“हमारे पास आओ, हम तुम्हें vaccine देंगे”, फिलीपींस भारत-अमेरिका की ओर झुका तो छूटे चीन के पसीने

मास्क डिप्लोमेसी के बाद ये रही चीन की वैक्सीन डिप्लोमेसी

फिलीपींस

कोरोना डिप्लोमेसी, मास्क डिप्लोमेसी के बाद अब चीन वैक्सीन डिप्लोमेसी पर उतर आया है और पड़ोसी देशों को अपने पाले में करने का प्रयास कर रहा है। इसी प्रयास में चीन ने सबसे पहले निशाना दक्षिण चीन सागर के एक महत्वपूर्ण देश फिलीपींस को बनाया है। मनीला में चीनी दूतावास ने मंगलवार को आश्वासन दिया कि चीन COVID-19 के खिलाफ वैक्सीन विकसित करने और उपयोग में लाये जाने के बाद फिलीपींस को प्राथमिकता देगा, और सबसे पहले फिलीपींस को ही वैक्सीन दी जाएगी।

यह किसी से छुपा नहीं है कि चीन दक्षिण चीन सागर के सभी देशों के साथ गुंडागर्दी कर रहा है और उसकी गुंडागर्दी के कारण उसके कई साथी उसे छोड़ चीन विरोधी देशों के साथ आ चुके हैं। अब इन्हीं देशों को वापस लुभाने के लिए चीन वैक्सीन डिप्लोमेसी अपना रहा है।

फिलीपींस में चीनी राजदूत Huang Xilian ने वैक्सीन का आश्वासन देते हुए कहा “जब COVID-19 वैक्सीन विकसित और उपयोग में लाई जाएगी है, तो चीन फिलीपींस को प्राथमिकता देगा।” यही नहीं चीन फिलीपींस को अपने पाले में करने के लिए मीडिया में प्रचार भी कर रहा है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माना जाने वाला Global Times ने अपने लेख में लिखा है कि महामारी के खिलाफ लड़ाई में, चीन और फिलीपींस ने COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में घनिष्ठ साझेदारी की है और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का एक अच्छा उदाहरण स्थापित किया है। इस मीडिया हाउस ने फिलीपींस की प्रशंसा करते हुए लिखा कि चीन और फिलीपींस के संयुक्त प्रयासों की बदौलत, BRI ने द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापारिक आदान-प्रदान में जीवन शक्ति के लिए अवसर पैदा किए हैं।

परंतु क्या यह सच में हैं? या चीन फिलीपींस की प्रशंसा उसे लुभाने के लिए कर रहा है?

सच तो यह है कि अब फिलीपींस अब सुरक्षा के मोर्चे पर चीन को घेरने के लिए भारत, अमरीका और अन्य चीन विरोधी शक्तियों के साथ आ चुका है और चीन को यह डर सता रहा है कि दक्षिण चीन सागर उसके हाथ से निकाल न जाए। इसी कारण से चीन उसे अपनी ओर करने के सभी प्रयास करने में जुटा है। हालांकि, जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों में चीन ने फिलीपींस के साथ बर्ताव किया है उसे देखते हुए फिलीपींस अब अपना फैसला कर चुका है और चीन विरोधी कैंप में आ चुका है।

बता दें कि इसी वर्ष अप्रैल में दोनों देशों के बीच विवाद तब बढ़ गया, जब चीन ने Philippines के Fiery Cross reef द्वीप पर अपना दावा ठोक दिया और उसे अपना प्रशासनिक केंद्र बता दिया। फिलीपींस ने इस द्वीप को कई सालों की मेहनत के बाद विकसित किया हुआ है, जिसे चीन हड़पना चाहता है। फिलीपींस ने तब चीन को चेतावनी जारी करते हुए कहा था “चीन को अंतर्राष्ट्रीय नियमों एवं फिलीपींस-चीन के बीच वर्ष 2002 की संधि का सम्मान करना चाहिए और किसी भी उकसावे भरे कदम उठाने से परहेज करना चाहिए”। इसके अलावा दोनों देशों के बीच दक्षिण चीन सागर में विवाद तो शुरू से ही है। चीन दक्षिण चीन सागर में विवादित जलमार्ग के उन हिस्सों पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है जो फिलीपींस जैसे अन्य देशों के क्षेत्रीय जल तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र में आते हैं।

चीन के इन बे बुनियाद दावों के बावजूद, Philippines की Duterte सरकार ने चीन के साथ संबंध बनाए रखा था। परंतु कोरोना के बाद से दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ी आक्रामकता के कारण फिलीपींस अब परेशान हो चुका है और चीन विरोधी रुख अपनाना शुरू किया है।

हाल ही में वियतनाम के हनोई में आयोजित 36 वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान वियतनाम और Philippines के नेताओं ने चीन के “की गुंडागर्दी” के खिलाफ सख्त संदेश कहा था कि अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन न करने वाले कुछ दुष्ट राष्ट्र दक्षिण चीन सागर में गतिविधि बढ़ा चुके हैं। इस दौरान किसी ने चीन का नाम तो नहीं लिया था लेकिन सभी का इशारा चीन की ओर ही था। इसके अलावा फिलीपींस ने कई चीन विरोधी कदम उठाए जो CCP के लिए चेतावनी थी।

यही नहीं फिलीपींस ने अमेरिका के साथ सैन्य समझौते को रद्द करने से मना कर दिया था जिसके अमेरिकी सैनिकों की फिलीपींस में रहने की अनुमति प्राप्त होती है। अब फिलीपींस दक्षिण चीन सागर में भारत के प्रवेश के रास्ते भी खोल रहा है। Economic Times की एक रिपोर्ट के मुताबिक ना सिर्फ भारत फिलीपींस के साथ मिलकर Indo-pacific क्षेत्र में काम करना चाहता है, बल्कि Philippines भी उस विवादित क्षेत्र में भारत की एंट्री चाहता है। इसके अलावा Philippines के नेवी चीफ़ Rear Admiral Giovanni Carlo J. Bacordo यह पहले ही कह चुके हैं कि वे भारत के साथ सम्बन्धों को बढ़ाना चाहते हैं।

शायद अब शी जिनपिंग को महसूस हुआ है कि दक्षिण चीन सागर में Philippines के खिलाफ उनकी आक्रामकता उन्हीं पर भारी पड़ने वाली है क्योंकि Philippines अमेरिका और भारत के साथ हाथ मिला चुका है। इसी कारण से अब चीनी राष्ट्रपति इस द्वीप देश को COVID-19 का वैक्सीन का लालच दे रहे हैं और लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।यह भी एक सीधा संदेश है कि यदि Philippines चीन को छोड़ भारत या अमेरिका को चुनता है, तो उसे चीनी वैक्सीन से हाथ धोना पड़ सकता है। हालांकि यह कहना गलत नहीं होगा कि पहले चीन ने वुहान वायरस महामारी का मास्क डिप्लोमेसी से शोषण किया, अब यह वायरस के वैक्सीन से शोषण करने की योजना बना रहा है।

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