्हें अपनी नौकरी जाने का भय सता रहा है

https://twitter.com/JammuKashmir5/status/1277873260911161345?s=20

 

इस कारणवश पाकिस्तान में कई जगह पर चीन के विरोध में प्रदर्शन भी शुरू हो चुके हैं, और वीडियो में मौलवी ने यहाँ तक कह दिया है कि पाकिस्तान की आन बान और शान के लिए वहाँ की अवाम को इस अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठानी ही चाहिए, और नमाज़ पढ़ना सब का अधिकार है। हालांकि यह बात कहना बहुत आसान है, पर करना उतना ही मुश्किल।

ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान पहले से ही कर्जे में डूबा हुआ है, और चीन को हिन्द महासागर पर अपनी पकड़ बनाए रखने के साथ साथ अपने BRI प्रोग्राम के लिए एक अदद शिकार भी चाहिए था। पाकिस्तान चूंकि ये दोनों आवश्यकताएँ पूरी कर सकता था, इसलिए चीन ने पाकिस्तान के साथ साझेदारी शुरू कर दी। चाहे पाकिस्तान को करोड़ो की आर्थिक मदद मिलनी हो, या फिर ग्वादर पोर्ट में निवेश हो, पाकिस्तान ने चीन की सेवा में अपने पूरे देश को न्योछावर कर दिया।

लेकिन इस पूरे प्रकरण की एक बहुत भारी कीमत पाकिस्तान को चुकानी भी पड़ी है, जो धीरे धीरे पाकिस्तान की जनता को समझ में आ रही है। एक ओर वुहान वायरस के नाम पर जहां चीन पाकिस्तान को बेहद घटिया दर्जे के मास्क भेज रहा था, तो वहीं उससे पहले चीनी अधिकारियों द्वारा पाकिस्तानी महिलाओं की तस्करी की घटनाएँ भी सुर्खियों में आई थी।

ऐसे में पाकिस्तान में अब जिस तरह से चीनी अपनी मनमानी कर रहे हैं, उससे एक बात तो सिद्ध होती है कि यह मुसीबत पाकिस्तान ने स्वयं बुलाई थी। मालदीव और श्रीलंका के उदाहरण से कोई सीख नहीं लेते हुए जिस तरह से पाकिस्तान ने चीन को सर आँखों पर बैठाया, वह अब उसी को भारी पड़ने लगा है।

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