“अमेरिका से दूर रहो भारत”, जानिए आखिर क्यों भारत-अमेरिका के गठबंधन से चीन को इतनी मिर्ची लगती है

Global Times का रो-रो कर बुरा हाल है!

अमेरिका

(PC: The Print)

जब से भारत और चीन के बीच लद्दाख में LAC पर विवाद फिर से शुरू हुआ है, तब से ही चीनी मीडिया में डर स्पष्ट दिखाई दे रहा है और वह डर है भारत और अमेरिका की दोस्ती का। चीन को यह तो पता है कि उसे अकेले भारत से ही निपटने में कई मुश्किलों का सामना करना होगा लेकिन अगर भारत के साथ अमेरिका भी आ गया तो चीन का नामो निशान ही मिट जाएगा। इसीलिए अमेरिका और भारत की दोस्ती को लेकर चीन इतना भयभीत दिखाई दे रहा है।

दरअसल, जब से भारत और चीन के बीच यह विवाद बढ़ा है, तब से ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र कहा जाने वाला ग्लोबल टाइम्स एक के बाद एक लेख प्रकाशित हुए यह दावा कर रहा है कि भारत अमेरिका के बहकावे में आ कर चीन के साथ बॉर्डर विवाद भड़का रहा है और भारत को इस तरह से अमेरिका को खुश करने के लिए चीन के साथ द्विपक्षीय सम्बन्धों को खराब नहीं करना चाहिए। एक लेख में तो यह तक कह दिया गया कि “USA नई दिल्ली को लुभाना चाहता है और एक भ्रम पैदा करना चाहता है कि भारत के पास अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का समर्थन है।” ग्लोबल टाइम्स के इस तरह के लेख प्रकाशित करने से यह पता चलता है कि वह किसी भी तरह से भारत और USA में फूट डालना चाहता और उसे डर है कि कहीं ये दोनों एक साथ न आ जाएँ।

Global Times ने अपने एक लेख में यह लिखा कि,“भारत को अमेरिका Indo-Pacific क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण रणनीतिक स्तंभ मानता है तथा चीन को काउंटर करने में भारत अमेरिका का महत्वपूर्ण भागीदार है।“ अब इससे समझा जा सकता है कि चीन किस तरह से भारत और अमेरिका की दोस्ती से डरा हुआ है। चीन अब यह प्रोपोगेंडा फैला रहा है कि अमेरिका चीन को टार्गेट करने के लिए भारत का इस्तेमाल कर रहा है।

चीन का डर वास्तविक भी है क्योंकि अब जिस तरह से भारत और USA रणनीतिक साझेदार की तरह आगे बढ़ रहे हैं, वैसी स्थिति में चीन यह बिल्कुल नहीं चाहेगा कि उसका सामना इन दोनों देशों के साथ हो। भारत का अमेरिका के साथ सैन्य संबंध राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आने के बाद और बढ़ा हैं। भारत ने पहले ही अमेरिका के साथ Logistics Exchange Memorandum of Agreement और Communications Compatibility and Security Agreement (COMCASA) जैसे महत्वपूर्ण समझौते पक्के किए हुए हैं। इससे इन दोनों देशों के सामरिक संबंध एक नई ऊंचाई छू रहे हैं। ऐसे में अगर चीन भारत से उलझता है तो अमेरिका भारत का ही साथ देगा। अमेरिका ने तो चीन की हरकतों को देखते हुए Indo-Pacific क्षेत्र में अपने तीन-तीन एयरक्राफ्ट कैरियर भेजे हुए हैं, जिससे चीन की सिट्टी-पीट्टी गुम है। वहीं जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत दौरे पर आए थे तब USA से 24 एम.एच.60 (MH-60) रोमियो हेलिकॉप्टर और 6 अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों आयात करने का समझौता हुआ था।  ये दोनों ही देश Quad का भी हिस्सा हैं, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल हैं। चीन किसी भी स्थिति में भारत और USA के सैन्य ताकत के सामने नहीं टिकने वाला है।

बार्डर विवाद पर USA पहले ही कह चुका है कि वह स्थिती पर नजर बनाए हुए है और चीन की आक्रामकता के कारण ही यह विवाद बढ़ा है। यानि स्पष्ट तौर पर अमेरिका भारत के पीछे खड़ा है जिससे चीन डर रहा है। अगर चीन भारत पर हमला करता भी है तो भारत अकेले ही उसे मुंह तोड़ जवाब देने में सक्षम है। लेकिन अगर अमेरिका ने South China sea की तरफ से चीन पर हमला कर दिया तो चीन के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। चीन पहले से ही ताइवान और हाँग-काँग को लेकर USA के निशाने पर है। वैसी स्थिति में भारत, अमेरिका और ताइवान; तीनों के सामने चीन घुटने टेकने पर मजबूर हो जाएगा। यही कारण है कि चीन की मीडिया भारत और USA के बढ़ते दोस्ती से इतना घबरा रही है।

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