RGF कांड के बाद, हरियाणा सरकार ने नेहरू-गांधी परिवार की संपत्तियों के जांच के आदेश दिए हैं

गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ने वाली है

हरियाणा

कांग्रेस को यदि ये लगता है कि राजीव गांधी फाउंडेशन घोटाला अन्य घोटालों की भांति ही है, जहां सरकार उनके विरुद्ध कोई ठोस कदम नहीं उठाएगी, तो वह गलत है। गृह मंत्री अमित शाह ने एक आंतरिक कमेटी का गठन किया था ताकि राजीव गांधी फाउंडेशन से जुड़े जितने भी घोटाले हैं, उनकी निष्पक्ष जांच कराई जा सके, जिसके लिए तीन संगठनों को चिन्हित भी किया गया – राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चेरिटेबल ट्रस्ट एवं इन्दिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट।

अब यह खबर सामने आई है कि केंद्र सरकार के दिशा निर्देश के अंतर्गत हरियाणा सरकार ने भी राज्य में गांधी वाड्रा के सम्पत्तियों के जांच पड़ताल के आदेश दिये हैं। हरियाणा सरकार के प्रमुख सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने हरियाणा के शहरी विभागों को निर्देश दिया है कि राज्य में गांधी वाड्रा परिवार के जितनी भी संपत्तियाँ हैं, उन सभी की जांच पड़ताल करके एक सूची तैयार की जाये।

आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, “हरियाणा में 2005 से 2014 के बीच भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी। आरोप है कि इस दौरान कांग्रेस के कई ट्रस्ट और गांधी-नेहरू परिवार के लिए कई संपत्तियां जुटाई गई थीं। कुछ संपत्तियों की पहले से जांच चल रही है। अब केंद्र सरकार के पत्र के बाद गांधी-नेहरू परिवार की बाकी संपत्तियों की जांच के आदेश दिए गए हैं। केंद्र सरकार की ओर से हरियाणा सरकार को राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट से जुड़ी संपत्तियों की जांच का आदेश दिया गया है। इसके बाद मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग को जांच की जिम्मेदारी दी है”।

इसके अलावा नेशनल हेराल्ड घोटाले में नामजद कंपनी AJL से संबन्धित एक प्लॉट को अस्पताल के निर्माण के लिए आवंटित किए जाने पर हरियाणा सरकार ने जांच बिठाई है। बता दें कि ये सब तब हो रहा है जब गांधी परिवार का राजीव गांधी फाउंडेशन से संबन्धित काले धंधों में नाम सामने आया है। इसके लिए प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी को खुली छूट भी दी गई है।

गांधी वाड्रा परिवार का हरियाणा से काफी पुराना नाता रहा है। जब हरियाणा में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की सरकार सत्ता में थी, तब कांग्रेस, विशेषकर गांधी वाड्रा परिवार को हरियाणा में संपत्ति खरीदेने में कोई रोक टोक नहीं थी। स्वयं भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की देखरेख में AJL को 23 वर्ष पुराने दाम पर 2005 में पंचकुला में ज़मीन आवंटित की गई थी। ये बात तब की है, जब हुड्डा को मुख्यमंत्री बने छह माह भी नहीं हुए थे।

बता दें कि AJL यानि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड वही कंपनी है, जिसने अँग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, उर्दू में कौमी आवाज़ और हिन्दी में नवजीवन प्रकाशित किया है। इसी कंपनी पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगा था, और इसीलिए प्रख्यात अधिवक्ता डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने गांधी परिवार को लपेटे में हुए कोर्ट के दरवाजे खटखटाये थे। अब हरियाणा सरकार की कार्रवाई को देखते हुए ये स्पष्ट हो चुका है कि काँग्रेस के दिन अब लदने वाले हैं, और नेहरू गांधी परिवार की खैर नहीं।

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