राम मंदिर पर बांग्लादेशी विदेश मंत्री का बयान 1992 की तरह ही हिंदुओं पर हमले को बढ़ावा दे सकता है

कट्टरपंथी इस्लामवादी फिर वही दोहरा सकते हैं जो उन्होंने हिंदुओं के साथ पहले किया था

बांग्लादेश

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और 5 अगस्त को शिलान्यास के बाद कार्य आरंभ हो जाएगा। इस बीच बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने भारत को एक तरह से धमकी भरे स्वर में कहा है कि भारत ऐसा कोई भी कदम न उठाए, जिसकी वजह से दोनों देशों के ऐतिहासिक रिश्तों को किसी तरह का भी नुकसान पहुंचे। ऐसे समय में जब राम मंदिर का निर्माण होना है, बांग्लादेश की तरफ से इस तरह के बयान को हल्के में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि जिस तरह से बाबरी मस्जिद के गिराए जाने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं का नरसंहार हुआ था उसे पढ़कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

दरअसल, The Hindu की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने मंदिर निर्माण के संदर्भ में कहा कि दोनों ही देश अपने रिश्ते नहीं खराब करेंगे। हालांकि, भारत को ऐसे किसी भी कदम या फैसले से बचना चाहिए, जिससे कि बांग्लादेश के साथ उसके गहरे जुड़ाव को ठेस पहुंचे। रिपोर्ट में यह कहा जा रहा है कि 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण स्टार्ट होने से वहां के शेख हसीना के विरोधियों तथा कट्टरपंथियों को एक मौका मिल जाएगा। इसी कारण बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने यह बयान दिया है कि भारत को ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे दोनों देशों के बीच रिश्तों पर असर डाले।

बांग्लादेश के विदेश मंत्री का इस तरह से भारत के आंतरिक मामले में बयान देने का कोई अर्थ नहीं है, लेकिन इतिहास को देखते हुए इस बयान को हल्के में लेना उचित नहीं है। बांग्लादेश में हिंदुओं का लगातार उत्पीड़न और नरसंहार होता आया है। राम जन्मभूमि के मामले पर ही जब वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद गिराई गयी थी, तब बांग्लादेश में एक भयंकर नरसंहार हुआ था। बांग्लादेश के मुस्लिम आबादी ने अल्पसंख्यक हिंदुओं पर लगातार हमला किया था। यह नरसंहार दिसंबर 1992 से लेकर मार्च 1993 तक चला था। इस दौरान हिंदुओं के घरों से लेकर मंदिरों, बाजार और दुकानों पर हमला कर उन्हें लूटा गया था। सैकड़ों मंदिरों पर हमला कर उन्हें आग लगा दी गयी थी। ढाकेश्वरी मंदिर से लेकर ढाका में भोलानाथ गिरि आश्रम पर हमला किया गया। रायरबाजार में हिंदू घरों में आग लगा दी गई तथा दुकानों को लूटकर उनमें आग लगा दी गयी थी। इस दौरान महिलाओं का क्या हश्र हुआ इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। इतना ही नहीं 5000 हथियारबंद युवक ढाका नेशनल स्टेडियम में India ‘A’ और बांग्लादेश के बीच हो रहे मैच के बीच घुस आए और हमला कर दिया। चटगाँव जिले में फटिकचाड़ी और मायरसवारी गाँव में भी आग लगा दी गयी थी।

ऐसे में बांग्लादेश के विदेश मंत्री का बयान राम मंदिर निर्माण को लेकर आम जनता में सांप्रदायिक भावना को भड़का सकता है, और हो सकता है कट्टरपंथी फिर 1992 की घटना को दोहराये। यदि बांग्लादेश सरकार को किसी तरह की घटना को अंजाम देने की खबर है भी, तो बंगलदेश सरकार को देश में हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। पिछले कई दशक से हिन्दू इस तरह की घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। वास्तव में बंगलदेश ‘धर्मनिरपेक्ष’ और बंगाली ‘सिद्धांतों’ के मुद्दे पर पूरी तरह असफल रहा है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर इस तरह के अत्याचार कई बार हुए हैं। वर्ष 1930 में ढाका के दंगे से लेकर डायरेक्ट एक्शन डे, 1946 का नोआखली नरसंहार, 1950 का पूर्वी बंगाल नरसंहार, 1962 का राजशाही नरसंहार, 1964 का पूर्वी पाकिस्तान नरसंहार, 1971 का नरसंहार, बलात्कार मरीछझापी नरसंहार जैसे कई नरसंहार पहले भी हो चुके हैं। बंगलादेश कभी भी हिंदुओं के लिए सुरक्षित नहीं रहा है और इन्हीं नरसंहारों की वजह से बांग्लादेश से हिन्दू अल्पसंख्यक नगण्य होने के कगार पर हैं।

पाकिस्तान का आईएसआई बांग्लादेश में अपने जाल फैला रहा है। बांग्लादेश में इस्लामवादियों का वर्चस्व बढ़ रहा है और शेख हसीना भी इसपर नियंत्रण कर पाने में असमर्थ रही हैं। चाहकर भी बंगलदेश इस्लाम की जकड़ से बाहर नहीं निकल सकते। शेख हसीना और उनके विदेश मंत्री को भारत के साथ अपने सबंधों में खट्टास डालने से बेहतर हैं वो आंतरिक मुद्दों पर ध्यान दे। यही कारण है कि विदेश मंत्री मोमेन के बयान को बयान नहीं, बल्कि एक धमकी समझना चाहिए।

Exit mobile version