“ईसाई धर्म में योग अमान्य है”, Greek Orthodox Church ने जारी किया रूढ़िवादी फरमान

शर्मनाक!

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अब यह तो सर्वज्ञात हो ही गया है कि योग करने के कितने फायदे हैं। हर दिन योग करने से ना सिर्फ शरीर निरोग रहता है, बल्कि योग करने वाला व्यक्ति हमेशा सकारात्मकता भी महसूस करता है। हालांकि, अलग-अलग धर्म से जुड़े कुछ कट्टरपंथी लोग योग के महत्व को कम आँकने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं। इसी कड़ी में अब ग्रीक रूढ़िवादी चर्च ने योग को ईसाई धर्म में अमान्य करार दिया है, वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि हिन्दू धर्म में योग का बेहद अहम स्थान है।

ग्रीक रूढ़िवादी चर्च के प्रमुख ने हाल ही में यह दावा किया है कि योग का ईसाई धर्म में कोई स्थान नहीं है, क्योंकि यह हिन्दू धर्म का अहम हिस्सा है। ऐसे समय में जब दुनिया में महामारी फैली हुई है और लोग हाइपरटेंशन से पीछा छुड़ाने के लिए योग का सहारा ले रहे हैं, ऐसे समय में ग्रीक रूढ़िवादी चर्च ने बेहद बचकाना बयान दिया है। उनके मुताबिक “योग कोई शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि इसका मूल हिन्दू धर्म में है। ईसाई लोगों को किसी भी कीमत पर योग को नहीं अपनाना चाहिए”।

हालांकि,ऐसा पहली बार नहीं है जब योग को लेकर ईसाई धर्म के धर्मगुरुओं ने अपनी आपत्ति दर्ज की हो। इससे पहले ग्रीस के अर्गोलिस शहर के भी एक धर्मगुरु ने योग पर आपत्ति जताते हुए कहा था “योग कोई व्यायाम नहीं, बल्कि हिन्दू धर्म में प्रार्थना करने का एक तरीका है”। ग्रीक रूढ़िवादी चर्च अक्सर अपने कट्टरपंथी विचारों के लिए लोगों के गुस्से का शिकार होता रहता है। हाल ही में एक ईसाई धर्मगुरु ने समलैंगिकों की जमकर आलोचना की थी और उन्हें “समाज का गंद” घोषित कर लोगों से उनपर थूकने का अनुरोध किया था। इसके बाद उस धर्मगुरु को इस्तीफा देना पड़ा था। कुछ लोगों का मानना है कि ग्रीक रूढ़िवादी चर्च बेहद पुराने विचारों में फंसी रह गयी है और यह आधुनिकता को अपना नहीं पाई है।

भारत में भी हमें ऐसे कई कट्टरपंथी विचार के लोग देखने को मिल जाते हैं। हाल ही में Syro-Malabar चर्च ने भी यह घोषणा की थी कि योग का ईसाई धर्म में कोई स्थान नहीं है। यहाँ तक कि उस चर्च ने योग के जरिये RSS पर राजनीतिक और धार्मिक एजेंडे को बढ़ावा देना का भी आरोप लगा दिया था।

Syro-Malabar चर्च ने घोषणा की थी कि योग में “god” का कोई स्थान नहीं है”। इसके अलावा तब चर्च ने लोगों में यह झूठ फैलाने की कोशिश भी की थी कि योग के कुछ आसन मूर्तिपूजक भी सिद्ध हो सकते हैं। स्पष्ट है कि इन कट्टरपंथी लोगों का सारा ध्यान सिर्फ लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने पर ही होता है और ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के प्रति इनकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होती है। आज के चुनौती भरे समय में जब दुनियाभर में योग को अपनाने की बात कही जा रही है, ऐसे समय में ग्रीक चर्च द्वारा अपने लोगों को अंधकार में रखने की इस कोशिश की जितनी निंदा की जाये, उतनी कम है।

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