“चीन कहता है-हम करते हैं”, आखिर Zoom App ने मान लिया कि वो चीन का गुलाम है

चीन में रहना है, तो जिनपिंग-जिनपिंग कहना है!

Zoom

चीन में थियानमेन चौक घटना की 31वीं बरसी के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित करने पर ‘Zoom वीडियो कम्युनिकेशंस’ ने अमेरिका में मौजूद चीनी कार्यकर्ताओं के एक समूह का अकाउंट अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। अब  इस कंपनी ने स्वीकार कर लिया है कि उन्होंने यह चीन सरकार के कहने पर किया था। यानि इससे एक बार फिर से सिद्ध हो गया है कि यह वीडियो कॉलिंग App  चीन का पालतू है और वह CCP के कहने पर कोई भी कदम उठा सकता है।

दरअसल, अमेरिका में रहने वाले चीन के एक्टिविस्ट और Humanitarian China के संस्थापक Zhou Fengsuo ने हाल ही में 1989 में चीन में हुई थियानमेन चौक घटना की 31वीं सालगिरह के मौके पर एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी । इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में करीब 250 लोगों ने हिस्सा लिया था। हालांकि, इसके बाद जब 7 जून को Zhou ने दोबारा Zoom में लॉग इन करने का प्रयास किया, तो उन्हें पता चला कि उनका अकाउंट बंद कर दिया गया है। इसी तरह दो और ऐक्टिविस्टों का अकाउंट बंद कर दिया गया था।

इसके बाद अब zoom ने अपने ब्लॉगपोस्ट में यह स्वीकार किया है कि चीनी सरकार ने उन्हें चार बड़ी मीटिंग्स के बारे में सूचित किया था और इन मीटिंग्स और उससे जुड़े accounts को बंद करने का आदेश दिया था।

इस कंपनी ने अपने बयान में आगे बताया कि उन चार मीटिंग्स में से तीन को platform से हटाने का निर्णय लिया गया और उससे जुड़े अकाउंट को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया। बयान में कहा गया है, “चौथी मीटिंग को हटाया नहीं गया क्योंकि उसमें चीन के प्रतिभागी नहीं थे”।

यह हैरानी की बात है कि अपने आप को स्वतंत्र माध्यम कहने वाले ‘Zoom वीडियो कम्युनिकेशंस’ ने इस तरह का शर्मनाक निर्णय लिया। कोरोना वायरस की वजह से इस वीडियो कॉलिंग App पर लोगों की निर्भरता बढ़ी है, लेकिन यह कंपनी पूरी तरह से चीन के इशारों पर नाच रही है और लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है।

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब ‘Zoom वीडियो कम्युनिकेशंस ‘पर चीन का तोता होने का आरोप लगा हो। इस App पर पहले से ही चीन को डेटा भेजने का आरोप लग चुका है और कई देशों ने तो इसके आधिकारिक इस्तेमाल पर रोक भी लगा दी है।

इस App पर इन दिनों प्राइवेसी के उल्लंघन के भी कई आरोप लगने लगे हैं, जिसके बाद कई संस्थाओं और देशों ने इसे बैन करना शुरू कर दिया है। कनाडा की एक लैब का मानना है कि यह App एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन key के लिए चीनी सर्वर का इस्तेमाल करती है जो किसी भी स्थिति में सुरक्षित नहीं है।

ताइवान ने तो इस app के इस्तेमाल पर ही बैन लगा दिया है। इसी तरह Zoom पर जर्मनी, ताइवान, स्विट्जरलैंड, सिंगापुर ने भी बैन लगा दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल, स्पेसएक्स, टेस्ला, नासा और न्यूयॉर्क के एजुकेशनल इंस्टीट्यूट ने भी इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।

साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर्स ने चेतावनी दी है कि इस सॉफ्टवेयर में सिक्योरिटी लूपहोल्स हैं जिससे सिक्योर फाइल्स को एक्सेस करने के लिए मीटिंग्स को हैक किया जा सकता है। कुछ यूजर्स का ट्रैफिक चीन में स्थित डेटा सेंटर्स से होकर गुजरा है। Zoom के साथ चीन का लिंक एकमात्र चिंता का विषय नहीं है। कमजोर एन्क्रिप्शन टेक्नोलोजी के वजह से “ज़ूम बॉम्बिंग” होती है, जहां बिन बुलाए ट्रोल अन्य प्रतिभागियों को परेशान करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस तक पहुंच जाते हैं और कई तरह के अश्लील फोटो और वीडियो भेज देते हैं। यानि यह वीडियो कॉलिंग App किसी भी कोण से सुरक्षित नहीं है।

अब तो इस कंपनी ने यह मान लिया है कि इसने चीन के दबाव में आकर  थियानमेन चौक से जुड़ी मीटिंग को अपने platform से हटा दिया था और ऐक्टिविस्टों का अकाउंट बंद किया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इससे पहले इस कंपनी ने चीनी सरकार के दबाव में आ कर और कितने फैसले लिए होंगे और कितने यूजर्स के डाटा को शेयर किया होगा। अगर आप इस App का इस्तेमाल करते हैं तो तुरंत बंद करने में ही भलाई है।

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