क्या मज़ाक है? योगी सरकार UP का प्रसार करने के लिए अनुभव सिन्हा और स्वरा भास्कर को पैसा खिला रही है

योगी जी! ये किस लाइन में आ गए आप?

योगी सरकार

(PC: Jansatta)

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक बार फिर सुर्खियों में है, पर इस बार गलत कारणों से। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा फिल्मों को दी जाने वाली फिल्म ग्रांट के तहत कुछ फिल्मों को ग्रांट दी गयी है, जिससे न सिर्फ योगी सरकार विवादों में आ गयी है, अपितु ये भी माना जा रहा है कि इस निर्णय से यूपी सरकार ने अपने ही लिए गड्ढा खोदने का काम किया है।

दरअसल अखिलेश यादव के राज में शुरू हुए ‘फिल्म बंधु’ स्कीम को आगे बढ़ाते हुए योगी सरकार ने इस योजना के अंतर्गत हर भाषा की फिल्म को यूपी को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष अनुदान देने का निर्णय लिया है। इसी के अंतर्गत कई फिल्मों को अभी हाल ही में यूपी सरकार ने अनुदान जारी किया है। इनमें शामिल हैं अक्षय कुमार की ‘टॉइलेट एक प्रेम कथा’, अजय देवगन की ‘रेड’, श्रीदेवी की फिल्म ‘मॉम’, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज़’इत्यादि।

तो इस निर्णय पर इतना विवाद क्यों? दरअसल इस सूची में दो और फिल्में भी शामिल हैं, ‘आर्टिक्ल 15’ और ‘निल बट्टे सन्नाटा’। आर्टिक्ल 15 अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित है, तो ‘निल बट्टे सन्नाटा’अश्विनी अय्यर तिवारी द्वारा निर्देशित है, जिसमें स्वरा भास्कर मुख्य भूमिका में है। जी हाँ, वही स्वरा भास्कर जो आजकल मोदी विरोध के नाम पर भारत विरोधी बयानों के लिए सुर्खियों में रहीं है, और जिसे लेकर उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से फटकार तक पड़ी है।

वहीं अनुभव सिन्हा ने पिछले दो वर्षों से निरंतर मोदी विरोध के नाम पर अपने फिल्म में काफी विषैला प्रोपगैंडा परोसा है। चाहे इस्लामिक कट्टरपंथ का महिमामंडन करती ‘मुल्क’ हो, बदायूं हत्याकांड के नाम पर जातीय वैमनस्य को बढ़ावा देने वाली ‘आर्टिकल 15’ हो या फिर महिला हिंसा को दिखाने के नाम पर भारतीय संस्कृति का मज़ाक उड़ाने वाली, और पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण करने वाली फिल्म ‘थप्पड़’ हो, अनुभव सिन्हा ने अक्सर अपनी फिल्मों से अपनी विचारधारा को चीख-चीख कर ज़ाहिर किया है। इतना ही नहीं, अनुभव सिन्हा CAA के खिलाफ भी एक बड़ी आवाज़ बनकर उभरे हैं। अपने विरोध में अनुभव सिन्हा इतने अंधे हो गए की उन्होंने न केवल सीएए विरोध के नाम पर दंगाइयों का समर्थन किया, बल्कि ब्लैक लाइव्स मैटर को हाल ही में समर्थन देने के नाम पर भारत के बहुसंख्यक समुदाय को अल्पसंख्यकों के सामने झुककर माफी मांगने को भी कहा।

अब ऐसे व्यक्तियों को यदि यूपी को बढ़ावा देने के लिए अनुदान दिया जायेगा, तो क्या ये यूपी सरकार द्वारा किया गया विरोधाभासी कदम नहीं होगा? इसमें कोई दो राय नहीं है की अनुभव और स्वरा ने समय समय पर योगी आदित्यनाथ को अपमानित किया है, और कई बार तो अपशब्द भी कहे हैं। लेकिन जिस तरह से इन दोनों की फिल्मों को अनुदान किया गया है, उससे न केवल उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है, अपितु UP सरकार ने इसके माध्यम से एक गलत उदाहरण स्थापित किया है।

कुछ महीनों पहले योगी आदित्यनाथ ने अनुराग कश्यप और अनुभव सिन्हा जैसे लोगों के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा था, “हमने खैरात बांटना बंद कर दिया है। चाहे वो अनुराग कश्यप हों या कोई भी हो। जो प्रेरणादायी काम कर सकें, उनके लिए हम काम करेंगे। विभाजनकारी शक्तियों को शासन का साथ नहीं मिलेगा”। ऐसे में यूपी सरकार ने इस निर्णय से अपनी ही कही से पीछे हटने का फैसला किया है। हम आशा करते हैं कि वे जल्द ही अपने इस विवादित निर्णय पर पुनर्विचार करेंगे।

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