जल्द छिड़ सकता है अमेरिका-जापान और चीन का युद्ध, Senkaku द्वीपों पर जापान-चीन का बढ़ा विवाद

पश्चिम से भारत फोड़ेगा, और पूर्व से जापान और अमेरिका!

PC: The Diplomat

एक ओर जहां पूरी दुनिया की नज़र भारत-चीन बॉर्डर विवाद पर टिकी हुई है, तो वहीं चीन अपने पूर्वी बॉर्डर पर जापान के साथ भी सींग लड़ाये हुए हैं। जापान और चीन के बीच भी भारत-चीन की तरह ही हमेशा तनाव बना रहता है। जिस प्रकार चीन ने भारत के लद्दाख पर गैर-कानूनी कब्जा कर रखा है, उसी प्रकार चीन अब जापान के सेनकाकु द्वीपों को भी हड़पने की कोशिश कर रहा है। सेनकाकु द्वीपों पर जापान का वर्ष 1895 से ही कब्जा रहा है। हालांकि, चीन बेतुके ऐतिहासिक कारणों के आधार पर इन द्वीपों पर अपना दावा करता है। Japan ने चीन से क्षेत्र में शांति बनाए रखने का आह्वान किया है, लेकिन चीनी नेवी लगातार जापान के इन द्वीपों के आसपास सैन्य गातिविधि को बढ़ा रही है, जिससे इस क्षेत्र में तनाव पैदा हो गया है। हाल ही में Japan ने इन द्वीपों पर अपना दावा मजबूत करने के लिए इस द्वीप के स्थानीय प्रशासनिक नाम को बदलने का भी फैसला लिया है, जिससे चीन चिढ़ा हुआ है।

बता दें कि सेनकाकु द्वीप जापान के Okinawa prefecture के क्षेत्र में आते हैं। अब तक सेनकाकु द्वीपों को Okinawa के Ishigaki शहर का प्रशासन ही संभालता था। कुछ दिनों पहले तक Ishigaki शहर का प्रशासनिक नाम Tonoshiro हुआ करता था, लेकिन Ishigaki शहर की City Council ने हाल ही में शहर का प्राशनसिक नाम बदलकर Senkaku Tonoshiro कर दिया। Senkaku द्वीपों का प्रशासनिक नाम बदलकर Japan ने इस द्वीपों पर दावे को और मजबूत कर लिया है, जिसपर चीन ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है।

अब ज़रा इन द्वीपों के इतिहास के बारे में जान लेते हैं। चीन का दावा है कि 15वीं शताब्दी में यहाँ चीन के मछुआरे रहा करते थे, जिसके कारण इन द्वीपों पर चीन का अधिकार बनता है। आधुनिक इतिहास की बात करें तो जापान ने Sino-Japan युद्ध के बाद वर्ष 1895 में इन द्वीपों को अपने कब्जे में ले लिया था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान का Okinawa द्वीप समूह कुछ समय के लिए अमेरिका के पास चला गया था, लेकिन बाद में अमेरिका ने इन द्वीपों को वापस Japan को सौंप दिया था।  इससे पहले वर्ष 2012 तक सेनकाकु द्वीप जापान के ही कुरिहारा परिवार के पास थे, जिनसे Japan सरकार ने इन द्वीपों को लगभग 2 बिलियन जापानी येन में खरीद लिया था। जापान सरकार के इस कदम के बाद भी चीन ने बेहद जोरदार प्रतिक्रिया दी थी, और तब चीन में बड़े पैमाने पर जापान-विरोधी प्रदर्शन देखने को मिले थे।

अब पिछले कुछ समय से इन द्वीपों के पास चीन ने गतिविधि तेज कर दी है, जिससे जापान सरकार भी चौकन्नी हो गयी है। यह भी खबर आई थी कि जापान ने हाल ही में चीन की ओर अपनी सीमा पर खतरनाक missiles को तैनात किया है। स्पष्ट है कि यह विवाद किसी भी समय बड़ा रूप ले सकता है।

लेकिन विवाद सिर्फ इतना ही नहीं है, इसमें अमेरिका भी बड़ी भूमिका निभा सकता है। दरअसल, वर्ष 2017 की जापान-अमेरिका की संधि के मुताबिक अगर चीन सेनकाकु द्वीपों पर हमला करता है, तो अमेरिका भी बीच में आकर चीन के आक्रमण को रोकने के लिए बाध्य होगा। दक्षिण चीन सागर में अमेरिका ने पहले ही अपने 3-3 एयरक्राफ्ट कैरियर्स को तैनात किया हुआ है। ऐसे में अगर चीन-Japan के बीच कोई युद्ध होता है तो वहाँ अमेरिका भी अपना हस्तक्षेप करेगा, और यह युद्ध बड़ा रूप ले सकता है। चीन ने लद्दाख क्षेत्र में तो विवाद बढ़ाया ही हुआ है, ऐसे समय में चीन द्वारा जापान के साथ विवाद बढ़ाना दिखाता है कि चीन वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। कोरोना महामारी के बाद दुनिया को चीन का इलाज करने के लिए बड़े कदम उठाने ही होंगे।

Exit mobile version