अभिजीत भट्टाचार्य की कहानी: कैसे Music Mafia ने एक शानदार गायक का करियर चौपट कर दिया

Bollywood का Music Mafia, जिसने कई सितारों को उजाड़ दिया!

अभिजीत भट्टाचार्य

(PC: ILHT-Dubai)

14 जून 2020 को सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु की खबर दुनिया के सामने क्या आई, मानो बॉलीवुड के काले करतूतों का पिटारा सा खुल गया। क्या म्यूज़िक क्या एक्टिंग, सभी क्षेत्रों के ठेकेदारों के विरुद्ध सेलेब्स से लेके सुशांत के प्रशंसक और अन्य सिनेमा प्रेमियों ने मोर्चा खोल दिया। अभी कुछ ही दिन पहले सोनू निगम ने म्यूज़िक इंडस्ट्री के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए बताया था कि कैसे टी सीरीज़ के भूषण कुमार समेत कुछ लोगों ने संगीत उद्योग पर कब्जा जमाकर रखा है, और बॉलीवुड के इस music mafia द्वारा संगीतज्ञों की मौलिक रचनाओं को कुचलने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। हालांकि इस वाद विवाद में एक व्यक्ति के ऊपर किसी ने ध्यान नहीं दिया है, जो कभी बॉलीवुड की शान माना जाता था, लेकिन आजकल गुमनामी के अंधेरे में कहीं खोया हुआ है। कभी जो व्यक्ति यश राज फ़िल्म्स का चहेता था, और जिसे शाहरुख़ खान की आवाज़ माना जाता था, आज उसी अभिजीत भट्टाचार्य को कोई भी नहीं पूछता, और कारण है वही इंडस्ट्री माफ़िया, जिसके कुकृत्यों पर सोनू निगम ने प्रकाश डाला था।

कानपुर में जन्मे और पले बढ़े अभिजीत भट्टाचार्य वर्ष 1981 में बॉलीवुड में अपनी किस्मत आज़माने मुंबई निकल पड़े। उन्हे जल्द ही अवसर मिला, और वह प्रदान करने वाले कोई और नहीं, बल्कि बॉलीवुड के प्रख्यात संगीतज्ञ आरडी बर्मन थे। बंगाली फिल्म अपरूपा से अभिजीत ने प्लेबैक सिंगिंग के क्षेत्र में अपना कदम रखा, और फिर कई फिल्मों के लिए उन्होने अपनी आवाज़ दी, और फिर आया वर्ष 1992! अक्षय कुमार की सुपरहिट फिल्म ‘खिलाड़ी’ के कई हिट गाने जैसे ‘वादा रहा सनम’, ‘खुद को क्या समझती है’ को अभिजीत ने अपनी आवाज़ दी, और इस सफलता के बाद उन्होने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

इसके बाद तो अभिजीत सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते ही चले गए। जैसे किसी जमाने में मोहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार और मुकेश जैसे गायकों में प्रतिस्पर्धा होती थी, वैसे ही अपनी योग्यता के चलते सोनू निगम, उदित नारायण और अभिजीत भट्टाचार्य की प्रतिस्पर्धा काफी चर्चा में रहती थी, क्योंकि तीनों ही एक से बढ़कर एक थे। लेकिन अभिजीत भट्टाचार्य को सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि मिली शाहरुख़ खान के सिंगिंग आवाज़ के रूप में। आशिक हूँ मैं, वो लड़की जो सबसे अलग है, चलते चलते, मैं कोई ऐसा गीत गाऊँ, ज़रा सा झूम लूँ मैं, तौबा तुम्हारे ये इशारे, तुम्हें जो मैंने देखा जैसे गीतों में अपनी आवाज़ के जरिये अभिजीत ने शाहरुख़ खान को वो ऊँचाइयाँ दी, जिसके कारण आज भी वे रोमांस के बादशाह माने जाते हैं।

तो आखिर अभिजीत के फलते फूलते करियर को किसकी नज़र लग गई? इसका कारण खुद अभिजीत ने कई साक्षात्कार में बताया। उन्होने बताया, “मैं हूँ ना” के अंत में फ़िल्मकारों ने सभी का आभार प्रकट किया, पर गायकों को पूछा तक नहीं। मेरे परिवार ने उस फिल्म को देखा, और उन्हे बड़ा गहरा धक्का लगा। यही चीज़ ओम शांति ओम  मैंने अपनी बात फ़राह खान और शाहरुख़ खान को भी बताई”। अभिजीत ने आगे कहा कि जब शाहरुख़ फराह के साथ सुलह कर सकते थे, जिनके पति शिरीश कुंदर ने शाहरुख़ को बहुत अपमानित भी किया था, तो उनके साथ बातचीत कर समस्या सुलझाने में किसी का क्या जा रहा था।

पर अभिजीत की यही शिकायत म्यूज़िक माफिया  को नागवार गुज़री। उसके बाद से ही अभिजीत को बॉलीवुड इंडस्ट्री में कम ऑफर मिलने लगे। रही सही कसर अभिजीत के पाकिस्तानी गायकों के उपयोग पर मुखर स्वभाव ने पूरी कर दी। किसी बड़े बजट की फिल्म में अंतिम बार उनकी आवाज़ 2013 में सुनाई दी, जब उन्होने बेशरम मूवी में “दिल का जो हाल है” नामक गाने में अपनी आवाज़ दी।

अभी कुछ ही हफ्तों पहले सोनू निगम ने म्यूज़िक इंडस्ट्री के इसी स्याह पहलू पर प्रकाश डाला था। सोशल मीडिया पर वायरल हुए उनके एक वीडियो में वे बोले, “आज बॉलीवुड से सुशांत सिंह राजपूत मरा है। एक एक्टर मरा है, कल आप किसी सिंगर के बारे में ऐसा सुन सकते हैं या किसी कम्पोज़र या संगीतकर के बारे में सुन सकते हैं। फिल्मों से बड़ा है म्यूज़िक माफिया। म्यूज़िक इंडस्ट्री में जो नए बच्चे आए हैं, वो परेशान है इन दिनों जो भी म्यूज़िक इंडस्ट्री में चल रहा है। म्यूज़िक इंडस्ट्री के 2 लोगों के हाथों में ताकत है, जो तय करते हैं कि इस सिंगर को लो, दूसरों को नहीं। आप लोग ऐसा मत करो। बददुआ बहुत बुरी चीज़ होती है”।

 ये सोनू निगम ही थे, जिन्होंने इसलिए ट्विटर छोड़ दिया था, जब अभिजीत भट्टाचार्य को उनके धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर के विरोध में दिये बयान के समर्थन में बोलने के लिए ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया गया था। ये सही है कि कई अवसरों पर अभिजीत ने ऊटपटाँग बयान भी दिये हैं, परंतु इसका मतलब ये तो कतई नहीं है कि इसके लिए उनके प्रति म्यूज़िक इंडस्ट्री के ठेकेदारों की हेकड़ी को नज़रअंदाज़ कर दिया जाये।

ये विडम्बना है हमारे देश के कई क्षेत्रों की, विशेषकर बॉलीवुड की, कि यदि आपने इन क्षेत्रों के ठेकेदारों की हाँ में हाँ नहीं मिलाई, तो आपको लात मार कर भगा दिया जाएगा, चाहे आप जितने ही योग्य हों। अभिजीत भट्टाचार्य भी एक ऐसे ही सितारे थे, जिनहे उनके मुखर स्वभाव के कारण गुमनामी के अंधेरे में ढकेल दिया गया।

 

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