यदि चीन सोचता है कि अपने प्रोपगैंडा के दम पर वह भारत को झुका देगा, तो वो बहुत बड़े भुलावे में जी रहा है। ये नया भारत है, जो न केवल घर में घुसकर मारता है, अपितु प्रोपगैंडा का भी प्रेम से, पर मुंहतोड़ जवाब देता है। रेडियो तिब्बत के बाद अब एलएसी पर चीन की दादागिरी को जवाब देने का जिम्मा उठाया है अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने, जिन्होंने एक ट्वीट से चीन के प्रोपगैंडा को पटक-पटक के धोया है।
सैनिकों की हौसला अफजाई के लिए बॉर्डर पर स्थित बुमला पोस्ट पर पधारे पेमा खांडु ने ट्वीट किया, “स्वतन्त्रता से ही हमारे भारत की रक्षा में भारतीय सेना हमेशा दो कदम आगे रही है। आज मुझे जवानों के साथ भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित बुमला पोस्ट पर बातचीत करने का सुअवसर मिला। उनका जोश चरमोत्कर्ष पर था। जब बात सीमा की सुरक्षा की हो, तो हम सुरक्षित हाथों में है” –
The valour of Indian Army is what we counted ever since our Indepence. Had an opportunity to interact with the brave jawans today at Bumla post on Indo-Tibet border.
Their josh is at highest level. We are in safe hands when it comes to our borders ..!! pic.twitter.com/kwg5Uyx3MB— Pema Khandu པདྨ་མཁའ་འགྲོ་། (Modi Ka Parivar) (@PemaKhanduBJP) June 24, 2020
तो इस ट्वीट में ऐसा क्या खास है? दरअसल पेमा खांडु ने बुमला पोस्ट के बारे में बात की, जो एलएसी के पास अरुणाचल प्रदेश में स्थित है। एलएसी को भारत और चीन के बीच की सीमा रेखा न मानकर भारत और तिब्बत की सीमा रेखा मानना अपने आप में एक बहुत साहसी कदम है, जिसे उठाकर पेमा खांडु ने सिद्ध किया है कि चीन अब किसी मोर्चे पर भारत को पीछे नहीं छोड़ सकता, चाहे वह कूटनीति हो या फिर propaganda ही क्यों न हो।
इसके अलावा बुमला पोस्ट के इतिहास पर भी नज़र डालना बहुत आवश्यक है। बता दें कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले से थोड़ी दूरी पर स्थित ये पोस्ट एक शौर्य गाथा का साक्षी रहा है। जब चीन ने भारत पर 1962 में हमला किया था, तो बुमला भी चीन के प्रारम्भिक हमलों का शिकार बना था। 23 अक्टूबर 1962 को बुमला में 1 सिख रेजीमेंट के पलटन पर सैकड़ों चीनियों ने धावा बोल दिया था।
सैकड़ों के मुक़ाबले केवल 25 से 28 सिख रेजीमेंट के वीर जवानों ने विपरीत परिस्थितियों में न केवल उनका बहादुरी से मुक़ाबला किया, बल्कि सैकड़ों चीनी सैनिकों को मारकर उनके खेमे में तांडव मचाया। इस युद्ध में अदम्य साहस दिखाने के लिए पलटन के कमांडर सूबेदार जोगिंदर सिंह को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया, जबकि मोर्चे से थोड़ी दूरी पर सेना के हथियारों की रक्षा करने और शत्रुओं से मोर्चा लेने के लिए ओलंपिक स्वर्ण पदकधारी अफसर, लेफ्टिनेंट [तत्कालीन] हरिपाल कौशिक को वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
ऐसे में इस अहम पोस्ट पर आकर, डंके की चोट पर ये कहना कि भारत तिब्बत की सीमा पर स्थित बुमला पोस्ट पर जवानों का जोश चरम पर है, कोई हंसी मज़ाक की बात नहीं है। पेमा खांडु के कथन से ये स्पष्ट है कि भारत ने अब चीन को उसी की भाषा में जवाब देना सीख लिया है। इससे पहले प्रसार भारती ने एक ट्वीट कर हुए लोगों को फिर से याद दिलाया कि आकाशवाणी तिब्बत (Tibet) का समाचार भी प्रसारित करती है। प्रसार भारती ने ट्वीट किया , “अगर आपको तिब्बत की वास्तविक खबरें सुनना है, तो आप ऑल इंडिया रेडियो के Tibetan World Service को सुनें, जहां तिब्बत की और तिब्बत के लिए खबरें प्रसारित की जाती हैं” –
Listen to All India Radio's Tibetan World Service for authentic news and programmes for and from Tibet. @AkashvaniAIR pic.twitter.com/JMFp8wypKo
— Prasar Bharati प्रसार भारती (@prasarbharati) June 17, 2020
सच कहें तो चीन के विरुद्ध एक्शन के क्रम में पेमा खांडु का वर्तमान ट्वीट और AIR पर प्रसारित होने वाले Tibet World Service का प्रमोशन तिब्बत (Tibet) के प्रति वैश्विक perception बदलने के लिए एक बेहतरीन कदम है। इससे न सिर्फ विश्व और भारत में तिब्बत (Tibet) के बारे में बातचीत होगी, बल्कि तिब्बत की कहानियाँ भी सभी के सामने आएंगी। आज जैसे हाँग-काँग के साथ विश्व खड़ा है वैसे ही कल तिब्बत के साथ भी खड़ा दिखाई देगा जिसके बाद चीन के पास इस क्षेत्र को स्वतंत्र करने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा।