UK की नस्लभेद-विरोधी लिबरल गैंग “ब्राउन” प्रीति पटेल के पीछे पड़ी है, पटेल भी जमकर धुनाई कर रहीं हैं

प्रीति पटेल को “कॉकॉनट” कहने वालों को बाद में पछतावा हो रहा होगा!

प्रीति पटेल

(PC: The Statesman)

जॉर्ज फ्लॉय्ड की हत्या से शुरू हुआ हिंसक विरोध प्रदर्शन का काला साया यूके तक पहुँच गया। नस्लभेद के विरोध के नाम पर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ने जल्द ही यूके में भी हिंसक विरोध प्रदर्शनों का रूप ले लिया, और मूर्तियों को तोड़ने के साथ कई जगह पुलिस कर्मियों पर भी  हिंसक भीड़ ने हमला किया। इससे क्रोधित होकर यूके सरकार ने मामला अपने हाथ में ले लिया है और गृह मंत्री प्रीति पटेल ने स्पष्ट किया है कि वे किसी भी स्थिति में UK में इन दंगाइयों का राज नहीं चलने देंगी।

यूके की वर्तमान गृह मंत्री प्रीति पटेल ने 2011 में हुए दंगों के दौरान की गई कार्रवाई के तर्ज पर यूके के Riot Act को फिर से लागू करने का निर्णय किया है। इसके अलावा उन्होने ब्रिटिश संसद यानि हाउस ऑफ कॉमन्स में उन विपक्षी सांसदों को भी लताड़ लगाई है, जिन्होंने प्रीति पटेल की यह कहकर आलोचना की थी कि वे “ब्लैक लाइव्स मैटर” वाले विरोध प्रदर्शन पर बोलने वाली कोई नहीं होती है।

दरअसल अभी हाल ही में प्रीति पटेल के बयानों को लेकर लेबर पार्टी के 30 सांसदों ने ब्लैक लाइव्स मैटर को समर्थन देने के नाम पर प्रीति पटेल को एक बेहद आपत्तीजनक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने अपने ही आदर्शों की धज्जियां उड़ाते हुए प्रीति पर नस्लवाद का मज़ाक उड़ाने का आरोप लगाया था। बस फिर क्या था, प्रीति ने भी उन्हें मज़ा चखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

प्रीति पटेल के अनुसार, “कृपया ये लोग मुझे इस विषय पर ज्ञान न दें। मैं इस तरह की टिप्पणी पर चुप रहने वाली नहीं हूँ । बचपन से इस तरह की नस्लीय टिप्पणी सुनती और उनका जवाब देती आई हूं, लेकिन  मैं विचलित नहीं हुई। मैं गुजराती माता-पिता की संतान हूँ, जिन्हें यूगांडा से वहां के तानाशाह इदी अमीन के भारत विरोधी अभियान के तहत निकाला गया था। तब मेरा परिवार ब्रिटेन आया”।

परंतु प्रीति वहीं नहीं रुकी। उन्होने आगे कहा, “शादी के बाद लोगों ने मुझे मेरा सरनेम हटाने की सलाह दी, क्योंकि इससे तरक्की में रुकावट आने का अंदेशा था, लेकिन मैंने इसे स्वीकार नहीं किया और पटेल सरनेम बनाए रखा। मैं चुप होने या विचलित होने वाली नहीं हूँ। किसी भी विरोध प्रदर्शन के साथ पुलिस वही करेगी, जो उचित और न्यायसंगत होगा”।

परंतु हद तो तब हो गई, जब बीबीसी के एक कथित कॉमेडियन गुज़ खान ने एक बेहद आपत्तीजनक और निम्न दर्जे का ट्वीट करते हुए पूछा, “मेरे साथ डिनर में करी खाएगी प्रीति?” –

उसके जवाब में गुज़ के समर्थकों ने भी प्रीति के खिलाफ एक से बढ़कर एक नस्लभेदी टिप्पणियाँ की, जिनमें से कुछ तो इतनी आपत्तिजनक हैं कि उन्हे यहाँ लिखा भी नहीं जा सकता। परंतु कई लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने इन नस्लभेदी टिप्पणियों को मुंहतोड़ जवाब भी दिया। एक यूजर ने सीधा वामपंथियों को लपेटे में लेते हुए कहा, “हमें बताया गया था कि वामपंथी बड़े सहिष्णु और दयालु होते हैं, पर ये?”, तो ब्रिटिश सांसद लूसी एलन ने कहा, “इसी से आप समझ सकते हैं कि कैसे आज भी नारी विरोध और नस्लवाद को उदारवाद के नाम पर बढ़ावा दिया जाता है। मैं आभारी हूँ प्रीति की कि उन्होने यह मुद्दा संसद में उठाया”।

 

इससे पहले भी प्रीति पटेल को ऐसे दोमुंहे वामपंथियों के दोगलेपन का सामना करना पड़ा है। कुछ महीने पहले द गार्जियन ने एक बेहद आपत्तीजनक कार्टून को प्रकाशित किया था, जिसमें प्रीति पटेल की भारतीय संस्कृति का भद्दा मज़ाक उड़ाया गया और प्रीति को एक मोटी औरत के तौर पर पेश किया गया। इससे एक बार फिर स्पष्ट होता है कि वामपंथी की उदारता और उनके लिबरल विचार किसी मिथ्या से कम नहीं हैं।

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