ऑस्ट्रेलिया, US और UK अब एक धमाकेदार वेबसाइट के साथ CCP के प्रोपेगंडा को उसी की भाषा में ध्वस्त करेंगे

ऑस्ट्रेलिया

PC: Independent Australia

21 वीं सदी पारंपरिक युद्धों की दुनिया नहीं है जहां देश हथियारों और गोला-बारूद से लड़ेंगे। यह एक ऐसी दुनिया है जहाँ नैरेटिव का युद्ध हो रहा है, और जो कोई भी नैरेटिव अपने पक्ष में बनाता है वो दुनिया को नियंत्रित करने की ताकत रखता है। अब इसी नैरेटिव पर पकड़ बनाने और चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए अमेरिकी सरकार द्वारा समर्थित एक मीडिया आउटलेट ने ऑस्ट्रेलिया में चीनी भाषा में न्यूज़ सर्विस लॉन्च करने का ऐलान किया है। यानि अब ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले चीनी नागरिकों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की काली करतूतों के बारे में चीन की भाषा में ही बताया जाएगा।

आज के दौर में अपने आर्थिक और मिलिटरी युद्ध के साथ प्रोपेगेंडा युद्ध में दक्ष होना एक अनिवार्यता बन चुकी है। सबसे पहला उदाहरण चीन का ही है जो विश्व भर की मीडिया हाउस को रुपया देकर स्थानीय भाषाओं में अपना प्रोपेगेंडा फैलाता है। इसी से सीख लेते हुए अब US Department of State और the Institute for War & Peace Reporting (IWPR) साथ मिल कर चीनी भाषा में न्यूज़ सर्विस शुरू करने जा रहे हैं। South China Morning Post की रिपोर्ट के अनुसार इसे Decode China का नाम दिया गया है। चीनी भाषा में न्यूज़ सर्विस शुरू करने का सबसे बड़ा प्रभाव ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले चीनी नागरिकों पर होगा। ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले प्रवासी चीनी नागरिकों की संख्या अन्य प्रवासी नागरिकों से कहीं अधिक है। ऑस्ट्रेलिया जाने वाले प्रवासियों में चीन के नागरिक लगभग 15 प्रतिशत होते हैं।

किसी भी व्यक्ति के मनोस्थिति पर प्रभाव जमाने के लिए उसके भोजन, भाषा और भावना को समझना आवश्यक होता है। इन तीनों से ही व्यक्ति मानसिक तौर पर जुड़ा होता है। ऐसे में अगर ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले सभी चीनियों को उनकी ही भाषा में चीन द्वारा किए जा रहे करतूतों को बताया जाएगा तो इसका प्रभाव अँग्रेजी या अन्य भाषाओं से अधिक होगा।

इस न्यूज़ सर्विस का वैंचर ऐसे समय पर आया है जब चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर है। पहले कोरोना को लेकर जांच और फिर हाँग-काँग, तथा जासूसी के मामले को लेकर दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ आमने-सामने आ चुके हैं। कोरोना के समय में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से मास्क और जरूरी उपकरण ही चुरा लिए थे। इसके अलावा Australian Strategic Policy Institute की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि चीन की United Front के गुप्त चीनी एजेंट राजनीति और व्यवसाय से लेकर मीडिया तक में घुसपैठ और प्रभाव डालने के मिशन पर हैं।

ऐसे में Decode China इन दोनों देशों के रिश्तों के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी। हालांकि, अभी Decode China मिशन के प्लान, इसके लॉन्च होने की तारीख जैसे विवरण नहीं दिये गए हैं, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार कुछ चीनी ऑस्ट्रेलियन नागरिकों को इस मिशन से जोड़ा जा रहा है जो बीजिंग के खिलाफ अपनी आलोचना के लिए जाना जाते हैं।

इनमें से University of Technology, Sydney के एक एसोसिएट प्रोफेसर Feng Chongyi, Curtin University के चीनी अध्ययन के पूर्व प्रमुख Wai Ling Yeung का नाम सामने आया है। हैनान में पैदा हुए Feng Chongyi एक ऑस्ट्रेलियाई स्थायी निवासी हैं, जिन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व और विदेशों में चीनी समुदायों पर बीजिंग के प्रभाव की आलोचना करते हुए कई लेख लिखे हैं। जब वह चीन की यात्रा पर थे तो उन्हें गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए कई दिनों तक वापस आने नहीं दिया गया था। वहीं Wai Ling Yeung ने कम्युनिस्ट पार्टी की चीनी भाषा की मीडिया पर पकड़ के बारे में पर्दाफाश करने की कोशिश की थी तथा चीनी की प्रोपेगेंडा मशीनरी चलाने वाली United Front के बारे में भी रिसर्च किया था।

विश्व की चीनी भाषा के मीडिया संस्थानों पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की पकड़ है और इस भाषा में छपने वाली हर खबर पर वह सेंसर लगाता है, जिससे इस भाषा में खबरों को पढ़ने वाले लोगों को असली खबर के बजाए चीन का प्रोपेगेंडा परोसा जाता है। Australia-China Relations Institute के वर्ष 2016 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि पिछले दो दशकों में चीनी भाषा के मीडिया की कवरेज चीन के प्रति अधिक सहानुभूति वाला रहा है। चीनी भाषा की मीडिया में हाँग-काँग , ताइवान और तिब्बत जैसे स्थानों की खबरों को दबा दिया जाता है।

Decode China के आने के बाद चीन की इस भाषा पर पकड़ तो कम होगी ही साथ में पूरे चीनी मीडिया जगत में भूचाल आ जाएगा। ऑस्ट्रेलिया में अभी लगभग 6 लाख Mandarin Chinese बोलने वाले मौजूद हैं। इस न्यूज़ सर्विस के शुरू होने से इन सभी को चीन के उस पहलू को भी पढ़ने का मौका मिलेगा जो चीन उनसे छुपाने की कोशिश करता है। इसके अलावा चीन में रहने वाले चीनी नागरिक भी किसी न किसी प्रकार से इस न्यूज़ सर्विस को पढ़ने का प्रयास करेंगे।

इससे एक बात स्पष्ट हो चुकी है कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया दोनों अब शी जिनपिंग के सत्तावादी शासन को उनकी ही भाषा में सबक सीखाने के लिए कमर कस चुके हैं। यह भी कहना गलत नहीं होगा कि डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने चीन की प्रोपोगेंडा मशीनरी के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है।

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