लीबिया संकट की आड़ में तुर्की के तानाशाह एर्दोगन यूरोपीय देशों को blackmail करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। तुर्की के राष्ट्रपति यूरोप में किसी भी वक्त सीरिया के लाखों शरणार्थियों को छोड़ने की धमकी देते हैं, जिसके कारण यूरोप भी तुर्की के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा पाता। हालांकि, दुनिया में एक ऐसे व्यक्ति हैं जो यूरोप को सताने वाले एर्दोगन की धज्जियां उड़ाने में देर नहीं लगाते, और वो हैं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन!
पुतिन और एर्दोगन लीबिया में एक दूसरे के आमने सामने खड़े हैं। एर्दोगन इस्लामिक कट्टरपंथी GNA के साथ खड़े हैं, तो वहीं पुतिन ने जनरल हफ्तार को अपना समर्थन दे रखा है। हालांकि, तुर्की के राष्ट्रपति रूस के सामने अपनी औकातानुसार ही बात रखते हैं। लीबिया में तुर्की एक तरफ यूरोप के देशों और अरब देशों के खिलाफ खुलकर बात रखता है तो वहीं रूस के साथ एर्दोगन का रवैया बेहद डरपोक स्वभाव का रहता है। रूस के सामने आते ही तुर्की शांति प्रस्ताव और सीज़फायर की बात करना शुरू कर देता है।
माना जाता है कि मॉस्को पीछे ही पीछे इजिप्त की तरह ही हफ्तार को हथियारों की सप्लाई करता है और अगर रूस विस्तारवादी तुर्की के होश ठिकाने पर उतर आए, तो तुर्की को बर्बाद होने में समय में नहीं लगेगा। पहले भी रूस तुर्की को दिन में तारे दिखाने का काम कर चुका है। उदाहरण के तौर पर सीरिया में पिछले वर्ष इदलिब शहर में रूस ने तुर्क लड़ाकों को पटक-पटक के धोया था। एर्दोगन तथाकथित safe zone बनाने के लिए सीरिया के इद्लिब शहर पर कब्जा करना चाहते थे, लेकिन रूस के दिमाग में कुछ और ही प्लान था। रूस सीरिया में असद सरकार का समर्थन कर रहा था और वह इद्लिब पर सीरिया सरकार का ही कंट्रोल चाहता थ।
बस फिर क्या था, रूस तुर्की के खिलाफ बीच में उतरा और लड़ाई लड़ रहे कुर्द लड़ाकों और असद सरकार के बीच एक समझौता कराया, जो कि तुर्की के लिए बहुत बड़ा झटका था। रूस ने देखते ही देखते तुर्की की योजना पर पानी फेर दिया। इस साल की शुरुआत में असद सरकार के हमले में 33 तुर्की जवान मारे गए थे। रूसी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि आतंकवादियों के साथ ऑपरेट कर रहे कुछ तुर्की के सैनिक भी बमबारी में मारे गए हैं।
मजे की बात यह है कि तुर्की के सैनिकों पर हमले के बाद जब एर्दोगन पुतिन से मिलने रूस पहुंचे, तो पुतिन ने वहाँ भी एर्दोगन को उसकी औकात याद दिला दी। पुतिन ने एर्दोगन को दो मिनट इंतज़ार करवाया और फिर पुतिन उनसे मिलने पहुंचे। इतना ही नहीं, एर्दोगन को जिस कमरे में इंतज़ार करवाया गया था, उस कमरे में Aleksandr Suvorov की फोटो लगी हुई थी। Aleksandr Suvorov एक रूसी कमांडर थे जिन्होंने कई बार अनेकों युद्धों में ओटोमन एंपायर को बर्बाद किया था।
यह पहली बार नहीं था जब रूस ने इस प्रकार तुर्की के जज़्बातों के साथ खिलवाड़ किया हो। वर्ष 2015 में जब तुर्की ने रूस के एक फाइटर जहाज़ को मार गिराया था, तो उसके बाद रूस ने अपने लोगों को तुर्की की यात्रा नहीं करने को कहा था। इसके साथ ही रूस ने तुर्की के नागरिकों पर भी रूस आने पर पाबंदी लगा दी थी। रूस के इन कदमों के बाद आखिर तुर्को को रूस से माफी मांगनी पड़ी थी।
रूस जानता है कि तुर्की बस नाम नाम का NATO का सदस्य है। एर्दोगन ने अमेरिका के साथ-साथ यूरोप से पंगा लिया हुआ है। ये देश तो कभी तुर्की की मदद करने नहीं आएंगे। ऐसे में तुर्की के पास सिर्फ रूस ही बचता है जिससे वह हथियार खरीद सकता है। रूस और तुर्की के बीच एस 400 की डील पहले ही हो चुकी है।
एर्दोगन एक ऐसे धौंसिए हैं जो यूरोप को तो अपनी उँगलियों पर नचाना जानते हैं, लेकिन रूस के सामने इस Nato सदस्य की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है। जो एर्दोगन को उसकी औकात याद दिला दे-वो हैं पुतिन!