“भिड़ने की न सोचें, परिणाम अच्छे नहीं होंगे”, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन को चेतावनी दी

राजनाथ सिंह पीओके

PC: pressfrom

लगता है राजनाथ सिंह किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं है। अभी हाल ही में बीजिंग को एक कड़ा संदेश देते हुए कहा, “भारत कोई कमजोर देश नहीं है, उसकी शक्ति बढ़ गई है। पर हम इस शक्ति का उपयोग किसी देश को डराने में नहीं, अपने देश की सुरक्षा करने में करना चाहते हैं।”

इसके अलावा उन्होने स्पष्ट रूप से बताया, “हम किसी को अंधकार में नहीं रखेंगे, चाहे संसद हो या कोई और। हम सब कुछ सही समय पर बताएँगे”।

पर राजनाथ सिंह को ऐसा आक्रामक रुख क्यों अपनाना पड़ा? दरअसल, इस बयान से उनका इशारा कहीं न कहीं काँग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्ष के वर्तमान रुख की ओर भी था, जो जानबूझकर केंद्र सरकार को भारत चीन के बीच हुए बॉर्डर विवाद पर कमजोर दिखाना चाहते हैं। अभी हाल ही में काँग्रेस के चहेते बुद्धिजीवियों में से एक अजय शुक्ला ने आर्मी प्रमुख का अपमान करते हुए एक ऊटपटाँग लेख छापा, जिसमें उसने भारत सरकार पर चीन द्वारा कथित रूप से 60 स्क्वेयर किलोमीटर पर कब्जा करने का आरोप लगाया ।

राजनाथ सिंह के बयान पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर हुई तनातनी के परिप्रेक्ष्य में अच्छे से समझी जा सकती थी। पिछले महीने भारतीय सेना और चीन के पीपुल्स लिबेरेशन आर्मी के बीच काफी तनातनी हुई थी। हालत तो यह हो गई कि चीन ने भारत पर दबाव बनाने के इरादे से आर्टिलेरी और कॉम्बेट वाहनों का जमावड़ा खड़ा कर दिया। इसके अलावा चीन के पीएलए ने अपने फाइटर जेट भी एलएसी के आसपास उड़ाए। ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि चीन द्वारा फैलाये गए वुहान वायरस के कारण कई विदेशी कंपनियाँ चीन छोड़कर भारत, वियतनाम और जापान जैसे देश का रूख कर रही थीं। इसके अलावा भारत एलएसी के अपने क्षेत्र में स्थित DSDBO सैक्टर में सड़क का निर्माण करा रहा है, जिससे चीन काफी कुपित हुआ था।

लेकिन भारत ने भी कोई कच्ची गोलियां नहीं खेली थी। चीन की हेकड़ी को मुंहतोड़ जवाब देते हुए भारत टस से मस नहीं हुआ और उन्होंने स्पष्ट किया कि न तो चीन की दादागिरी चलेगी, और न ही उसके गीदड़ भभकी में आकर भारत अपना कोई कार्य रोकेगा। फलस्वरूप चीन को हारकर पहले अपने कमांडरों को मोर्चे से हटाना पड़ा, और फिर गलवान वैली में स्थित अपने कब्जे से 2 से ढाई किलोमीटर पीछे हट गया।

लेकिन ये सब हमारे विपक्ष को कैसे बर्दाश्त होता? बौखलाहट में उन्होंने केंद्र सरकार के दावों को झुठलाना शुरू कर दिया। उन्होंने बिना किसी आधार के दावा किया कि भारत की कई स्केवयर किलोमीटर भूमि पर चीन ने कब्जा करना शुरू कर दिया है। राहुल गांधी ट्वीट करते हैं, “चीन ने लद्दाख में हमारे क्षेत्र पर कब्जा किया है, पर पीएम मोदी चुप है और गायब हैं”।

लेकिन उनके झूठे दावे नहीं टिक पाये, और पूरे देश में राहुल गांधी के ट्वीट के विरुद्ध आक्रोश उमड़ पड़ा। 71 पूर्व मिलिटरी  अधिकारियों ने राहुल की नीयत पर प्रश्न उठाते हुए उन्हे आड़े हाथों लिया। उधर राजनाथ ने भी सरकार के इरादों को स्पष्ट करते हुए बताया, “जब चीन ने एलएसी के मुद्दे को बातचीत से सुलझाने की बात कही, तो हमारा भी कर्तव्य बनता है कि बात को आगे न बढ़ाकर बातचीत से मामला सुलझाया जाये”। चीन द्वारा भारतीय भूमि को कबजाने की बातों को झुठलाते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि हम अपने राष्ट्रीय अस्मिता के साथ किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं करेंगे और सरकार किसी को भी ऐसे मुद्दों पर अंधेरे में नहीं रखेगी”।

कभी ‘कड़ी निंदा’ के तौर पर चर्चा में रहने वाले राजनाथ सिंह ने पिछले एक वर्ष में अपने व्यक्तित्व का कायाकल्प कर दिया है। न केवल वे भारत का अहित चाहने वालों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, अपितु वे ये भी सुनिश्चित करते हैं कि भारत का मान कभी भी नहीं गिरे। एक बार फिर अपने मुखर बयान से उन्होंने सिद्ध किया है कि भारत को हल्के में लेने की भूल कोई न करे।

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