“चीन से दोस्ती करो-जेल जाओ”, दुनियाभर में चीन के पालतू राजनेता धराशायी हो रहे हैं

मालदीव से लेकर मलेशिया तक- चेहरे अलग हैं लेकिन कहानी एक सी!

चीन

किसी दूसरे देश के साथ डील करने का चीन का एक ही मूल मंत्र है। चीन किसी भी देश के सबसे शीर्ष और सबसे भ्रष्ट नेता पर अपना दांव लगाता है, उसके निजी हितों की रक्षा करता है, उसे जमकर पैसा खिलाता है, और बदले में उनसे चीन के पक्ष में समझौते पक्के कर लेता है। चीन दक्षिण एशिया के कई देशों से लेकर अफ्रीका के अनेकों देशों में ऐसा ही कर चुका है। यही कारण है कि जब भी किसी देश से चीन के चाटुकार की सरकार की विदाई होती है, तो वे आने वाले सालों में भ्रष्टाचार के चलते जेल की हवा खाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। हाल ही में मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज़ाक को 12 साल के लिए जेल की सज़ा सुनाई गयी है। इससे पहले मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन भी यही अंजाम भुगत चुके हैं। ये दोनों ही नेता अपने शासन काल में चीन के बेहद करीब रहे थे। इससे स्पष्ट है कि आज के दौर में चीन ही नहीं, बल्कि अलग-अलग देशों में बैठे चीन के चाटुकार राजनेता भी पतन का शिकार हो रहे हैं।

बता दें कि बीते मंगलवार को मलेशिया की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज़ाक को अरबों डॉलर के सरकारी निवेश से जुड़े भ्रष्टाचार के पहले मुकदमे में दोषी करार दिया था। उन्हें 12 साल जेल की सजा सुनाई गई है। उन पर 210 मिलियन रिंगिट (49.40 मिलियन अमेरिकी डॉलर-लगभग 370 करोड़ रुपये) का जुर्माना भी लगाया गया है। हालांकि, यह तो शुरुआत भर है। नजीब पांच अलग-अलग मुकदमों में 42 आरोपों का सामना कर रहे हैं और उन्हें कई साल तक की सजा हो सकती है।

नज़ीब वर्ष 2009 से लेकर वर्ष 2018 तक मलेशिया के प्रधानमंत्री रहे थे, जिसके दौरान उन्होंने जमकर भ्रष्टाचार किया और आरोपों के मुताबिक चीन ने भी उनका भरपूर साथ दिया। पदभार संभालने के बाद वर्ष 2009 में नजीब ने मलेशिया के आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए 1एमडीबी कोष की स्थापना की थी। इसी कोष से अरबों डॉलर की हेराफेरी का आरोप लगा। आरोपों के मुताबिक सरकारी 1एमडीबी कोष से बड़ी मात्रा में उन्होंने अपने निजी account में पैसा भिजवाया। जब अमेरिका समेत कई देशों ने 1एमडीबी कोष में भ्रष्टाचार की जांच करनी शुरू की, तो रज़ाक पर अपने कारनामों को छिपाने के लिए चीनी सहायता लेने के भी आरोप लगे।

वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक नजीब रज़ाक पर 1एमडीबी कोष के कर्ज़ का भुगतान करने के लिए चीनी cash का भी उपयोग करने के आरोप लगे थे। इसके साथ ही वर्ष 2019 की WSJ की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में चीन ने मलेशिया के PM को यह आश्वासन भी दिया था कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अलग-अलग देशों में जारी 1एमडीबी कोष के खिलाफ जांच को रुकवाने का काम कर सकता है। चीन और रज़ाक की नज़दीकियों का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि वर्ष 2018 में कुर्सी छोड़ने से पहले वर्ष 2016 में उन्होंने चीन के साथ BRI के तहत 34 बिलियन डॉलर की बेहद घटिया deals पक्की की थीं, जिसके बाद उनपर मलेशिया को चीन के हाथों बेचने के आरोप लगे थे। इन्हीं आरोपों के बाद वे चुनाव हारे थे और वर्ष 2018 में महातिर मोहम्मद सत्ता में आये थे। उनके सरकार छोड़ने के महज़ 2 वर्षों के अंदर ही उन्हें जेल का मुंह देखना पड़ा है।

हालांकि, वे अकेले ऐसे चीनी चाटुकार नहीं हैं। वर्ष 2019 में ही चीन के एक अन्य चाटुकार और मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन का भी यही हाल देखने को मिल चुका है। पिछले वर्ष भारत के पड़ोसी मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 5 साल जेल की सजा सुनाई गई थी, और इसी के साथ ही कोर्ट द्वारा उनपर 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया था। उनपर आरोप था कि उन्होंने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश के कुछ द्वीपों को अवैध तरीके से लीज़ पर दे दिया था और इसके बाद उनके खाते में 10 लाख अमेरिकी डॉलर जमा करवाए गए थे। बता दें कि अब्दुल्ला यामीन वर्ष 2013 से वर्ष 2018 तक मालदीव के राष्ट्रपति रहे थे, और इस दौरान उन्होंने जमकर चीन के पक्ष में नीतियां बनाई थी। यही कारण था कि वर्ष 2018 में वे जब मालदीव के मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह से चुनावों में हारे थे, तो तब तक मालदीव पूरी तरह चीन की गिरफ्त में फंस चुका था और मालदीव पर चीन का भारी कर्ज़ हो गया था।

साफ़ है कि चीन के साथ-साथ चीन के चाटुकार राजनेताओं का भी यही हश्र देखने को मिल रहा है। आज जिस प्रकार नेपाल के प्रधानमंत्री ओली और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन की चाटुकारिता करने में लीन हैं, उससे उनके भविष्य को भी देखा जा सकता है। हाल ही में Global Watch Analysis की एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें दावा किया गया था कि हाल ही के सालों में ओली और उनकी पत्नी कि संपत्ति में तेजी से वृद्धि देखने को मिली है। रिपोर्ट के लेखक Roland Jacquard ने कहा था “उनका Mirabaud बैंक की Geneva ब्रांच में एक account हो सकता है। इस खाते में long-term investment के रूप में 5.5 मिलियन डॉलर की रकम जमा की गयी है”। आगे उन्होंने यह दावा भी किया था कि इस खाते की सहायता से ओली और उनकी पत्नी प्रतिवर्ष आधा मिलियन डोलर्स कमाते हैं।

ऐसे में किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए अगर ओली से जाने के बाद उनका भी यही अंजाम हो। दुनियाभर में चीन की जिस प्रकार थू-थू हो रही है, उसके बाद अब उसके चाटुकारों का भी वही अंजाम देखने को मिल रहा है।

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