“TikTok तो बस झांकी थी”, अब PLA से जुड़ी हुवावे और अलीबाबा आई पीएम मोदी के रडार पर

“क्या आप चीन से हैं? चलिये वो रहा Exit gate!”

भारत

PC: DNA

जब भारत ने चीन की 59 एप्स पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया था, तो लोगों को इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि भारत सरकार का यह कदम तो बस शुरुआत भर है। भारत सरकार पीएम मोदी के नेतृत्व में मानो देश को चाइना-फ्री करने का बीड़ा उठा चुकी हो। रेलवे के समझौतों से लेकर देश में infrastructure projects तक में चीनी कंपनियों को प्रतिबंधित किया जा रहा है। इसी कड़ी में अब भारत सरकार चीनी सेना यानि PLA को जोरदार झटका देने के लिए PLA से जुड़ी 7 चीनी कंपनियों के खिलाफ बड़ा एक्शन लेने की तैयारी में है।

Zee News की रिपोर्ट के मुताबिक भारत जल्द ही XIndia स्टील्स, जिनजिंग कैथे इंटरनेशनल, चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप, हुवावे, अलीबाबा, टेनसेंट और एसएआईसी मोटर कॉरपोरेशन जैसी चीनी कंपनियों के खिलाफ बड़ा एक्शन ले सकता है। ये सभी कंपनियाँ किसी न किसी प्रकार से चीनी सेना से जुड़ी हुई हैं। इनमें से अधिकतर कंपनियाँ मोबाइल और टेक क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम हुवावे और अलीबाबा का है।

ऐसे में अगर भारत हुवावे के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन लेता है, तो भारत में हुवावे के 5G सपने मिट्टी में मिल जाएंगे। हुवावे का PLA से सीधा कनैक्शन है। हुवावे की स्थापना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी इंजीनियरिंग कोर के डिप्टी डायरेक्टर रेन झेंगफी ने की थी। हुवावे भारत में बड़े खिलाडी के तौर पर जानी जाती थी, लेकिन भारत-चीन विवाद में हुवावे की बलि चढ़ना तय माना जा रहा है।

इसके अलावा अन्य चीनी कंपनियां जैसे अलीबाबा, बाइडू और टेनसेंट चीन के मिलिट्री सिविल फ्यूजन और आर्टीफिशियल प्रोजेक्ट्स का हिस्सा हैं, जिसका अर्थ है कि चीन की सेना सीधे तौर पर इन कंपनियों के दिन-प्रतिदिन के मामलों को संभालती है।

लद्दाख में भारत-चीन के बीच हिंसक झड़प के बाद से ही भारत चीन के टेक बाज़ार को बर्बाद करने पर तुला हुआ है। चीनी सेना को इस टेक सेक्टर से बड़ा आर्थिक फायदा होता है। ऐसे में PLA पर आर्थिक प्रहार करने के लिए भारत सरकार ऐसे बड़े कदम उठा रही है।

पिछले कुछ सालों में चीन के टेक सेक्टर ने बहुत तेजी से विकास किया है, और इसके विकास में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। स्टील और एल्यूमिनियम उद्योग में विकास दर तो अब धीमी पड़ चुकी है, ऐसे में चीन के विकास में वहाँ के टेक सेक्टर का बड़ा योगदान रहा है

चीन का कुल डिजिटल उत्पादन लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर है, इतना तो भारत का कुल राष्ट्रीय उत्पादन भी नहीं है। एल्यूमिनियम और एनर्जी सेक्टर पर निर्भर चीन की पुरानी अर्थव्यवस्था में विकास दर जब धीमे होने लगी, तो चीन ने जमकर टेक सेक्टर में पैसा निवेश किया। अब चीन हर साल टेक सेक्टर में 400 बिलियन डॉलर का निवेश करता है, यूरोपियन यूनियन से भी ज़्यादा! इस निवेश का चीनी टेक कंपनियों को सबसे ज़्यादा फायदा हुआ। चीन में hardware और सॉफ्टवेर कंपनियाँ तेजी से विकास करने लगीं, और दुनिया में एक्सपोर्ट करने लगीं।

हालांकि, अब भारत ने इस टेक सेक्टर को बर्बाद करने का प्रण ले लिया है। भारत सरकार ने पहले चीनी एप्स को बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब भारत सरकार इन 7 चीनी कंपनियों के खिलाफ बड़ा एक्शन ले सकती है। अब चीन को सही मायनों में समझ आ रहा होगा कि उसने भारत से पंगा लेकर असल में कितनी बड़ी गलती कर दी है।

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