2020 का भारत-चीन युद्ध- जानिए चीन को किस चीज़ के खोने का सबसे ज़्यादा डर है?

इसीलिए चीन की हालत इतनी पतली है!

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(PC: CNN)

भारत और चीन के बीच जारी विवाद के बीच चीनी मीडिया लगातार भारत पर आक्रामक होने का आरोप लगा रही है। 15 जून की रात को तो भारत-चीन बॉर्डर पर विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों ओर जवानों की मौत देखने को मिली। वर्ष 1967 के बाद ऐसा पहली बार था जब दोनों देशों की सेनाएँ इस प्रकार हिंसक मुठभेड़ का शिकार बनी हों। इस पूरी घटना के बाद चीन बैकफुट पर है। एक तरफ चीनी मीडिया जहां इस पूरे मुद्दे पर चुप है, तो वहीं चीनी सरकार भी लगातार भारत से स्थिति को शांत करने की अपील कर रही है। ऐसा लगता है मानो चीन को इस बार भारत के हाथों कुछ बेहद महत्वपूर्ण चीज़ खोने का डर सता रहा है।

आज जिस जगह भारत-चीन के बीच यह विवाद हुआ है, वहाँ वर्ष 1962 के युद्ध के दौरान भी काफी तनाव देखने को मिला था। वर्ष 1962 में चीन की सेना ने लद्दाख पर धावा बोलकर भारत के अक्साई चिन को अपने में मिला लिया था। उसके बाद से भारत सरकार ने कभी इस हिस्से को चीन से वापस लेने का विचार नहीं किया। हालांकि, पिछले कुछ सालों में मोदी सरकार ने अपनी मशाओं को साफ जाहिर किया है। अगस्त में भारतीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में खड़े होकर कहा था “पूरा अक्साई चिन भारत का है, जब मैं कश्मीर की बात करता हूँ, तो मेरा मतलब POK और अक्साई चिन से भी होता है”। उसी के बाद से भारत सरकार ने लद्दाख में बड़ी तेजी से इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर काम किया है। ये इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स सिर्फ लद्दाख तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे भारत-चीन बॉर्डर पर ही भारत सड़कों का जाल बिछा रहा है। चीनी सरकार और सेना को इससे बड़ी पीड़ा पहुंची है, क्योंकि भारत भविष्य में बड़ी ही आसानी से बॉर्डर इलाकों तक पहुँच जाएगा।

लद्दाख में सबसे अहम और बड़ी सड़क Darbuk-Shyok-Daulat Beg Oldie (DSDBO) सड़क इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगी। सरकार ने लद्दाख में जारी विवाद के दौरान भी इस निर्माण कार्य को नहीं रोका। भारत ने इसके उलट निर्माण कार्य को तेज कर दिया। भारत सरकार ने झारखंड से अतिरिक्त 1600 मजदूरों को बुलाकर काम में तेजी लाने की कोशिश की। Times of India के मुताबिक झारखंड के मजदूरों को पहाड़ी इलाकों पर काम करने का ज़्यादा अनुभव है, ऐसे में उन्हें लद्दाख बुलाया गया।

चीन को लगता है कि जैसे ही भारत अपने यहाँ इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को पूरा करेगा, वैसे ही वह अक्साई चिन को वापस भारत में मिलाने की कोशिशें शुरू कर देगा। जिस प्रकार भारत POK को वापस लेने की तैयारी शुरू कर चुका है, उसी प्रकार चीन को लगता है कि भारत कहीं उससे अक्साई चिन भी ना छीन ले!

 

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